पहले सीखो फर्क समझना, साकार और फिर साये मे!
तब न्याय भी शायद कर पाओ तुम,अपने और पराये मे!!
आज मै विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट पढ रहा था हालांकि वो बहुत विश्वसनीयता तो नही रखता और ना ही मै भी बहुत समझ रखता हूँ अंतरराष्ट्रीय मामलो की पर, इस देश मे एक प्रथा है संयुक्त परिवार की, हाँ ये भी ठीक है कि हम पूरे विश्व को अपना परिवार ही समझते हैं पर फिर भी ठीक अपने पड़ोस मे रहने वाले को भुलाया नही जा सकता क्योकि हमारे यहां कहावत है ये कि बुरे वक्त मे पड़ोसी ही ज्यादा काम आते हैं अपेक्षाकृत दूर के पड़ोसी से, तो सीखाया गया है हमे पड़ोसियों से रिश्ता मजबूत रखना, आप भी तो भारत से ही हैं न प्रधानमंत्री जी? तो ये सब तो आपने भी घर मे ही सीख लिया होगा?
अब अगर हम तुलना करें तो मुझसे हजारो किमी दूर रहने वाला मेरा अपना भाई भी उतनी मेरी मदद नही कर सकता जितना मेरे एकदम करीब मे रहने वाला मेरा पड़ोसी, जिससे मेरी कोई रिश्तेदारी नही है।
जी हाँ प्रधानमंत्री जी मेरा इशारा अमेरिका-भारत के रिश्तों को मजबूत करने मे बर्बाद होती आपकी मेहनत पर ही केंद्रित है।
हम क्यों तरजीह दे रहें है इतना अमेरिका को? हमारे किस काम का है अमेरिका? हाँ ठीक है मै उतना समझदार तो नही हूँ की सब समझ जाऊँ पर कोशिश तो कर ही सकता हूँ समझने की, और उससे रिश्ता मजबूत करने के एवज मे क्या न्योछावर कर दिया हमने, इसका भी तो अंदाजा लगाना होगा न हमे सर? कभी हिसाब लगाया आपने? कभी हिसाब करने अगर बैठ गए आप तो सच मानिये श्रीमान, आप सर पीट लेंगे अपना, इतना भयंकर नुकसान हाथ लगेगा आपके।
देखिए कुछ नुकसान है जो मै समझ पा रहा हूँ वो बताता हूँ आपको, हो सकता एक विशाल देश की जिम्मेदारी होने की वजह से शायद फिसल गई हो बात आपके दिमाग से, ऐसा हो विश्वास तो नही होता फिर भी मै बताता हूँ जो मै समझ रहा हूँ।
भारत- पाकिस्तान रिश्ता: की अगर बात करें तो पाकिस्तान से हमारा रिश्ता हमेशा से खराब रहा है पर इस सरकार के दौरान मुझे ऐसा लगा जैसे सरकार किसी दुविधा मे है कि बात करना भी है कि नही? दोनो देशो के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिले, पर ना भारत मे और ना ही पाकिस्तान मे बल्कि तीसरे देश मे, कैसा संबंध हम बना रहे है? जिसकी बात हम दुसरों के घर मे बैठ के कर रहे हैं।
हमने सर्जिकल स्ट्राइक किया पर बताया उसको ऐसे जैसे पाकिस्तान का भयंकर नुकसान कर दिया और सवाल पुछने वालों आपने, इनको सेना की क्षमता पर शंका है कहकर चुप करा दिया, नही समझता मै मतलब ऐसी रिश्तेदारी का!
भारतीय विदेश नीति के जानकार श्री ब्रम्ह चेलानी जी ने ही तो बताया न की डोकलाम पर रणनीतिक तौर पर भारत की हार ही हुई है क्योंकि विवादित इलाके मे चीन अभी भी निर्माण कर रहा है और इसमे सबसे बड़ा नुकसान ये हुआ कि भूटान का भरोसा उठ गया हमसे।
भारत- नेपाल/बांग्लादेश/श्रीलंका/मालदीव रिश्ता: 2014 मे जब से आपकी सरकार बनी तब से लगातार भारत नेपाल संबंधो मे खटास बढ़ती जा रही है भले उसका कारण नये संविधान के मसले पर उत्तर प्रदेश और बिहार मूल के मधेशी ही क्यों ना रहे हों!
श्रीलंका मे चुनाव के बाद मैत्रीपाला राष्ट्रपति बने जो भारत के करीबी माने जाते रहें है आपने दो यात्रायें भी की पर हम्मनटोटा पोर्ट चीन के सुपुर्द कर दिया श्रीलंका ने जिसको लेकर बहुत विरोध भी हुआ आपका, अपने ही इलाके मे।
मालदीव मे चीन की जड़े पहले से और ज्यादा पुख्ता हुईं, हम अपने हेलिकॉप्टर तक नही रख पा रहे है और चीन वो सब कर पा रहा है जो वो चाहता है।
बांग्लादेश मे हमारा विपक्षी पार्टी से कोई संबंध न होना कहां तक जायज है सर? भारत मे जैसे विपक्ष को जुते के नोंक पर रख रखा है न आपने सभी देशो मे ऐसा नही होता अब अगर वहां सरकार बदल गई फिर तो वहां हमारा प्रवेश वर्जित हो जायेगा वो अलग बात है कि देश के मुखिया के तौर पर आपका जाना बंद नही होगा पर कोई विशेष महत्वपूर्ण भूमिका नही रह जायेगी हमारी।
क्यों हम अमेरिका के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगाते जा रहे हैं जबकि अमेरिका हमे ईरान से तेल आयात नही करने दे रहा है, और ये अमेरिका को समझा भी नही पा रहे हैं हम।
अमेरिका, रूस से हथियार नही लेने दे रहा है हमे वो रूस जिसने हमे वो तकनीक मुहैया कराया जिसे वो खुद उपयोग करता है अपनी सुरक्षा के लिए पर ईरान और रूस के साथ खराब होते रिश्ते को लेकर इतना घोल-माल वाला बेफिक्र रवैया मेरी तो समझ से परे है।
चाणक्य के देश मे कूटनीति बिना रणनीति के? और ऐसा सिर्फ दुरदर्शिता मे कमी के कारण हो रहा है पर इसके लिए आप माननीय विदेशमंत्री जी को निकाल मत दीजिएगा मंत्रालय से NON- PERFORMER बोल के, क्योकि कई बार आप ऐसा कर देते है जैसे अभी कुछ दिन पहले ही तो बहुतों का हिसाब किताब किया है आपने।
हमे प्रतिक्रिया (reactive) की नही अग्रसारितक्रिया(proactive) की जरूरत है सर, अब मै क्या समझाऊँ आपको श्रीमान, आप तो वैसे भी बहुत समझदार हैं।
मत करीये ऐसा महाराज ये पड़ोसी न बहुत काम की चीज होते है हालांकि पड़ोसियों को चीज कहना ठीक नही है पर आप तो इसमे माहिर हैं! जैसे राहुल गाँधी को मनोरंजन की चीज ही तो बना रखा है आप और आप के लोगो ने।
लौट आ पहले जमीं पे फिर बात करना हौसलों की!
जमीं नही होती हवा मे वहां छोड़ इरादा घोंसलों की!!
आप के समक्ष हम तो बच्चे ही हैं श्रीमान तो कम से कम हमे बधाई ही दे दीजिए बाल दिवस पर।
HAPPY CHILDREN'S DAY SIR