दीपावली में पटाखों पर बैन से लोगों में गुस्सा और निराशा देखने को मिली है। कई लोग इसे उनके त्योहार के उत्साह को कम करने वाला मानते हैं। कुछ का कहना है कि यह पारंपरिक उत्सव का हिस्सा है और इसके बिना त्योहार अधूरा लगता है। इसके अलावा, कुछ लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हैं। हालांकि, बैन के समर्थन में भी तर्क हैं, जैसे कि वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं। यह एक संवेदनशील मुद्दा है, जहाँ परंपरा और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।
दिवाली और अन्य त्यौहार देश भर में धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में आतिशबाजी करना एक पुरानी परंपरा रही है, लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे यह समझ में आने लगा है कि पटाखे न केवल ह
पटाखों पर बैन: एक बहस का विषयभारत में हर साल दिवाली जैसे त्यौहारों के दौरान पटाखों का उपयोग एक पुरानी परंपरा रही है। पटाखे जलाने से लोग आनंद और खुशी महसूस करते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में पटाखों के उ
खुशियां मना लो दीपदान करके ,पटाखे जरुरी नहीं है । प्रदूषण फैलाते क्यों हो , खुशी से महत्वपूर्ण जीवन यहां है।। बीमारियों को बुलावा है, तुम्हारा यह धूम धड़ाका है। पल भर की खुशिय