दिवाली और अन्य त्यौहार देश भर में धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में आतिशबाजी करना एक पुरानी परंपरा रही है, लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे यह समझ में आने लगा है कि पटाखे न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक बड़ी समस्या हैं। इस वजह से पटाखों पर प्रतिबंध लगाना कई राज्यों में एक जरूरी और समय के अनुसार सही कदम साबित हुआ है।
पटाखों का प्रभाव:
- पर्यावरण का प्रदूषण – पटाखे जलने से बहुत अधिक धुआं और जहरीली गैसें (जैसे सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड) उत्पन्न होती हैं। ये गैसें न केवल हमें सीधे प्रभावित करती हैं, बल्कि वातावरण में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ाती हैं, जो स्मॉग और श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बनता है।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं – पटाखे जलने से हवा में पार्टिकुलेट मैटर (PM) का स्तर आसमान छूने लगता है। ये PM 2.5 और PM 10 कण फेफड़ों तक पहुंचकर सांस लेने में दिक्कत, अस्थमा और हृदय रोगों का खतरा बढ़ाते हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए ये बहुत ही नुकसानदायक हो सकते हैं।
- शोर प्रदूषण – पटाखों के धमाके भले ही कुछ लोगों के लिए आनंद का साधन हो सकते हैं, लेकिन यह शोर कई लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है। विशेषतः, जानवरों और वरिष्ठ नागरिकों को इस शोर से काफी परेशानी होती है। पशु-पक्षी डर के कारण अपना घर छोड़ देते हैं, और कई बार जानवरों के हादसों के मामले भी सामने आए हैं।
सरकारी नियम और प्रतिबंध लगाना:
विज्ञान और शोध के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि पटाखे हमारे समाज और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ साल पहले पटाखों पर नियंत्रण लगाने का आदेश दिया। यह प्रतिबंध मुख्यतः दो प्रमुख वजहों से लगाया गया: प्रदूषण और आम जनता की सुरक्षा। कुछ राज्यों में तो पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है, जबकि कुछ जगहों पर ग्रीन पटाखों की अनुमति दी गई है, जो कम प्रदूषण फैलाते हैं।
सामाजिक दृष्टिकोण और बदलती सोच:
अब समय आ गया है कि हमें पटाखों से जुड़ा अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। पटाखे सिर्फ आनंद का साधन नहीं, बल्कि हमारे आस-पास के पर्यावरण को बदलकर रख देते हैं। आज के समय में हमारे पास कई विकल्प हैं, जैसे कि LED लाइट्स, इलेक्ट्रॉनिक फायरवर्क्स, और साउंडलेस लाइट शो, जो दिवाली के उत्साह को बिना प्रदूषण के बढ़ा सकते हैं।
साथ ही, हमें यह भी समझना होगा कि त्योहार का असली महत्व हमेशा रोशनी, खुशी और प्यार फैलाने में है, न कि प्रदूषण या शोर का हिस्सा बनने में।
पटाखों पर बैन के फायदे:
- हवा की गुणवत्ता में सुधार – पटाखों पर बैन लगने से हवा की गुणवत्ता सुधरेगी, जो लंबे समय में हम सभी के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होगा।
- शोर प्रदूषण में कमी – इससे लोगों, जानवरों और पर्यावरण सभी को शांति मिलेगी।
- दृश्य सौंदर्यता – इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि बिना आतिशबाजी के भी हम दिवाली को उतनी ही सुंदरता के साथ मना सकते हैं। दीये, मोमबत्ती और रंगोली से त्योहार का असली आकर्षण कभी कम नहीं होता।
निष्कर्ष:
पटाखों पर बैन लगाना केवल एक नियंत्रण नहीं है, बल्कि यह हमें एक अच्छी जीवनशैली और बेहतर पर्यावरण की ओर ले जा रहा है। अगर हम इस प्रक्रिया को समझेंगे और इसका समर्थन करेंगे, तो हम स्वस्थ और प्रदूषण-मुक्त त्योहार का आनंद ले सकते हैं। हर किसी का कर्तव्य है कि अपने आस-पास के पर्यावरण को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए, और पटाखों पर बैन इसमें पहला कदम है।