shabd-logo

शिखा और विवेक की दोस्ती

28 जुलाई 2022

20 बार देखा गया 20
अब तक आपने पढ़ा कि विवेक किसी लड़की को छुड़ाने के लिए कॉलेज से दीवार फांद कर गुंडे के पीछे भागता है अब इससे आगे...  

विवेक अपनी बाइक लेकर उनका पीछा करता है प्रोग्राम के वक्ता ने उसी वक्त अनाउंसमेंट किया अरे विवेक कहां जा रहे हो ? कहां गया है वह ? 

सभी लोगों में थोड़ी हलचल मच जाती है तभी चकरी दादा जो कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे और इस कहानी के विलेन भी वह बीच में बोलता है अरे श्रीमान जी उनका ही कोई खास काम होगा आप अपना प्रोग्राम चलने दीजिए वह खुद आ जाएगा । 

इधर विवेक उन गुंडों के पीछे भागता है और जो वह लड़की लेकर भागे थे वह असल में चकरी दादा के ही दोनों बेटे आपा और थापा थे । 

वह लड़की डॉक्टर गजेंद्र की बेटी शिखा थी उनका मुंह किसी कपड़े से ढक रखा था भागते भागते रास्ते में आपा अपने भाई से कहता है अरे थापा यह कौन मुसीबत हमारे पीछे पड़ गई है ? तुम ऐसा करो गाड़ी शॉर्टकट ले लो । 

शिखा चिल्लाती है अरे छोड़ दो मुझे कहां ले जा रहे हो ?तुम मुझे छोड़ दो । 
आपा छेड़खानी करता हुआ बोला अरे छोड़ देंगे तुझे सुंदर बाला पहले हवस तो पूरी कर लें । 

गाड़ी को वह संकरे रास्ते से ले चलता है जबकि विवेक भी शॉर्टकट रास्ते से अपनी बाइक गाड़ी के बराबर ले आता है वे दोनों विवेक को मारने का भरसक प्रयास करते हैं किंतु वह मार नहीं खाता 
फिर विवेक अपने पैंतरे से ड्राइवर थापा को गाड़ी से नीचे गिरा देता है अब ड्राइवर की सीट पर आपा संभालता है 

इधर थापा को पीछे से आता हुआ एक कुत्ता काटने लगता है किसी तरह वह अपनी जान बचाकर भागने में सफल हो जाता है इधर विवेक अपनी बाइक छोड़कर गाड़ी पर आ जाता है और आपा से मारधाड़ करता है फिर आपा को गाड़ी से लटकता हुआ छोड़कर शिखा के मुंह से कपड़ा हटाता है तो वह एकटक देखता ही रह जाता है । 

शिखा बहुत ही खूबसूरत बहुत ही सुंदर लड़की थी । उसी वक्त विवेक उन पर मोहित हो जाता है वह उनके हाथ भी नहीं खोल पाता सिर्फ टकटकी लगाकर देखता ही जाता है 

तभी आपा थोड़ा संभल कर विवेक को थप्पड़ मारता है फिर विवेक क्रोध में होकर गाड़ी का ब्रेक दबाता है जिससे किनारे पर बैठा आपा धरती पर जा गिरता है । 

शिखा अपने हाथ स्वयं ही खोल लेती है फिर उन दोनों में खूब मारधाड़ होती है आपा गुस्से में कूदकर विवेक को मारने की कोशिश करता है किंतु उस समय विवेक वहां से हट जाता है और आपा उस पत्थर पर पढड़कर घायल हो जाता है । 
तब विवेक और शिखा की नजरें एक हो जाती है कुछ समय के लिए वे एक दूसरे को देखने लग जाते हैं और शायद मन ही मन एक दूसरे की खूबसूरती को निहार रहे थे तभी चुप्पी तोड़कर शिखा हैंडसप करने हाथ आगे बढ़ा कर कहती है हाय ! व्हाट्स योर नेम ? 
विवेक शर्माते हुए बोला मेरा नाम विवेक है मैं आर्य कॉलेज में पढ़ता हूं शायद तुम को कहीं देखा है शिखा हंस कर बोली मैं तो तुम्हें जानती हूं लेकिन तुम मुझे नहीं जानते । मैं भी आर्य कॉलेज में पढ़ती हूं । 

विवेक खुशी से बोला यह तो बहुत अच्छी बात है तब तो हमारी दोस्ती खूब जमेगी और हाथ आगे बढ़ा देता है शिखा भी उनसे हाथ मिलाती है तब विवेक ने कहा तो चलें ! 

