shabd-logo

राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार!!

15 नवम्बर 2021

16 बार देखा गया 16

एक दिन देश के यशश्वी प्रधानमंत्री जी ने राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार को हॉकी के जादूगर श्री ध्यानचंद जी के नाम पर रखकर देश को फिर से एक बार विश्वगुरु बनाने की राह में एक कदम और आगे बढ़ा दिया!

इसके लिए देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी को तहे दिल से बधाई और ढेर सारी शुभकामनायें भी!

और प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शिता को प्रणाम भी क्यों की उसके ठीक दूसरे दिन ही नीरज चोपड़ा ने देश को स्वर्ण पदक दिलाया हालाँकि उसमे नीरज चोपड़ा का कोई योगदान नहीं था, क्यों की सोचिये जरा! क्या मोदी जी राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार को अगर ध्यानचंद जी का नाम नहीं देते तो क्या ये संभव हो पाता?

नहीं न !

सही कह रहे हैं आप बिलकुल संभव नहीं था बस ऐसे ही दूरदर्शी व्यक्ति की जरुरत थी इस देश को जो माननीय प्रधानमंत्री जी के रुप मे अब भारत को प्राप्त हो गया है। 

खैर छोड़िये इस पर अगर चर्चा करने हम बैठ गए तो पूरा दिन कब नदारद हो जायेगा पता भी नहीं चलेगा, वो शख्शियत ही ऐसे हैं। 

खैर उनके खेल रत्न पुरस्कार के नाम बदलने के ऐलान के तुरंत बाद मध्य प्रदेश के ग्वालियर के महाराज जो पहले कांग्रेस के कर्ताधर्ता थे वो, और अभी वो देशसेवा के उद्देश्य से भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हो गए हैं जो की वो कांग्रेस मे रहते हुए नही कर पा रहे थे हालाकि उनके पिता जी मे देश सेवा की भावना नही थी (क्यों की कांग्रेस में जो रहे थे )

उनने (ज्योतिरादित्य जी ने) ट्वीट किया की राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर ध्यानचंद जी के नाम पर करने का मोदी जी का यह अत्यंत  सराहनीय कदम है!

उसके तुरत बाद मैंने एक ट्वीट किया उनको ही की, राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार ही नाम रहने देने में क्या बुराई थी महाराज। 

उनका तो कोई जबाब नहीं आया पर उनके कुछ समर्थको के जबाब मुझे आने लगे उनमे से कुछ जो मुझे ठीक लगे मै बताता हूँ आपको पढियेगा अच्छा लगेगा आपको भी....

राजीव गाँधी ने क्या किया है देश में खेलों लिए??

फिर  मैंने कोई जबाब तो नहीं दिया पर सोचा की शायद मोदी जी ने रणजी ट्रॉफी तो जरूर खेला होगा कम से कम तभी तो उनके नाम पे क्रिकेट स्टेडियम बनाया गया है देश मे। 

दुसरा ट्वीट ज्यादा होशियार बनोगे तो घुसेड़ देंगे?

मै समझा ही नहीं क्या और कहा घुसेड़ने की वो बात कर रहे थे तो मैंने उनका कोई जबाब देना ठीक नहीं समझा। 

तीसरा पसंदीदा ट्वीट राहुल गाँधी बहुत पसंद है तो बेटी ब्याह दे अपनी!

तो इसका मैंने सोचा जबाब दे दूँ तो मैंने उनको कहा एक तो मेरी कोई बेटी नहीं है अब अगर हो भी गई तो आप बताइये क्या उसका विवाह राहुल गाँधी से करना उचित होगा इस पर भड़क गए,वो फिर गुस्से में बिलबिला कर बोले ग्वालियर आ फिर बताता हूँ तुझे की क्या ठीक होगा और क्या नहीं?

अब मुझे उनसे बात करने में मजा आने लगा था मैंने बहुत शांत होते हुए फिर कहा की भइया मुझे ही पीटना भी है और मुझे ही ग्वालियर भी बुला रहे हो कुछ तो तुम भी करो यार। फिर मैंने  जबाब देना बंद कर दिया उनका।

आगे ग्राहक थे जो बोलते हैं जिनको इस पुरस्कार का नाम बदले जाने से दिक्कत है भगवान करे उन्हें राहुल गाँधी सा बच्चा हो!

अब देखिये सरकार जनसँख्या नियंत्रण कानून ला रही है और ये मुझे एक और बच्चा करने को कह रहे हैं क्योंकि मेरा बच्चा जो अभी है वो राहुल गाँधी जैसा है नहीं फिर उनकी तरह बच्चा होने के लिए मुझे करना पड़ेगा। 

सीधी सच्ची बात ये है की हालात ठीक नही है देश की, बोलने पे मनाही है, आप ज्यादा बोलेंगे तो घुसेड़ दिया जायेगा, अभी यही देश का चरित्र बनता जा रहा है कैसी बिडंबना है ये सरकार ऐसी है जिसमे सुनने का धैर्य नही है और हम सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र की बात कर रहे हैं !!!

हाँ खामोशी उसे भी कहते हैं,

जब कहने को बहुत हो पर हालात नही!!

सुशील पाण्डेय की अन्य किताबें

1

आप तो वैसे भी बहुत समझदार हैं।

15 नवम्बर 2021
0
0
0

<p><strong>पहले सीखो फर्क समझना, साकार और फिर साये मे!</strong></p> <p><strong>तब न्याय भी

2

दुनिया पागल हुई पड़ी है!

15 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>कहते हैं अकेलापन बहुत टीसता है, बहुत परेशान करता है, अकेलेपन के कारण ही हम पागल भी हो सकते है! ऐस

3

हमारे मानसिक बौनेपन का इलाज नहीं है कोई!!!

15 नवम्बर 2021
0
0
0

<p><strong>औरत अगर परिंदा बनती,</strong></p> <p><strong> &n

4

राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार!!

15 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>एक दिन देश के यशश्वी प्रधानमंत्री जी ने राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार को हॉकी के जादूगर श्री ध्या

5

कुछ तलाश में हूँ मै शायद !!

15 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>कुछ तलाश में हूँ मै, </p> <p>हाँ सच कुछ ढूंढ रहा हूँ वर्षों से,</p> <p>क्या खो गया है मेरा?&

6

नाली में रेंगते कीड़ो से ज्यादा कुछ नहीं।

15 नवम्बर 2021
1
0
0

<p><strong>लखीमपुर खीरी राजनितिक पर्यटन हो गया है?</strong></p> <p><strong>या लखनऊ से सियासत का पतन

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए