औरत अगर परिंदा बनती,
विश्वास मुझे है मोर वो होती,
जानवर भी गर बन जाती तो,
हिरनी का ही रूप वो लेती!
और पतंगा बनती तो फिर
निश्चित है तितली हो जाती,
बोझ सभी का ढोनेवाली,
सबको ममता देने वाली,
निर्जीव अगर भी हो जाती तो,
पक्का है वो धरती बन जाती!!
हम कितना भी विकास का गीत गाते रहें और करें भी, पर विकास सिर्फ हमारे संसाधनों का ही होना है हमारे आंतरिक पिछड़ेपन को हम विकसित नहीं कर पाएंगे कभी मुझे ऐसा लगता है जाने क्यों पर लगता है सच में मुझे।
हमारे मानसिक बौनेपन का इलाज नहीं है कोई, जब तक हमारी मानसिकता से हम खुद न लड़ना सीख जाएँ।
मुझे समझ नहीं आता की क्यों हज़ारों सालों से सिर्फ महिलाओं पर ही अत्याचार होता रहा है, क्यों उन्हें ही प्रताड़ित किया जाता रहा है, जबकि हम उस सनातन धर्म से सम्बन्ध रखते हैं जिसमे महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है, पूजा जाता रहा है उन्हें अनादिकाल से,
जबकि हमने ही एक महिला के इज्जत पर हाथ डालने की कीमत उसके वंश को नाश करके बसूला था उससे।
मुझे समझ नहीं आता की क्यों, आज भी समझदारी की हद तक समझदार होने के बाद भी नहीं समझ नहीं पा रहे हैं हम?
क्यों वो मायके में ससुराल वाली और ससुराल में मायके वाली कहलाती हैं जबकि दोनों जगह पर चार दीवारों और छत को घर बनाने का काम इन महिलाओं ने ही किया हैं हमेशा से।
क्यों दहेज़ के लिए आज भी महिलाएं ही जलाई जाती हैं?
क्यों बलात्कार केवल महिलाओं का ही होता हैं, अच्छा क्यों नहीं होता किसी पुरुष का बलात्कार कभी?
क्यों नहीं होती छींटाकशी पुरुषो के खिलाफ?
क्यों नहीं किये जाते भद्दे इशारे पुरुषों को?
क्या शारीरिक बनावट उनके साथ होने वाले दूर-व्यवहार का कारण हैं अगर हाँ तो फिर हम इंसान हुए ही कहा? ये काम तो जानवर करते हैं।
और जो जानवर हैं उनके लिए क्या विकास और क्या मानसिक चेतना?
देश की हर माँ की कोख से मारी गई कन्या भ्रूण हिकारत भरी नजरों से बहते हुए आंसूओं के साथ मुझसे ये सवाल करती हैं ।
कि तुम, विराट सोच से ताल्लुक रखने वाले 5000 साल पुरानी सनातन धर्म से संबंध होने की बात करते हो तो दिलाओ एक बिलखती कन्या को वो जीवन जो उससे सिर्फ महिला होने के कारण छीन लिया गया।
कि तुम महान हिंदू धर्म के वारिस होने का दावा करते हो तो दिलाओ एक कली को उसके ही आंगन महकने का अधिकार।
कि तुम वसुधैवकुटुम्बकम मे विश्वास रखने वाले महान देश के महान नागरिक होने का दंभ भरते हो तो दिलाओ कश्मीर से कन्याकुमारी तक कन्या को जन्म देने वाली हर माँ को सम्मान।
कि तुम दुनिया के चौथी बड़ी फौज होने का घमंड करते हो तो बनाओ कोख मे हमे मारने वालों के खिलाफ मौत का प्रावधान।
उसके सवालो के समक्ष मै अपने आप को कमजोर और जबाब हीन पाता हूँ।