पर शिखा बोल पड़ी मेरा नाम नहीं जानोगे तब विवेक ने कहा अरे मैं तो भूल ही गया ‌। 
शिखा ने अपना नाम बता दिया और बोली मैं डॉक्टर गजेंद्र की बेटी हूं विवेक बोला बहुत अच्छा मैं इंद्रपुर से रामदास का बेटा हूं । 
आओ गाड़ी में बैठो हम वापस चलते हैं । वे दोनों गाड़ी में बैठते ही हैं तभी वही कुत्ता पीछे से आता हुआ दिखाई देता है जिसने थापा को घायल किया था वह कुत्ता शिखा का ही होता है शिखा कुत्ते को देखकर कहती है अरे मेरा शेरू आ गया विवेक बोला कहां है तुम्हारा शेरू मुझे तो दिखाई नहीं दे रहा कोई बॉयफ्रेंड है क्या ? 
शिखा ने हंस कर कहा अरे नहीं मेरे कुत्ते का नाम शेरू है शेरू गाड़ी में पीछे बैठ जाता है विवेक गाड़ी ड्राइव करता है दोनों में काफी प्यार भरी बातें शेयर होती हैं । 

शिखा ने विवेक से बड़े ही प्यार से कहा तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो तुमने मुझे गुंडों से छुड़ाया बहुत ताकतवर हो आई लाइक यू । 

विवेक बोला ताकतवर होना कोई जरूरी नहीं मुझे अकलमंद कहो शिखा आश्चर्य से बोली क्यों ! तब विवेक ने कहा अरे ताकतवर तो वे लोग भी थे पर काम अक्ल से चलता है कभी-कभी बहादुरी भी काम आती है पर उस पर भी अक्ल से ही काम चलाना पड़ता है तो अक्लमंद होना जरूरी भी है ना ! 

शिखा बोली अरे रुको तो लेकिन विवेक अपनी बातों में खोया हुआ बोला जिंदगी की गाड़ी कभी रुकती नहीं है शिखा चाहे लाख मुसीबत ही क्यों ना आ जाए । 

शिखा ने कहा लेकिन घर आ गया है मेरा तभी विवेक ब्रेक लगाकर बोला कहां ? 
शिखा ने कहा वह रह गया पीछे ग्रीन कलर वाला विवेक ने सॉरी बोलते हुए कहा अरे मैं तो बातों-बातों में भूल ही गया था । 
वह गाड़ी थोड़ी पीछे ले जाकर शिखा को छोड़ता है । शिखा उसे जाते हुए पूछती है अरे विवेक चाय पी कर जाना विवेक बोला मुझे जाना जरूरी है शिखा फिर कभी भी आऊंगा विवेक गाड़ी को आर्य कॉलेज पार्क में ले जाकर खड़ी कर देता है और चल रहे एनुअल फंक्शन में फिर से शामिल हो जाता है । 

वक्ता उस वक्त बोलते हुए कह रहा था तो प्यारे दर्शकों आज का प्रोग्राम बड़ा अच्छा रहा कार्यक्रम के समापन में मैं यही कहना चाहता हूं कि... ! 
तभी वह बोलते बोलते बीच में रुक जाता है क्योंकि विवेक का प्रवेश होता है ।
वक्ता विवेक से कहते हैं अरे विवेक पहले तो तुम सूटेड बूटेड थे और अब तुम ने यह क्या हाल बना रखा है बाल उलझे हुए हैं और जगह-जगह पर चोट के निशान हैं । 

तभी बीच में चकरी दादा सभा में खड़े होकर बोलने लग जाता है अरे मास्टर साहब यह गाड़ी तो मेरे बेटे आपा और थापा की है इसके पास कैसे आई ? 

