ॐ = अ+उ+म ( ¡ )
अर्ध तन्मात्रा। ॐ का अ कार स्थूल जगत का आधार है। उ कार सूक्ष्म जगत का आधार है। म कार कारण जगत का आधार है। अर्ध तन्मात्रा ( ¡ ) जो इन तीनों जगत से प्रभावित नहीं होता बल्कि तीनों जगत जिससे सत्ता-स्फूर्ति लेते हैं फिर भी जिसमें तिलभर भी अंतर नहीं पड़ता, उस परमात्मा का द्योतक है। ऐसा माना जाता है कि ये तीन अक्षर तीन प्रमुख वेदो को निरूपित करते है I यह तीन महाभूतों को भी निरूपित करते हैं─ अ (अग्नि), उ (वरुण – जल), म (मारूत-वायु ) I सभी उपनिषदों में इस मंत्र का वर्णन मिलता है I गीता मे भी इसकी महत्ता बतायी गयी है I
ॐ आत्मिक बल देता है। ॐ के उच्चारण से जीवनशक्ति उर्ध्वगामी होती है। इसके सात बार उच्चारण से शरीर से रोग के कीटाणु दूर होने लगते हैं एवं चित्त से हताशा-निराशा भी दूर होतीहै। यही कारण है कि ऋषि-मुनियों ने सभी मंत्रों के पूर्व ॐ जोड़ा है। शास्त्रों में भी ॐ की अनुपम महिमा गायी गयी है।
भगवान शिव का मंत्र हो तो ॐ नमः शिवाय।
भगवान गणपति का मंत्र हो तो ॐ गणेशाय नमः।
भगवान राम का मंत्र हो तो ॐ रामाय नमः।
श्री कृष्ण मंत्र हो तो ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
माँ गायत्री का मंत्र हो तो ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
इस प्रकार सभी मंत्रों के पूर्व ॐ तो जुड़ा ही है। पतंजलि महाराज के अनुसार─ “तस्य वाचकः प्रणवः।“ ॐ (प्रणव) परमात्मा का वाचक है, उसकी स्वाभाविक ध्वनि है।
जब आप ॐ का उच्चारण करते है तो ‘अ’ ध्वनि कंठ से निकलती है, ‘उ’ जिह्वा से होकर प्रवाहित होती है, और ‘म्’ होठो पर समाप्त हो जाती है I ‘अ’ से जागृति , ‘उ’ से स्वप्न, ‘म्’ से निद्रा का प्रभाव मिलता है I यह मनुष्य के कंठ से निकलने वाले सभी ध्वनियो को निरूपित करता है अतः इसे “ब्रह्मनाद” भी कहते है I शरीर, ध्वनि और मष्तिष्क की एकता को निरूपित करता है I वेद शास्त्रों में तो ॐ के कई चमत्कारिक प्रभावों का उल्लेख मिलता ही है, आज के आधुनिक युग में वैज्ञानिकों ने भी शोध के मध्यम से ॐ के चमत्कारिक प्रभाव की पुष्टि की है I ॐ का जाप अलग अलग आवृत्तियों और ध्वनियों में ह्रदय और मस्तिष्क के रोगियों के लिए अत्यंत प्रभावशाली है I जब कोई मनुष्य ॐ का जाप करता है तो यह ध्वनि जिह्वा से न निकलकर पेट से निकलती है I ॐ का उच्चारण पेट, सीने और मस्तिस्क में कम्पन पैदा करता है I ॐ का जाप मस्तिष्क से लेकर नाक, गला फेफडे के हिस्सों में तेज़ तरंगे प्रवाहित करता है I यह कम्पन शरीर की मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवित कर देता है और नई कोशिकाओं का निर्माण करता है I वस्तुतः ॐ ब्रह्मनाद है...एवं सूक्ष्म जगत का आधार है─ॐ कार I