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sachin

सचिन वर्मा

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पुस्तक के भाग

1

शोर !!!

28 जनवरी 2015
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---------------------------------------- हर तरफ शोर ही शोर मच रहा है, चैन न मालूम कहाँ खो रहा है | येहि हालत रही तो काम कैसे चल पायेगा, कारवां जिंदगी का बीच धार रुक जायेगा | यदि ऐसा हुआ तो क्या होगा, आदमी का अस्तित्व लगभग समाप्त हो जायेगा | ये बात तो अभी अं कही सी लगती है,

2

थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी

29 जनवरी 2015
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लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा, आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ। बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल - "बङे हो कर क्या बनना है ?" जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है. “थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...

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