इसमे मेरे द्वारा लिखी गई स्वरचित कविताएँ है।
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आज अचानक मुझेउन लम्हो की याद आई,वो भी क्या वक्त था।जब हम अपने दोस्तो के साथ,खुब मजे से दिन भर खेला करते थे।न किसी का डर न किसी की डाट,बस अपनी ही धुन मे रहा करते थे।आजकल के बच्चे भी दिन भर,मोबाइल मे गे
इस कविता मे मैने एक गाँव के जीमने को याद करते हुए कुछ अपने विचार लिखने की कोशिश की है ।सुनियेगा जरा ---- (१)आज घणा वक्त पछे शहर रो जीमणो जीम्यो, &nb
अपने सपनों के लिए "हार को कभी हार ना मानना तुम,जीत को कभी जीत ना मानना तुम ,अपने ऊपर विश्वास रखना तुम ,कर दिखाओगे अपना सपना पूरा एक दिन तुम।अपने सपनों के लिए------जब चारो ओर तुम्हारा ही नाम गूंजेगा,सब