वक्ता ने भी कहा सारी सभा में इसी की चर्चा हो रही है । विवेक बोला आप सभी मुझे इस तरह से क्यों देख रहे हो यदि मैंने अनुशासन भंग किया है तो मैं माफी चाहता हूं । 

वक्ता बोले कारण तुम्हारा अनुशासन का नहीं बल्कि सभा से अचानक उठकर जाना चकरी दादा की गाड़ी तुम्हारे पास होना बाल खड़े उलझे हुए होना और कपड़े धूल से भरे होना इसका मतलब क्या है ? 

चकरी दादा बोले अबे ओ लड़के तू सच सच बता क्या कर के आया है ? विवेक बोला गुंडों को पीट कर आया हूं एक लड़की को छेड़ रहे थे तंग कर रहे थे चकरी दादा ने क्रोध में कहा कितने आदमी थे ? 

विवेक बोला दो आदमी थे । चकरी दादा ने कहा क्या उनका आपा और थापा नाम था ? 
विवेक ने जवाब दिया हां शक्ल सूरत से तो ऐसे ही लग रहे थे पर आप क्यों पूछ रहे हो चकरी दादा ? 

अब चकरी दादा बोले हरामजादे वे दोनों मेरे बेटे आपा और थापा है मैं इस एरिया का मुखिया हूं मुझे विशेषकर अतिथि के तौर पर यहां बुलाया गया है । 

विवेक बोला मैं जानता हूं लेकिन मैं क्या करूं मेरे से अत्याचार देखा नहीं जाता । चकरी दादा बोले सजा देने वाले तुम कौन होते हो ? 
विवेक ने कहा उन्होंने काम ही ऐसा किया था तुम्हारी आंखें शर्म से झुक जाएगी । आपके बहादुर बेटे लड़की के साथ बदतमीजी कर रहे थे । 

मैंने लड़की को बचाने की कोशिश की और उन्होंने मुझे मारने की कोशिश की तो बताइए मैं फिर क्या करता ? एक तो बच गया साला मेरे हाथों से । 
तभी उस सभा में थापा आ जाता है । थापा पहलवान था और अपने पिता से बोला पापा यह लड़का झूठ बोल रहा है हमें उस लड़की के साथ कोई बदतमीजी नहीं की बल्कि उस लड़की ने लिफ्ट मांगी थी और इसने गलत समझ लिया कि हम उसके साथ बदतमीजी कर रहे हैं लेकिन इन दोनों का आपस में कुछ चक्कर भी है शायद बचने के लिए ऐसा बोल रहे होंगे । 

विवेक बोला सर यह तो हकीकत नहीं है उन्होंने अभी-अभी झूठी कहानी बनाकर आपके सामने पेश की है । उस लड़की ने कोई लिफ्ट नहीं मांगी बल्कि उन्होंने जबरदस्ती से यहीं से उठाया था । 
वह लड़की कोई और नहीं सर इसी कॉलेज में पढ़ने वाली शिखा है दर्शकों में थोड़ी हलचल सी मच जाती है । 

तभी चकरी दादा बोले बकवास बंद कर क**** मेरा नाम चकरी दादा है मेरे बेटे कोई मुजरिम साबित हो यह मुझे बर्दाश्त नहीं होता और तुम उसे साबित कर दोगे यह मैं होने नहीं दूंगा । 

विवेक बोला लेकिन वह लड़की किसी सबूत से कम नहीं है  चकरी दादा ने कहा अरे वह कमीनी पागल डायन क्या सच बोलेंगी जिसने मेरे बेटों के साथ खिलवाड़ किया है वेश्या होगी कोई । 
विवेक गुस्से में आकर बोला हरामजादे यह क्या बोल रहा है तू । 
चकरी दादा ने कहा साले दो टके की औलाद मेरे बेटों को पीटकर बड़ा रोब जमा रहा है मैं तुझे नहीं छोडूंगा ! 
चकरी दादा उनसे हाथापाई करने के लिए आगे बढ़ता है 

इधर विवेक के पास ही पीछे खड़ा थापा चुपके से विवेक के बेल्ट में चाकू छिपा देता है और उन्हीं का कोई कैमरामैन आदमी उसकी चुपके से फोटो ले लेता है । 

विवेक वक्ता से कहता है सर आप इसे कुछ कहते क्यों नहीं वक्ता बोले विवेक मैं क्या समझाऊं किस को समझाऊं यह जरूरी नहीं कि तुमने कुछ नहीं किया । 
विवेक अचंभे से बोलता है सर मैं...  

