मुशीबत क्या आई
तू भी मुकर गया
ऐ दोस्त
यूं ही बिछड़ गया।
अब सब ठीक हो गया है
तूफां जिंदगी का अब गुजर गया।
अब तो आजा
एक बार फिर आजमाना चाहता हूँ
कैसे सम्भाला खुद को भूल ना जाउँ
फिर से ठोकर खाना चाहता हूँ।
चल छोड़ , भुल जा पुरानी बातें
ये बता, की याद तो है वो मुलाकातें
तेरी एक आवाज में भाग के आता था।
याद कर, वो कौन था
जिसे तू हर मुश्किल में साथ अपने पाता था।
कोशिश तो कर याद करने की
दिल से याद करने पर सब याद आ जाता है।
तेरा वो दोस्त तेरे जाने के बाद भी तेरा है।
चल आ जा ना, यार तुझे आज भी बुलाता है।
इसे उम्मीद है अब शायद तू सुधर गया
तुझसे ना थी उम्मीद फिर भी
मुशीबत क्या आई तू मुकर गया
©सन्तोष भट्ट सोनू