लेखक दो पुस्तकें प्रकाशित काव्य एवं गज़ल संग्रह "अंकुरण" एवं "बनारसी पान" अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध
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ना इधर सोचना, ना उधर सोचना मेरे बारे में तुम हाँ मगर सोचना सोचना उठ के रातों को तारे लिए दिन जो गुजरे अगर दोपहर सोचना बेवजह, बेअसर, बेखबर मत रहो शेर मुमकिन है तुम इक बहर सोचना इससे अच्छा कि लफ