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जब मैंने मोमोस बनाये

28 मई 2016

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विदेश में रहकर आपको किन किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसका एक  जीता जागता  उदाहरण मुझे देखने को मिला .यूँ कहूँ तो ये ऐसी कोई दिक्कत थी नहीं जो कोई मुसीबत पैदा करें. लेकिन कहानी बताने से पहले मैं एक बात साफ़ कर दूँ  कि बाहर  आकर सबसे बड़ी समस्या खाने की  ही होती है . जैसे तैसे करके आप खाने बनने के लिए तैयार होते हैं . अब चूंकि सप्ताह ख़त्म हुआ तो लगा की कुछ अच्छा किया जाये . बस फिर क्या था हम निकल पड़े सुपर मार्केट की तरफ.  मोमोस बनने की जो ठान ली थी . जरुरी सामग्री लेकर  लोटे और इंटरनेट पे  वीडियो खोल के मोमोस बनने का कार्य शुरू . बड़ी मशक्कतों के बाद रात में करीब 2 बजे सफलता हाथ लगी.  तब तक मोमोस खाने की लालसा लगभग समाप्त ही हो गई थी . फिर  भी मन मार के दो - चार  खा ही लिए . अब खाने तो थे ही इतनी मेहनत और समय का इन्वेस्ट जो किया था . सोचा बाकि के सुबह में खा लेंगे.  कहानी में असली ट्विस्ट यही से शुरू होता है . अब हम तो रसोई से आ गए मोमोस भी वहीं रखे रहने दिए . सुबह में पता चला की हमारे मकान मालिक ने हमारी सारी  मेहनत को कूड़ेदान में डाल दिया . ऐसा नहीं है  की उन्होंने ये  सब किसी बात से खिन्न आकर किया हो . दरअसल यूरोप में नाना प्रकार के  पास्ते तो मिलते ही हैं,  इसी का खामियाज़ा भुगतना पड़ा हमें  . अब उन्हें कौन समझाए की हम हिन्दुस्तानियों के पेट पे और वो भी जो दिल्ली के ज्यादा करीब रहते हैं चीन ने अवैध कब्ज़ा कर रखा है . बस  मुझे पुरे वाकये के बाद भी ये  समझ नहीं आया की मैं हसूं या दुखी होऊ . अब क्योंकि मामला खाने का था तो थोड़ा दुःख तो बनता हैं लेकिन जो क्रिया हुई उसका सरोकार मात्र और मात्र अनजाने से हैं तो छोडो जाने भी दो .... फिर किसी दिन और बनाएंगे अब तो खिलाडी हो ही गए ....कुछ इस तरह से मन को समझाया.... 

रवि शंकर की अन्य किताबें

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मैं बेजुबान

20 मई 2016
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देखता हूँ चारों तरफ अपने इक तूफ़ान सा लाचारी का बेबसी का भयावह भूतमय सपनो भरी रातों का एक भयंकर डर सा जकड़ लेता है अंदर तक सहम सा जाता हूँ जब सोचता हूँ मैं बेजुबान दबे पाऊँ घर से निकलना और दबे पाऊँ वापस आना ज़िंदा रह कर भी मरे हुए सा रहना कितना कष्ट झेलना पड़ता है होकर बेजुबान कितना मजे में रहता था हँसत

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जब मैंने मोमोस बनाये

28 मई 2016
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विदेश में रहकर आपको किन किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसका एक  जीता जागता  उदाहरण मुझे देखने को मिला .यूँ कहूँ तो ये ऐसी कोई दिक्कत थी नहीं जो कोई मुसीबत पैदा करें. लेकिन कहानी बताने से पहले मैं एक बात साफ़ कर दूँ  कि बाहर  आकर सबसे बड़ी समस्या खाने की  ही होती है . जैसे तैसे करके आप खाने बनने

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भाजपा के दो साल : विकास या जुमलेबाज़ी

28 मई 2016
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कोई सीखे इंतज़ार करने का सलीका इनसे ये " वादे"  ना जाने कबसे बैठे हैं पूरा होने के लिए       -S. Sharmaभाजपा की सरकार बने हुए दो साल पूरे हो गए है. और ये वर्षी एक पर्व की तरह मनाई जा रही है मानो सबकुछ अच्छा, बहुत अच्छा हो गया हो. जैसे देश विकास के एक नए रास्ते पर चल पड़ा हो. जैसे भाजपा ने जुमलेबाजी को

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रामवृक्ष यादव

4 जून 2016
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 रामवृक्ष यादव: अर्श से फर्श तक ; आखिरकार उत्तर प्रदेश के डी जी पी ने रामवृक्ष यादव को मृत घोषित कर दिया। कौन है ये रामवृक्ष जिसने अचानक से उत्तर प्रदेश के प्रशासन में हड़कम्प मचा दिया। रामवृक्ष यादव जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है।  इतना ही नहीं वह  चुनाव भी लड़ चुका वो अलग बात है कि जनता ने उसे नकार द

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राष्ट्रवादी सुरक्षा बल : व्यंग्य

17 जनवरी 2017
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आज के भारत को या भारत के लोगों को ध्यान में रखते हुये बहुत जरूरी हो गया है कि भारत सरकार को एक राष्ट्रवादी सुरक्षा बल (Nationalist Security Force) का गठन कर ही देना चाहिये. इसके दो फायदे हैं -पहला कि बढती बेरोजगारी के समय रामबाण सिद्ध होगा, दूसरा कि लोगों मे राष्ट्रीयता ब

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इश्क़ में नीलाम : शायरी

17 जनवरी 2017
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सबकुछ तो लुटा दिया इश्क़ में,साँसों पर भी हक़, अब तो हमारा नही | जी रहे थे जिन यादों के सहारे,क़र्ज़ अदा करना, उनका भी तो मुमकिन नही | रोकर कट जाते थे तन्हाई के पल,आंसू भी आँख से, कमबख्त अब तो छलकता नही | तन्हाई को माशूका बनाएं भी तो कैसे.कमबख्त दिल को इतना भी तो गंवारा नही | हंस-खेलकर गुजर रही थी जि

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