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खोलकर तुम गेसुओं को जब भी निकले जाफ़रानी सी महक उठ्ठी हवाएं ।टूट बैठे डालियों से फूल सारे भूल बैठे रास्ते अपनी दिशाएं ।।बेल पावस में सुभाषित हो रही है चांदनी भी आ गई पथ में बिखरने ।ले र