वक्ता ने कहा हां तुम तुम्हारे बेल्ट में देखो तुम ने चाकू जो छुपा रखा है । विवेक आश्चर्य से बोला क्या ! 
जैसे ही वह चाकू निकालकर आंखों के सामने करता है तभी आपा अपने कैमरामैन आदमी से फोटो खींचने का इशारा करता है । 
विवेक बोला साले क**** मेरी फोटो खींचता है मेरे खिलाफ सबूत इकट्ठे करता है शहर वालों देख लिया आप लोगों ने यह दो पैसे वाले चकरी दादा के चमचे मेरी फोटो खींचते हैं । रुक तेरी तो मैं अभी खबर लेता हूं ! 

विवेक भागकर कैमरामैन की तरफ बढ़ता है तभी आपा उनसे फिर से मारधाड़ करता है चकरी दादा कैमरामैन से बोले रुको मत खींचते रहो साले की फोटो मैं क्या कह रहा हूं समझते हो ना । 
फोटोग्राफर बोला जी दादा । 
वक्ता ने कहा रुक जाओ विवेक इन दोनों से तुम पंगा मत लो मान लो कि तुमने गलती की है मैं तुम्हें भटकते हुए नहीं देख सकता । 
विवेक बोला मैं गलत हूं ! मैं गलत नहीं हूं सर । वक्ता बोले सिर्फ कहने मात्र से तुम नहीं बच सकते और ना ही कोई सबूत सिद्ध कर सकते हो । 
विवेक बोला फिर भी कायर की जिंदगी जीना मेरे बस की बात नहीं वैसे आप मुझे जानते हुए भी मेरा सहयोग क्यों नहीं कर रहे हो ? 
तो वक्ता ने विवेक से कहा विवेक मैंने सदैव तुम्हारा भला सोचा है फीस तक तुम्हारी माफ की और मन में न जाने क्या-क्या सहयोग था तुम्हारे लिए मैंने हर वक्त हर कदम पर तुम्हारा साथ दिया है । 

विवेक ने आश्चर्य से कहा और आज... आज आप कैसे बदले आपको क्या मिल जाएगा ! 

चकरी दादा बोले अरे मास्टर तुम क्यों इससे बेकार में झगड़ते हो मैं ही निपटता हूं इससे तो । क्यों रे छोरे बड़ी ऊंची आवाज में बोल रहा है तू ! 

हां बोलूंगा जो अत्याचार करेगा भ्रष्टाचार फैला आएगा दादागिरी करेगा उसके खिलाफ बोलूंगा । 
चकरी दादा भाग कर सामने आता है और गुस्से में कहता है अबे तू हमारे खिलाफ बोलेगा कुत्ते की औलाद ! 

पीछे धकेल देता है विवेक ने भी गुस्से में कहा अबे तेरी तो रुक ! 
फिर दोनों में मारधाड़ होती है अंत में विवेक उन को काबू में कर लेता है जब चकरी दादा के पैंतरे नहीं चलते तो वह विवेक को ललकारता हुआ चला जाता है । 
देख लूंगा तुझे तो मैं हरामजादे ! 

विवेक बोला हां हां देख लेना दादा चकरी और थापा जी तुम भी । 
ऐसे एक दूसरे को धमका कर अपने अपने घर चले जाते हैं 

इधर पुलिस इंस्पेक्टर युवाकिशन विवेक के घर दरवाजा खटखटाते हैं तब दीना मां की आवाज आई कौन है अभी आई । 
फिर दरवाजा खोल कर आश्चर्य व्यक्त करती है पुलिस !  

