पास हैं तेरे पर तेरे पास नहीं हैं, क्यों पता ही नहीं
बात करते हैं तुझ से पर वो बात नहीं हैं, क्यों पता ही नहीं
रहते हैं ख़यालों में तेरे पर तेरा ख़याल नहीं हैं, क्यों पता ही नहीं
अच्छाइयाँ, कमियों में बदल गयी, क्यों पता ही नहीं
उम्मीदें, लाचारी में बदल गयीं, क्यों पता ही नहीं
चेहरे का नूर, शिकन में बदल गया, क्यों पता ही नहीं
ख़ुशियाँ, अफसोस में बदल गयीं, क्यों पता ही नहीं
हँसी, अशकों में बदल गए, क्यों पता ही नहीं
दोस्त, दुश्मन में बदल गए, क्यों पता ही नहीं
प्यार, पश्चात्ताप में बदल गया, क्यों पता ही नहीं
८ सितम्बर २०१६ जिनेवा