कोई कहता है हम लिखते नही बकवास करते है, कोई कहता है हम जीवन का ही अरदास करते है, हमे खुद भी नही मालूम हम करते है क्या यारों, जिया है हमने जो जीवन उसी की बात करते हैं ॥
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कोई नन्हॉ सा बन्दा,आज फिर चलने को निकला है |कोई मासूम परिन्दा,आज उड़ने को निकला है |उसे कुछ भी नही है,इल्म मौसम और हवाओं का |कोई भोला सा बच्चा, आज अपनी जिद पे निकला है ||
जमाना खूब तरक्की कर गया है,आज जाना मैंं ।बैठ कर पब में कहते है,भजन कीर्तन में सामिल ॥
चाँद खड़ा था छत पर अपने,हमको भी दीदार हुआ ।पंडित बोलें है शनिवार,मैं बोला मेरा ईद हुआ ।धर्म-जाति के बंधन को,मन तोड़ कबीरा मस्त हुआ ।चल अब हम दुख-दर्द बँटायें,यही हमारा धर्म हुआ ॥