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बस रो रहा हूँ मैं !

24 जनवरी 2017

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पाया था मैंने

यहीं कहीं पर
यहीं पर उसे
अब खो रहा हूँ मैं !!

हर रिश्ता मुझे
बोझ लगने लगा
जाने क्यूँ उसे
अब ढो रहा हूँ मैं !!

मेरे हृदय से यूँ ही
शेष हो रहा प्रेम है
बेरुखी- नफ़रत ही
अब बो रहा हूँ मैं !!

सुख की घड़ियाँ
बीती हुयी बात है
अब तो मनमौजी
बस रो रहा हूँ मैं !!

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