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मन की शांति

13 अगस्त 2015

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featured imageमन की शांति पथ है सृजन का, निर्माण का; और इसी के विपरीत अशांति द्वार है विनाश का, विध्वंश का I कुछ छोटे लेकिन कारगर उपायों पर अमल करके मन की शांति प्राप्त की जा सकती है। जीवन की बहुत सी चुनौतियों के मध्य, उलझनों और भटकावों से जूझते हुए मन अशांत रहने लगता है। मन की शांति पाने के लिए प्रयास इसलिए भी आवश्यक है कि मन शांत नहीं है तो मिलने वाली सफलताओं में भी आपका मन नहीं लगेगा। जब हमारा मन शांत होता है तो हम चीजों को सही रूप में देख पाते हैं। उनके नए अर्थ और आशय खोज पाते हैं। सहज और शांत मन के धरातल पर ही हम जीवन को सही अर्थों में जी सकते हैं। मन की शांति के लिए कुछ आसान साधन सहायक सिद्ध हो सकते हैं। एकांत आवश्यक है: किसी शांत जगह पर कुछ देर अकेले बैठें और अपने बारे में सोचें। अपनी जिंदगी, अपने विश्वासों, अपनी इच्छाओं और अपनी भावनाओं को लेकर विचार करें। अपनी जिंदगी के सभी पक्षों के बारे में विचार से आपको अपने लिए सही दिशा तलाशने में मदद भी मिलेगी। गुण-दोष पर विचार: अपने गुणों का विस्तार करने की दिशा में सोचें और अपनी कमियों को सुधारने की तरफ ध्यान दें। अगर आप अपनी कमियों को किसी तरह अपनी खासियत में बदल सकते हैं तो उस दिशा में भी सोचें। अपने गुणों और अपनी कमियों के बारे में जानकर आप अधिक बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे। नई चीजों के साथ जुड़ें खुद को नई गतिविधियों और नई संस्कृति में ढालने का प्रयास करें। इस तरह आप अपने अहं के बारे में भी जान पाएंगे और उसे संभालना भी सीखेंगे। अगर आप नए लोगों के बीच भी असहजता महूसस नहीं करेंगे तो आप अपने कठिन समय में भी शांति तलाश सकेंगे। ध्यान की मदद लें ध्यान के बल पर आप भटकते हुए मन को एकाग्र करने का सामर्थ्य जुटा सकेंगे। ध्यान आपको आंतरिक शांति और अपने बारे में जानने में मदद करता है। ध्यान के जरिए आप कठिनाइयों के हल तक पहुंच पाते हैं। यह भटकाव को खत्म करने और स्व पर केंद्रित करने में मदद करता है। ध्यान के जरिए हम अपने मानसिक सामर्थ्य का भी विस्तार करते हैं। प्रेमभाव से जीवन को देखें अपने आसपास की चीजों, प्रकृति और संसार को प्रेमभाव के साथ देखें। उनकी बहुत छोटी-छोटी विशेषताओं पर गौर करें। बिना किसी शर्त के अपने मित्रों के प्रति प्रेम व्यक्त करें। दुनिया की आलोचना करना बंद करें। दूसरों के दोषों को नहीं उनकी खासियत तलाशें। ऐसा करते ही आप पाएंगे कि अब कोई भी द्वंद्व नहीं है और जीवन शांत अवस्था में है। दूसरों के प्रति आभारी रहें अपनी जिंदगी, परिजनों, प्रियजनों, मित्रों और अन्य साथियों के प्रति आभारी रहें। वे किस तरह आपकी जिंदगी को खुशनुमा बनाते हैं उसके लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करें। यह आभार शब्दों में नहीं बल्कि आपके व्यवहार और उनके प्रति आपके प्रेम द्वारा व्यक्त होना चाहिए। इससे सच्ची शांति मिलेगी।
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रचनाएँ
devotional
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मन की शांति

13 अगस्त 2015
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मन की शांति पथ है सृजन का, निर्माण का; और इसी के विपरीत अशांति द्वार है विनाश का, विध्वंश का I कुछ छोटे लेकिन कारगर उपायों पर अमल करके मन की शांति प्राप्त की जा सकती है। जीवन की बहुत सी चुनौतियों के मध्य, उलझनों और भटकावों से जूझते हुए मन अशांत रहने लगता है।मन की शांति पाने के लिए प्रयास इसलिए भी आव

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सूक्ष्म जगत का आधार─ॐ कार

26 अगस्त 2015
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ॐ = अ+उ+म ( ¡ )अर्ध तन्मात्रा। ॐ का अ कार स्थूल जगत का आधार है। उ कार सूक्ष्म जगत का आधार है। म कार कारण जगत का आधार है। अर्ध तन्मात्रा ( ¡ ) जो इन तीनों जगत से प्रभावित नहीं होता बल्कि तीनों जगत जिससे सत्ता-स्फूर्ति लेते हैं फिर भी जिसमें तिलभर भी अंतर नहीं पड़ता, उस परमात्मा का द्योतक है। ऐसा मान

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22 सितम्बर 2015
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ओम

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यहाँ हर इंसान ढूंढता है अपना खुदा!

22 सितम्बर 2015
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यहाँ हर इंसान ढूंढता है अपना खुदा,बीच-बाजार खोजता है अपना खुदा,मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, गिरिजाघरों में देता है अर्जियां,रे इंसान! क्यों अपने अंदर नहीं ढूंढता हैं अपना खुदा!

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मन की एकाग्रता

23 सितम्बर 2015
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‘‘इन्द्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मनः’’ अर्थात प्रयत्नशील व्यक्ति के मन को भी हमारी प्रमथनशील (भ्रमित करने वाली) इन्द्रियाँ बलात् हर लेती हैं। ध्यान में मन नहीं लगता । मन भागता है, बाहर भटकता है। कभी चीटियाँ काटती अनुभव होती हैं, कभी शरीर में कहीं दर्द उठता है, तो कभी हिलने- डुलने

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पुत्र तथा पति की सुख समृद्धि का पर्व : सकट व्रत पूजन

27 जनवरी 2016
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