पुलिस इंस्पेक्टर युवाकिशन बोले विवेक यही रहता है ? 
दीना मां ने जवाब दिया हां रहता तो यहीं है पर बात क्या है इंस्पेक्टर बोले इस घर की हम तलाशी लेना चाहते हैं ।  दीना मां ने कहा क्यों ? 

इंस्पेक्टर बोले क्योंकि पिछले कुछ महीनों से एक मुजरिम पुलिस की नजरों से फरार है तो अब उनका नाम पता मालूम हो गया है । 

दीना मां ने पूछा कौन है ? वह इंस्पेक्टर बोला विवेक । 

अन्य सभी स्टाफ से वह घर की तलाशी लेने के लिए कहता है दीना मां बोली क्या ? मेरा बेटा विवेक मुजरिम है ! 

पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा हां है और भी कई राज है जो सामने आ जाएंगे मैंने कहा नहीं मेरा बेटा मुजरिम नहीं हो सकता वह कोई अपराध नहीं कर सकता । 
वह तो भोला-भाला और इमानदार है आपको गलतफहमी हुई है । 

इंस्पेक्टर बोला गलतफहमी मुझे नहीं आपको हुई है यह देखो फोटो दिखाते हुए जिसमें विवेक थापा को मारने की कोशिश करता हुआ दिखाई दे रहा है ध्यान से देखो इस फोटो में इनके हाथ में चाकू है । ऐसा इंस्पेक्टर ने कहा । 

दीना मां बोली आपको कैसे पता चला ? 
इंस्पेक्टर बोला उनका कॉलेज से अचानक प्रोग्राम छोड़कर चले जाना और चकरी दादा की गाड़ी ले आना बाल बिखरे होना पास में चाकू होना यह सब क्या है यह प्लेट देख रही हो ? 

दीना मां ने कहा यह तो उनके मोटरसाइकिल के नंबर है । हे भगवान क्या सच है क्या झूठ है कुछ भी समझ में नहीं आता । 
इसी वक्त विवेक का घर में प्रवेश होता है विवेक ने आश्चर्य से कहा मां हमारे घर में पुलिस ! 
मां बोली जैसे तू तो कोई विदेश से आया है जानता ही नहीं है । 
एक कांस्टेबल बोला सर यह कमरा बंद पड़ा है बाकी सब तो चेक कर लिए किसी में कुछ नहीं मिला । 
इंस्पेक्टर ने विवेक से कहा तुम्हारा ही नाम विवेक है ना ?  

विवेक ने कहा जी लेकिन आप यहां... इंस्पेक्टर हंसकर बोले लो मुझे कौन नहीं जानता लगता है तुम घर से बाहर नहीं निकलते आय एम युवाकिशन पुलिस इंस्पेक्टर । 

विवेक बोला यहां मेरे घर किस लिए इंस्पेक्टर ने कहा बहुत भोला बनते हो उस बंद कमरे की चाबी दो । दीना मां बीच में ही बोल पड़ती है चाबी लेकर क्या करोगे साहब ? क्यों हमारे पीछे पड़े हो क्यों बेकार में आप अपना समय बर्बाद कर रहे हो ? 

इंस्पेक्टर ने कहा टाइम वेस्ट मैं नहीं तुम कर रहे हो । चाबी दो जल्दी से ! 
दीना मां चाबी दे देती है कमरा खोलने के बाद इंस्पेक्टर बोले यह वही मोटरसाइकिल है ना जिस पर तुमने आपा और थापा का पीछा किया था । 
विवेक ने कहा लेकिन इसका मतलब क्या है आपका ! मैं कोई मुजरिम हूं ? इंस्पेक्टर स्टाफ से कहता है चलो बाइक निकालो और थाने ले चलो । 

विवेक बोला ऐसे कैसे ले जा सकते हो छोड़ो इसे वह छुड़ाने का प्रयास करता है लेकिन कांस्टेबल्स उसे पकड़ लेते हैं । 

