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संतोष भट्ट की डायरी

संतोष भट्ट

7 अध्याय
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मेरे जीवन का सार 

santosh bhatt ke dir

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पुस्तक के भाग

1

कही हम बदल न जाये

23 सितम्बर 2019
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गिरते-संभलते जैसे तैसे जीवन मे चलना सीखा था,खुदा ईशवर बस नाम ही सुनाये कभी कहा दिखा था।बचपन से माँ की ममता देखते पले बड़े,आज भी ममता के आंचल के कारण है खड़े।ईश्वर की माया देखी जो मा मिली है।जिसके कारण जिंदगी आज खिली खिली है।जन्म से जिसकी सूरत देखी,जिसको सबसे पहले पहचाना,लगता नही आज भी मैंनेउसे भले ढं

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मुझमे मेरा अब क्या रहा

24 सितम्बर 2019
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तुझसे मिलने के बाद ऐसा लगाखुद से बिछड़ता मैं जा रहा,ख्वाब तेरे, ख्याल तेरेमुझमे मेरा अब क्या रहा।राहों में मिला करते थे तुममैं भी उन राहों से जुड़ता रहा।अवारा तितली सी उड़ान मेरी,धड़कती तेरी राहो में उड़ता रहा।तेरी राह को बना रोकेसहता रहा इश्क के हवा-ए-झोंकेतेरे दीदार से ही ना जाने क्या पा रहातुझसे मिलने

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घुटन

2 अक्टूबर 2019
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घुटनअनिल और पूजा एक साथ चल रहे है ।पूजा हंस हंस के बात कर री है और अनिल चुप चाप उसे देख रहा है। पूजा पूछती है।ऐसे क्या देख रे हो। अनिल -सोच रहा हूँ। कि आपको इतना खूबसूरत किसने बनाया होगा। पूजा- हर बार मजाक कभी तो सिरिअस रहा करो।ये सब अनिल अपनी और पूजा के बीच हुये कुछ अच्छे पलो के बारे में सोच रहा है

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कह दो ना कि ये अफवाह है

5 अक्टूबर 2019
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कह दो की ये अफवाह हैकह दो की ये अफवाह हैकह दो नाया फिर मुझे कहने दो ना,मैं पहले भी जीता था जब हम मिले न थेबिछड़कर भी जी लूंगा, मुझे मेरे हाल में रहने दो नाजिंदगी की उथल-पुथल से तो बेहतरमेरा विपरीत दिशा में प्रवाह हैकह दो ना कि ये अफवाह हैमुझे अपनी मस्ती में बहने दो नाकह दो ना ये अफवाह हैकह दो ना,मैं

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कह दो की ये अफवाह है

5 अक्टूबर 2019
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<p>कह दो की ये अफवाह है </p> <p>कह दो की ये अफवाह है कह दो ना</p> <p>या फिर मुझे क

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मैं खुश हूं मरकर भी

7 अक्टूबर 2019
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<p>मौत से हमेशा डरता था मैं, मरने से नही, बस ख्याल ये रहता था कि मौत के बाद कैसा लगता होगा, हम कहाँ

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मुकर गया

1 सितम्बर 2021
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<p><br></p> <p>मुशीबत क्या आई<br> <br> तू भी मुकर गया<br> <br> ऐ दोस्त<br> <br> यूं ही बिछड़ गया।<br>

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