प्रमोद प्यासा हाथरस से ताल्लुक रखता हूं मैं आदरणीय गुरुदेव स्व: गोपालदास नीरज जी का उनके दौरे इंतकाल तक पर्सनल सचिव रहा यही मेरा छोटा सा परिचय है।
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खोलकर तुम गेसुओं को जब भी निकले जाफ़रानी सी महक उठ्ठी हवाएं ।टूट बैठे डालियों से फूल सारे भूल बैठे रास्ते अपनी दिशाएं ।।बेल पावस में सुभाषित हो रही है चांदनी भी आ गई पथ में बिखरने ।ले र