वो समेट रही है।।।।।
वो समेट रही थी... कुछ गिने चुनें उन लम्हो को, पलों को या शायद यादों को पता नहीं... उस कमरे में कैद अपनी और अपनी हंसी को समेट रही थीं.. उन पन्नों को समेट रही थीं.. जिसमें उसकी कहानी अधूरी लिखी गयी थी या उस कलम को जो उसकी मजबूरियों को नही उतार पाया... लोगो° में बिखरी उस अफवाह को समेट रही थ