यह कहानी उस महिला के जीवन की है जिसने महज 43 की उम्र मे ही ज़िन्दगी के हर पड़ाव को हस्ते -मुस्कराते हुए पार किया है न जाने उसने कितनी ही विपरीत परिस्थितयो का डटकर मुकाबला किया और आज वो अध्यापिका के पद पर कार्यरत है । इस कहानी से हमे जीवन मे बहुत कुछ सीखने को मिलता है , दुख सभी के जीवन मे आता है लेकिन हमे उसे सहर्ष स्वीकारना चाहिए। तभी हम वो सब कुछ कर सकते है जो हम करना चाहते है ।