मैं राजेंद्र मलखट हिंदी कहानी कविता उपन्यास नाटक निबंध और गीत आदि लिखता हूं। आप से निवेदन है कि मेरी रचनाओं को पढ़ें और सुझाव देकर मेरा हौसला बढ़ाएं। धन्यवाद टीम शब्द डॉट इन
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अब तक आपने पढ़ा दुर्योधन अमीरचंद से फोन पर आलोक के बारे में बातें करते हैं उन्हें घर से निकालने की मंत्रणा करते हैं अब आगे...आलोक अमीरचंद से विनती करते हुए कहता है "बाबूजी आप किसी के बहकावे में आकर मु
अब तक आपने पढ़ा कि शिखा विवेक से मिलने थाने जाती है । कुछ दिनों बाद अदालत में फैसला सुनाने का दिन आता है तब दोनों पक्ष के सदस्य वहां मौजूद होते हैं । दोनों पक्षों के वकील भी थे और जज साहब उ
अब तक आपने पढ़ा कि विवेक किसी लड़की को छुड़ाने के लिए कॉलेज से दीवार फांद कर गुंडे के पीछे भागता है अब इससे आगे... विवेक अपनी बाइक लेकर उनका पीछा करता है प्रोग्राम के वक्ता ने उसी वक्त अनाउ
अब तक आपने पढ़ा कि आलोक अपने घर से अंकल अमर से बचने के लिए भागता है लेकिन रास्ते में वह गिर जाता है तभी रसिया नाम का पोस्टमैन उसे संभालता है और अस्पताल में एडमिट करवाता है...अब वर्तमान दृश्य में आलोक
पिछले भाग में अपने जाना कि विवेक के पिता रामदास को कुछ गुंडों ने घायल करके जंगल में फेंक दिया था उसके बाद पोस्टमैन रसिया नाम का व्यक्ति उसे अपनी साइकिल छोड़कर किसी टैक्सी पर अस्पताल पहुंचाता है ।वह मन
आलोक को किसी कारणवश चोट लग गई थी । वह अब अस्पताल में बेड पर दीवार से सटकर बैठा हुआ है और उसके साथ डॉक्टर कमलकांत बातचीत करते हुए बोले , '' बेटे अब तुम ठीक हो गए हो लेकिन पूरी तरह से नहीं तुम्हें