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सामाजिक दर्पण

7 सितम्बर 2022

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लिपट - लिपट कर कफ़न भी उससे रोयी होगी ..

जब फूल सी बच्ची उसके अंक में सोयी होगी ..

धिक्कार है ऐसे निकृष्ट इंसानों पर ,

 घृणा आती है ऐसे  कुकृत्य के  शैतानो पर ,

बोल क्या तेरा मन द्रवित न हुआ होगा ,

जब वो दया की अश्रुधारा से भिगोयी होगी ,

लिपट- लिपटकर कफन भी उससे रोयी होगी ,

जब फूल सी बच्ची उसके अंक में सोयी होगी ।

ये जहाँ लिबास को वास्ता देता है...

अर्ध -पट को दरिन्दगी का न्योता कहता है,

जरा सोच तुझे उसके बाल्य काल में कैसी हुस्न की बू आयी होगी ..

लिपट- लिपटकर कफ़न भी उससे रोयी होगी,

 जब फूल सी बच्ची उसके अंक में सोयी होगी .

जरा ये सोच तू किसी का भाई या बाप होगा ,,

मुक्त कैसे होगा जब तुझपे उनका अभिशाप होगा ,

माफ़ी को कर तेरे काँप उठेन्गे या नहीं

जब इन्हीं हाथों से तुझसे  अक्षम्य पाप होगा ,

तेरी माँ भी माँ होने के दुर्भाग्य में  खोयी  होगी ...

लिपट- लिपटकर कफ़न भी उससे रोयी होगी ,

जब फूल सी बच्ची उसके अंक में सोयी 

होगी ।

                   ****

             __ उपेंद्र "राज"

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