ये छोटी सी कहानी मेरी आप लोँगोँ के लिये मेरा बचपन है कहानी छोटी सी मेरी, सुनाता हु आपको को पुरी. बचपन से ही मुझे शौक कुछ अलग करने की, कुछ भी अलग करने की चाहता हो जाती गलती मुझसे हो जाती शौक अधुरी। शैतान था बचपन से ही पर था सबका लाडला, गलती करता हर बार, पड़ती थी दाँट. माँ की फटकार पापा का प्यार हा ह