इश्क़ में नीलाम : शायरी
सबकुछ तो लुटा दिया इश्क़ में,साँसों पर भी हक़, अब तो हमारा नही | जी रहे थे जिन यादों के सहारे,क़र्ज़ अदा करना, उनका भी तो मुमकिन नही | रोकर कट जाते थे तन्हाई के पल,आंसू भी आँख से, कमबख्त अब तो छलकता नही | तन्हाई को माशूका बनाएं भी तो कैसे.कमबख्त दिल को इतना भी तो गंवारा नही | हंस-खेलकर गुजर रही थी जि