2 नवंबर, 2022, बुधवार रात्रि 01:00 बजे आज मैं पूरे दिन व्यस्त रहा। एक प्रतियोगी छात्र होने के नाते व्यस्त होना लाजिमी भी है। कल रात को ही मैंने 'हिंदी' के एक टॉपिक को आज पढ़ने का लक्ष्य रखा था। इसील
श्रम साधक को विश्राम नहींकडी़ धूप में मेहनत करते , सर्दी में भी नहीं वे थकते |कभी बनातें सड़कें-गलियाँ, कभी तोड़ते कड़ी चट्टानकरते कभी आराम नहीं , श्रम साधक को विश्राम नहीं |मेहनत हीं है उनकी रीत ,लेते नहीं कभी वे भीख |मेहनत से ही खाते हैं ,चौराहे पर सो जाते हैं |कर्