इंस्पेक्टर ने कहा अरे मैं तो इसे क्या तुझे भी थाने ले जाऊंगा इसे भी गाड़ी में डाल दो । 
दीना मां बोली देखो साहब ऐसा मत करो मेरे बेटे पर इतना बड़ा जुल्म मत लगाओ मैं समझा दूंगी उसे । 
इंस्पेक्टर बोला अब समझाने से क्या फायदा है यह केस भी अदालत तक जाएगा आपके लाडले ने चकरी दादा से पंगा लिया है और उसके साथ पंगा लेना अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारने जैसा है । चलो रे सभी कॉन्स्टेबल ! वह कॉन्स्टेबल को कहता है । 

दीना मां बोली अरे नालायक तुम भी उसी चकरी दादा के चमचे हो ना ! अरे मेरे बेटे को तो भगवान है बचाने वाला लेकिन तुम्हें कौन बचाएगा कमीनों ! 
जाते-जाते विवेक मां से कहता है मां तुम चिंता मत करना मैं आ जाऊंगा ।  
घर से थोड़ी दूर जाते ही इंस्पेक्टर के पास चकरी दादा का फोन आता है इंस्पेक्टर उठाकर बोले हेलो कौन ? 
अरे चकरी दादा कैसे हो ? चकरी दादा बोले अभी तो मैं ठीक हूं इंस्पेक्टर । उस नालायक का क्या हुआ अरेस्ट किया क्या ? 

इंस्पेक्टर ने कहा वह तो होगा ही फिर पंगा किसके साथ लिया है उन्होंने । 
चकरी दादा बोले ठीक है तब तो बड़ा मजा आएगा इंस्पेक्टर तभी तो लोग मुझे चकरी दादा कहते हैं अब उसे बर्बाद करने का मजा तो अदालत में आएगा । उन सबूतों और गवाहों का क्या हुआ ? 

इंस्पेक्टर बोला एकदम सुरक्षित है चिंता मत करो । विवेक ने गुस्से में कहा हरामजादे चकरी दादा कानून की मदद लेता है गैर कानूनी तरीके अपनाता है हिम्मत है तो अकेले में आ  

चकरी दादा उनकी बातें सुनकर हंसता है और बोलता है हम क्या भैंसें हैं जो मैदान में लड़े ! अदालत में लड़ेंगे तो मजा आएगा । अभी थाने जाओ बच्चे । फोन काट देता है । 

इधर शिखा विवेक से मिलने उनके घर गाड़ी लेकर आती है वह दरवाजे की बेल जाती है तब दीना मां आ कर कहती है कौन है आई । दीना मां के दरवाजा खोलते ही शिखा दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते करती है विवेक की मां उन्हें आशीर्वाद देती है और घर के अंदर ले जाती है । 

शिखा ने शर्माते हुए पूछा विवेक घर में है दीना मां बोली घर में नहीं है...  मैंने तुम्हें पहचाना नहीं बेटी । 
शिखा ने अपना नाम बताया और बोली मैं और विवेक एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं । कल उसके साथ जो घटना हुई वह मेरी वजह से ही हुई थी मैं आपसे माफी मांगने आई हूं । 

दीना मां ने पूछा क्या हुआ था तुम्हारे साथ ? तब शिखा ने बताया कि गुंडे बदमाश मुझे जबरदस्ती गाड़ी में चढ़ा कर ले जाने लगे लेकिन विवेक की नजरों से बच नहीं सके । उन्होंने उनका पीछा किया और मुझे छुड़ाया इसी वजह से उन्हें तकलीफ देने पर माफी मांगने आई हूं । 

मां ने कहा मैं सोच रही थी वह बुरा नहीं हो सकता फिर तो । 

पर बेटी उन्होंने चकरी दादा के बेटों के साथ हाथापाई की है वह उन्हें कैसे छोड़ेगा वह तो इस शहर का नामी गिरामी गुंडा है । 
शिखा बोली जानती हूं आंटी लेकिन विवेक अभी कहां है ?  दीना मां ने कहा उसे पुलिस पकड़ कर ले गई । शिखा ने आश्चर्य से कहा क्या ! 

