पागल मन फिर बुन रहा सपनों का संसार
समीक्षक :एम.एम.चन्द्रासामान्य सेसामान्य लोग चाहे वो अमीर हो या गरीब, शहरी हो या देहाती, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़,सभी को कुछ याद हो या न हो कबीर के दोहे जरूर याद होंगे. ये दोहे आज भी समाज मेंबड़े पैमाने पर बोले और गाए जाते हैं और भविष्य में भी गाए जाते रहेंगे.पिछले कुछ दशकोंसे हिंदी साहित्य में विभिन्न विध