2 नवंबर, 2022, बुधवार
रात्रि 01:00 बजे
आज मैं पूरे दिन व्यस्त रहा। एक प्रतियोगी छात्र होने के नाते व्यस्त होना लाजिमी भी है। कल रात को ही मैंने 'हिंदी' के एक टॉपिक को आज पढ़ने का लक्ष्य रखा था। इसीलिए सुबह नाश्ता करने के बाद कमरे का दरवाजा बंद करके पूरी तन्मयता से पढा़ई में जुट गया था। दोपहर में लंच करने के बाद लगभग दो घंटे आराम किया उसके बाद फिर से उसी ऊर्जा के साथ अध्ययन में जुट गया। शाम के वक्त अचानक हमारे घनिष्ठ मित्र संदीप जी का फोन आया कि उनका सीटीईटी का फॉर्म भरना है। उनका फॉर्म भरने में 2 घण्टा चला गया।
रात को लगभग 9 बजे डिनर करने के बाद एक घण्टे छत पर टहलने के लिए गया। मेरी आदत है कि मैं टहलते वक्त ईयरफोन लगाकर कविताओं को सुनता हूँ जिससे तनाव थोडा़ कम होता है। टहलकर वापस आया तो फिर से दो घण्टे अध्ययन किया। पढा़ई के साथ-साथ लेखन-कार्य भी करना होता है और आज से 'शब्द इन' पर दैनन्दिनी भी लिखना प्रारंभ करना था, पढ़ते-पढ़ते सरदर्द भी होने लगा था। इसलिए 12:00 बजे पढा़ई बंद करके दैनन्दिनी लिखने लगा।
"श्रम ही सफल बनाता है"
अंजनी कुमार शर्मा