लेकिन क्यों ? दीना मां बोली यह तो कोई चकरी दादा की चाल लगती है कह रहे थे अदालत में विवेक को मुजरिम साबित करेंगे । 
अब क्या करें बेटी कोर्ट में चक्कर काटने की हिम्मत भी चकरी दादा के सामने नहीं है बेटी । 

शिखा ने कहा चिंता मत करो आंटी मेरे पिताजी डॉक्टर गजेंद्र हैं उनके एक दोस्त हैं जेपी नायक । 
हम उनसे बात करेंगे और आप पैसों की चिंता बिल्कुल भी मत करना । 
दीना मां कहती है मुझे तुम पर भरोसा है बेटी और भगवान पर भी । विवेक को जरूर न्याय मिलेगा । 

शिखा बोली अब चलती हूं माजी मैं भी थाने । विवेक से मिलने जा रही हूं । 
दीना मां ने उसे चाय पीने के लिए और रुक जाने के लिए कहा लेकिन शिखा जल्द ही विवेक से मिलना चाहती थी । और विवेक से मिलने के लिए वह बेचैन थी । वह जाती जाती कहती जाती है नहीं आंटी देर हो जाएगी सॉरी । 
इतना कहते ही वह वहां से चली जाती है । 

क्या शिखा और विवेक अदालत में जीत पाएंगे ? और इधर आलोक तथा इंदु का प्रेम कैसे परवान चढ़ता है ? 
यह सब जाने के लिए पढ़ें शब्द डॉट इन एप्प पर उपन्यास "आखिर पा ही लिया प्यार" का पांचवां भाग।

Rajendra Nayak की अन्य किताबें

1

दर्दभरा बचपन

25 जुलाई 2022
0
0
0

आलोक को किसी कारणवश चोट लग गई थी । वह अब अस्पताल में बेड पर दीवार से सटकर बैठा हुआ है और उसके साथ डॉक्टर कमलकांत बातचीत करते हुए बोले , '' बेटे अब तुम ठीक हो गए हो लेकिन पूरी तरह से नहीं तुम्हें

2

रंजिशें

25 जुलाई 2022
0
0
0

पिछले भाग में अपने जाना कि विवेक के पिता रामदास को कुछ गुंडों ने घायल करके जंगल में फेंक दिया था उसके बाद पोस्टमैन रसिया नाम का व्यक्ति उसे अपनी साइकिल छोड़कर किसी टैक्सी पर अस्पताल पहुंचाता है ।वह मन

3

आओ पार्क में घूमने चलें

26 जुलाई 2022
0
0
0

अब तक आपने पढ़ा कि आलोक अपने घर से अंकल अमर से बचने के लिए भागता है लेकिन रास्ते में वह गिर जाता है तभी रसिया नाम का पोस्टमैन उसे संभालता है और अस्पताल में एडमिट करवाता है...अब वर्तमान दृश्य में आलोक

4

शिखा और विवेक की दोस्ती

28 जुलाई 2022
0
0
0

अब तक आपने पढ़ा कि विवेक किसी लड़की को छुड़ाने के लिए कॉलेज से दीवार फांद कर गुंडे के पीछे भागता है अब इससे आगे... विवेक अपनी बाइक लेकर उनका पीछा करता है प्रोग्राम के वक्ता ने उसी वक्त अनाउ

5

सबूत और सज़ा

31 जुलाई 2022
0
0
0

अब तक आपने पढ़ा कि शिखा विवेक से मिलने थाने जाती है । कुछ दिनों बाद अदालत में फैसला सुनाने का दिन आता है तब दोनों पक्ष के सदस्य वहां मौजूद होते हैं । दोनों पक्षों के वकील भी थे और जज साहब उ

6

इंदु को आलोक से प्यार

2 अगस्त 2022
0
0
0

अब तक आपने पढ़ा दुर्योधन अमीरचंद से फोन पर आलोक के बारे में बातें करते हैं उन्हें घर से निकालने की मंत्रणा करते हैं अब आगे...आलोक अमीरचंद से विनती करते हुए कहता है "बाबूजी आप किसी के बहकावे में आकर मु

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए