12 अगस्त 2018
कलम के सिपाही की विरासत को यूँ बदनाम ना करो, सिपाही हो कलम के तुम यूँ किसी के प्यादे ना बनो.ये दो लाइने कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद को समर्पित है, और उन पत्रकारों , लेखकों, कवियों और शायरों को उनका धर