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seetaramsinghrawat

सीताराम

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कविता वो जिसमे खुद से मिले ...एक बार मेरे वब पर आकर जाए खुद से मिलोगे ...थैंक्यू समाज का दर्पण कवि होते है और किसी कवि ने खूब कहाँ है जहां रवि ना जाए वहा जाये कवि ...समाज को कवि जिस रहा पर ले जाये समाज उसी रहा पर जाता है ..धन्यवाद पढेंने के लिए ... 

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