लिपट - लिपट कर कफ़न भी उससे रोयी होगी ..
जब फूल सी बच्ची उसके अंक में सोयी होगी ..
धिक्कार है ऐसे निकृष्ट इंसानों पर ,
घृणा आती है ऐसे कुकृत्य के शैतानो पर ,
बोल क्या तेरा मन द्रवित न हुआ होगा ,
जब वो दया की अश्रुधारा से भिगोयी होगी ,
लिपट- लिपटकर कफन भी उससे रोयी होगी ,
जब फूल सी बच्ची उसके अंक में सोयी होगी ।
ये जहाँ लिबास को वास्ता देता है...
अर्ध -पट को दरिन्दगी का न्योता कहता है,
जरा सोच तुझे उसके बाल्य काल में कैसी हुस्न की बू आयी होगी ..
लिपट- लिपटकर कफ़न भी उससे रोयी होगी,
जब फूल सी बच्ची उसके अंक में सोयी होगी .
जरा ये सोच तू किसी का भाई या बाप होगा ,,
मुक्त कैसे होगा जब तुझपे उनका अभिशाप होगा ,
माफ़ी को कर तेरे काँप उठेन्गे या नहीं
जब इन्हीं हाथों से तुझसे अक्षम्य पाप होगा ,
तेरी माँ भी माँ होने के दुर्भाग्य में खोयी होगी ...
लिपट- लिपटकर कफ़न भी उससे रोयी होगी ,
जब फूल सी बच्ची उसके अंक में सोयी
होगी ।
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__ उपेंद्र "राज"