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मैं खुश हूं मरकर भी

7 अक्टूबर 2019

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मौत से हमेशा डरता था मैं, मरने से नही, बस ख्याल ये रहता था कि मौत के बाद कैसा लगता होगा, हम कहाँ चले जाते होंगे, क्या करते होंगे, अगला जन्म कब होता होगा,  आज मुझे मरे 9 साल होने वाले है। मुझे याद है मैं 9 नवम्बर 2010 में दिल्ली हाइवे में जेब्राक्रोसिंग से सड़क पार कर रहा था एक आदमी शराब के नशे में अपना वाहन अत्यंत तीव्र गति से चला रहा था। गलती मेरी थी , क्योकि मैं दांये बाये बिना देखे सड़क को खाली समझकर पार करने लगा,  मगर नियंम के अनुसार उसने शराब पी थी। और मैं जेब्राक्रोसिंग में था। बेचारे को भारी जुर्माना चुकाना पड़ा।  खैर वो सब छोड़ो मेरी मौत हादसे के तुरंत बाद हो गयी थी, मेरे प्राण शरीर को त्यागकर शरीर से बाहर आ चुके थे।  अब मैं सड़क के एक किनारे बैठ गया , शरीर के पास बैठे रहना मेरे बस की नही थी, क्योकि लोगो ने इतनी भीड़ इक्कठी कर दी थी कि मुझे घुटन हो रही थी वहां, लोग तो पुलिस का इंतजार कर रहे थे कि कब पुलिस आये और आगे क्या करना है बताये, किसी मैं हिम्मत नही थी मेरी लाश को वापस घर ले जाने की, शायद लोग डर जाते है कि कही उनपर कोई आफत न आ जाये, मैं चिल्लाकर लोगो को बोल रहा था कोई मेरे शरीर को मेरे बुजुर्ग माता पिता तक ले चलो, कोई उनतक खबर पहुंचा दो, ये उनकी अमानत है। कोई मेरी बात नही सुन पा रहा था। कम से कम 20 मिनट में वहाँ रुका , फिर मेरा मन नही लगा मैं घर वापस आ गया।  घर जाकर देखा तो मम्मी पापा रो  रहे थे, छोटी बहन जो हमेशा लड़ती रहती थी, वो लगभग बेहोश हो गयी थी , और पड़ोसी घर पर बैठे थे, फिर थोड़ी देर तक उन सबको रोता देखकर मेरी भी आंखों से अश्रु बहने लगे,  थोड़ी देर में दो पुलिस एम्बूलैंस घर पहुंची, घर के जो हालात थे। कैसे बयाँ करु, आप जानते ही हो,  मैं भी घर पर जब भी मम्मी को रोते हुए देखता, उनको चुप कराते हुए कहता कि मैं यही आपके पास हूँ, आप खाना खा लो..। माँ...आप भूखा किसके लिए रहते हो.. और क्यो रहते हो.... देखो मैं आपके सामने हूँ...। माँ एकाएक चुप हो जाती मानो मेरी बात सुन ली हो, फिर अपने आसुओ को पोछते हुए अपने किस्मत को कोसती,  धीरे धीरे सब सामान्य हो गया है, अब उनको मेरी याद आती भी है तो कभी कभी और कुछ आसुओ में बह जाती है,  मैं बहुत खुश हूं कि अब वो मेरे लिए रोते नही है। बस कभी कभी उदास हो जाते है।  और उनकी उदासी मुझे रुलाती है, खैर मेरा रोना नही देख पाएंगे वो, मुझे अगर मौका मिले तो मैं उन्हें बस यही कहूंगा कि मुझे याद करके उदास मत हो जाया करो। मैं यहाँ बहुत खुश हूं। मुझे जिंदा रहने के लिए खाना खाने और पानी पीने की भी जरूरत नही पड़ती,  ना ही मुझे कोई काम करना पड़ता है। मैं जहाँ मर्जी वहाँ घूमता हूँ, मुझे कोई रोकटोक नही है। बचपन से मुझे फिल्मे देखने का शौक था, जिद करके पैसे मांगता और सिनेमाहॉल जाता था, मगर अब तो मुझसे कोई टिकट नही मांगता , मैं मुफ्त में ही सारी फिल्में देखता हूँ, जब मेरा मन कही नही लगता तो मैं घूमने चले जाता हूँ।  माँ..... मैं हवाई जहाज मैं भी बहुत बार बैठ गया।  कसम से.... दूर दूर तक घूम आया जहाज में वो भी मुफ्त में..। और एक बात बताऊ जैसे अन्य देश हमे दिखते है सूंदर, वैसे है नही, भारत भी बहुत सुंदर है, हमे जो टीवी में दिखाते है ना फलाना देश ऐसा है, फलाना देश वैसा है,  सच बोलू तो टीवी में उस देश की बस अच्छी चीजें दिखाते है ,  बल्कि उससे खूबसूरत तो भारत भी है। इसलिए मैं भारत मे ही रहता हूँ। ईश्वर की कृपा से बहन की शादी हो गयी है। मैंने भी बहुत इंजॉय किया, मुझे बहुत खुशी हुई कि शादी में कोई अड़चन नही आई सब कुशल से हो गया। दुःख भी हुआ कि मैं उसमें शामिल नही था।   चलो जैसा भी है जो भी है, आप बस अपना ख्याल रखना , अब आप और पापा अकेले रहते हो, झगड़ा कम  किया करो।   मैने सुना था इंसान मरने के बाद पुनः जन्म लेता है, लेकिन अगले जन्म में बनेगा क्या वो पता नही,  लेकिन मैं तो बहुत कोशिश कर लिया मुझे अगला जन्म मिल नही रहा, यहाँ बहुत सारे दोस्त है , जो आज से नही हजारो साल से मेरी तरह घूम रहे है। इनका कहना है कि मनुष्य ने "अगले जन्म" बस अफवाह फैला रखा है। मुझे भी अब यही लगने लगा है।   यहाँ कुछ लोग तो बहुत अच्छे है मेरी तरह, खुशमिजाज, मजाकिया, हम दोस्त बन गए है।   मैं बहुत खुश हूं आप भी रहा करो।  ठीक है। और हां ;  एक बात बताना तो भूल ही गया। यहाँ बहुत सारी लडकिया भी है जो मुझसे अक्सर पूछती है "की धरतीलोक में कैसा दिखता है , जब लोग एक दूसरे को देख पाते है बात कर पाते है, कैसा महसूस होता है जब माँ पूछती है शाम को क्या खाओगे, कैसा लगता है जब पापा जॉब से आते है और अपनी नन्हें बच्चो को प्यार से गोदी में उछालते है, कैसा लगता है जब भाई बहन का झगड़ा होता है और फिर वो तड़पते है एक दूसरे से बात करने को, स्कूल के दिन कैसे लगते है,  बताओ न भैया, प्लीज़...प्लीज़...प्लीज़... उनकी ये जिज्ञासा थी जिसे में शांत नही कर सका जब मैंने पूछा- क्या तुमको कुछ याद नही..???? उनका जवाब था जिसने मेरे सीने को चीर से दिया- "याद तो तब होगा जब कोई लम्हा हमने जिया होता, हमे तो जन्म से पहले मार दिया गया इस जुल्म में कई हम लडकिया है, एक माँ के कोख में चंद दिन गुजारे इस इंतजार में कई कब हम इस दुनिया मे आएंगे, मगर दुनिया मे हमे कोई देखना नही चाहता था,।  ये जवाब सुनकर मुझे याद आया कि ये तो कन्याभ्रूण हत्या का मामला है। अब मैं उनको कैसे समझाऊ वो एहसास जो जिंदगी जीने में है मरने के बाद कहाँ होता है। बस कुछ देर मौन रहकर इंतजार किया कि कोई सवाल बदल दे तो बेहतर है।  अब मैं कुछ दिनों के लिए हरिद्वार जा रहा हूँ। सुना है वहाँ मुक्तिद्वार है। भगवान विष्णु का द्वार जाऊंगा और कुछ पाप धो आऊंगा, और कुछ और महानात्माओ से मिलकर आऊंगा , ताकि जीवन की सच्चाई जान संकू, और कोई प्रश्न मुझे निरुत्तर न कर सके।                             ✒सन्तोष भट्ट सोनू

