संग्रह
0.0(0)
0 फ़ॉलोअर्स
1 किताब
लौट के आता बचपन मेरा मित्रों के संग में आँख मिचौनी रेल भी चलती कोलकाता बरौनी पिताजी के संग बाजार घूमते आकाश के नीचे हम झूमते तितली के पीछे बागों का फेरा, लौट के आता बचपन मेरा बरसात के पानी म
क्या तुम्हें रोना आता है ? निस दिन एक एक जमा कर अतीत के स्वप्न फिर सजाकर जीवन से सब कुछ पाकर हृदय को कठोर बना का सभी एक पल में खोना आता है, क्या तुम्हें रोना आता है..&nb