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कही हम बदल न जाये

23 सितम्बर 2019
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गिरते-संभलते जैसे तैसे जीवन मे चलना सीखा था,खुदा ईशवर बस नाम ही सुनाये कभी कहा दिखा था।बचपन से माँ की ममता देखते पले बड़े,आज भी ममता के आंचल के कारण है खड़े।ईश्वर की माया देखी जो मा मिली है।जिसके कारण जिंदगी आज खिली खिली है।जन्म से जिसकी सूरत देखी,जिसको सबसे पहले पहचाना,लगता नही आज भी मैंनेउसे भले ढं

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मुझमे मेरा अब क्या रहा

24 सितम्बर 2019
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तुझसे मिलने के बाद ऐसा लगाखुद से बिछड़ता मैं जा रहा,ख्वाब तेरे, ख्याल तेरेमुझमे मेरा अब क्या रहा।राहों में मिला करते थे तुममैं भी उन राहों से जुड़ता रहा।अवारा तितली सी उड़ान मेरी,धड़कती तेरी राहो में उड़ता रहा।तेरी राह को बना रोकेसहता रहा इश्क के हवा-ए-झोंकेतेरे दीदार से ही ना जाने क्या पा रहातुझसे मिलने

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घुटन

2 अक्टूबर 2019
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घुटनअनिल और पूजा एक साथ चल रहे है ।पूजा हंस हंस के बात कर री है और अनिल चुप चाप उसे देख रहा है। पूजा पूछती है।ऐसे क्या देख रे हो। अनिल -सोच रहा हूँ। कि आपको इतना खूबसूरत किसने बनाया होगा। पूजा- हर बार मजाक कभी तो सिरिअस रहा करो।ये सब अनिल अपनी और पूजा के बीच हुये कुछ अच्छे पलो के बारे में सोच रहा है

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कह दो ना कि ये अफवाह है

5 अक्टूबर 2019
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कह दो की ये अफवाह हैकह दो की ये अफवाह हैकह दो नाया फिर मुझे कहने दो ना,मैं पहले भी जीता था जब हम मिले न थेबिछड़कर भी जी लूंगा, मुझे मेरे हाल में रहने दो नाजिंदगी की उथल-पुथल से तो बेहतरमेरा विपरीत दिशा में प्रवाह हैकह दो ना कि ये अफवाह हैमुझे अपनी मस्ती में बहने दो नाकह दो ना ये अफवाह हैकह दो ना,मैं

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कह दो की ये अफवाह है

5 अक्टूबर 2019
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<p>कह दो की ये अफवाह है </p> <p>कह दो की ये अफवाह है कह दो ना</p> <p>या फिर मुझे क

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मैं खुश हूं मरकर भी

7 अक्टूबर 2019
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<p>मौत से हमेशा डरता था मैं, मरने से नही, बस ख्याल ये रहता था कि मौत के बाद कैसा लगता होगा, हम कहाँ

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मुकर गया

1 सितम्बर 2021
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<p><br></p> <p>मुशीबत क्या आई<br> <br> तू भी मुकर गया<br> <br> ऐ दोस्त<br> <br> यूं ही बिछड़ गया।<br>

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