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श्रीमदभागवत गीता आज के संदर्भ मे,संदीप कृत।

23 मई 2022

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जयश्रीकृष्ण
 पाठकगण सुधिजन व मित्रगण। 
आप सब को ह्रदय से नमन।आज मै आपके बीच अपनी एक और पुस्तक  लेकर उपस्थित हू श्री गणेश जी व माता श्री सरस्वती देवी से अनुकम्पा पाते हुए  श्रीकृष्ण की वाणी, श्रीमदभागवत गीता जी की विवेचना का श्री गणेश  करने जा रहा हू हर बार कुछ  न कुछ नया जोडूगा।
बुध्दिमान  तो ज्यादा नही हू पर क्यो ये ग्रंथ मुझे भाया नही जानता पर क्यू इस पर लिखू यह भी नही जानता बस मन किया सो लिखने जा रहा हू।
अच्छा होगा  बुरा  होगा पता नही बस अपनी बुद्धि के अनुसार  ही लिखूगा।
स्वीकार करिएगा।
ये शब्दालंकार श्रीकृष्ण की प्रेरणा से श्रीकृष्ण के लिए  लिख रहा हू श्रीकृष्ण  इसपर अपनी अनुकम्पा करे।
बस इतनी ही प्रार्थना है की लिखने वाले से लेकर पढने वाले के बीच सब पर श्रीकृष्ण कृपा बनी रहे।
जय श्रीकृष्ण। 
प्रश्न लड़ी:-
गीता है क्या :- मेरे मतानुसार पथच्युत व्यक्ति की शंकाओ का निवारण  करने वाली सलाह गीता है।
क्या गीता एक ही है :- नही ऐसा नही ,सो से ज्यादा गीता है ,उद्धव,गीता,अष्टावकर् गीता आदि कई है।
जीव के शरीर की तीन भौतिक  गतिया:-जलाया जाना ,दबाया जाना या फिर ही सडने देना।
चौथी गति नही है।
आगे विस्तृत चर्चा  करेगे।सब पर 
आज का अंतिम  प्रश्न:- समान्य परिपेक्ष्य मे इसके मायने :-गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो काल,स्थिति व्यक्ति या संदर्भ  विशेष  के लिए नही बल्कि  सर्व मान्य  हर काल ,व्यक्ति  व स्थिति मे सत्य है।वैज्ञानिक है व परिपूर्ण  है।
यह मुझ जैसे सामान्य  व्यक्ति के लिए  भी वैसा ही फलदायी है जैसे अर्जुन  के लिए  था।
यह भीतर के हर द्वंद्व का सटीक  उत्तर आपकी भाषा बुध्दिमत्ता व स्तर के हिसाब से देती हुई आपको संतुष्ट  करती है ।
जय श्रीकृष्ण। 
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
श्रीकृष्ण देवाय।
जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण। 
*Reserving all copyright  rights reserved)
Scripted  by Sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com
 Jai shree Krishna g .


Randhir Sìngh

Randhir Sìngh

आकर्षक भाव

18 अगस्त 2022

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रचनाएँ
आज के संदर्भ मे श्रीमदभागवत गीता, संदीप कृत।
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जयश्रीकृष्ण पाठकगण सुधिजन व मित्रगण। यह किताब मैने आपके निमित्त "श्रीमद्भागवत गीता जी" के कुछ शब्दो को सही सही विवेचन अपनी बौद्धिक कौशल के आधार पर आपकी भेंट करने की कोशिश की है। आशा है इन्हे समझकर गीता जी पढनी आसान लगेगी।एक प्रयास है आशा है पसंद आएगा। सप्रेम आपकी भेंट। जयश्रीकृष्ण।
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श्रीमदभागवत गीता आज के संदर्भ मे,संदीप कृत।

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जयश्रीकृष्ण पाठकगण सुधिजन व मित्रगण। आप सब को ह्रदय से नमन।आज मै आपके बीच अपनी एक और पुस्तक लेकर उपस्थित हू श्री गणेश जी व माता श्री सरस्वती देवी से अनुकम्पा पाते हुए श्रीकृ

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मति व उसके रूप।

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जय श्रीकृष्ण गीता को जानने से पूर्व चलिए कुछ terms या शब्द जान ले जो सामान्यतः हम इस ग्रंथ मे पढेगे।व उनके अर्थ को सही से समझ सके यह आवश्यक है हम उन्हे वैसे ही जाने जैसे म

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ब्राह्मण कौन ?

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अहम ब्रह्मा अस्मि।क्या इस उक्ति का कुछ लेना देना है ब्राह्मण से ?मेरे मतानुसार हाॅ।बिल्कुल, शतप्रतिशत। क्योकि जो शुद्र से ब्राह्मण हो जाए वो ब्रह्मा।&nbs

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ब्रह्मचर्य।

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जय श्रीकृष्ण मित्रगण। जय श्रीकृष्ण। आप सबको यह जान कर हैरत होगी कि आप जो स्वय को लेकर भ्रमित है कि आप की जाति फलानी या फलानी है तो यह भ्रम शायद आपका "ब्राह्मण कौन" प

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महामृत्युंजय मंत्र के स्वरूप।

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महामृत्युंजय मंत्र पौराणिक महात्म्य एवं विधि〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना कई तरीके से होती है। काम्य उपासना के रूप में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। जप के लिए अलग-अलग मंत्रों क

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भजन ।

23 मई 2022
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राम नाम के साबुन से जो, मन का मैल छुडाएगा, (2) निर्मल मन के दर्पण मे वो, राम का दर्शन पाएगा। राम नाम के साबुन 2) राम, राम जी,जै,राम राम, राम राम जै जै राम राम (6) हर प्रा

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सागर मंथन। एक नवीन नज़रिया।

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हमारी सनातन परंपरा उत्कृष्ट परम्परा रही है।उसमे अथाह ज्ञान व जानकरी का समावेश रहा है ।पर वो नीरस न लगे सो इसे संकेत या कहानियो से समझाया गया।अब बौध्दिक विकास

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चार वर्ण। [एक नवीन दृष्टिकोण। ]

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जय श्रीकृष्ण। साथियो ,मुझे खुशी के साथ साथ अपार हर्ष व प्यार का एहसास हो रहा है कि आप को मेरे विवेचनात्मक विचार। कृष्ण कृपा से भा रहे है।आदरणीय गण, यह सब कृष्ण कृपा है व उनका आशीर्वाद है,वो

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तप या तपस्या।

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तप क्या है यह एक सामान्य सा प्रश्न है और जब हम इसके अर्थ को जानने का प्रयास करते है तो मन मे धारणा बनती है कि,कोई साधू या सन्यासी कोई स्थान विशेष पर बैठ

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पुनर्जन्म पर मेरा निज मत।

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जय श्रीकृष्ण। मित्रगण। आप और हम पर कृष्ण कृपा बरसती रहे।दोस्तो पुनर्जन्म की धारणा पर विभिन्न लोग विभिन्न मत रखते आए है।हमारी सनातन परंपरा व धर्म के अनुसार पुन

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भजन।

23 मई 2022
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शिव, शिव शिव शिव नमो शिवाय।शिव शिव शिव शिव नमः शिवाय।[(2)]भोलेनाथ है डमरू बजाए,डम डम डम डम डमरू बजाए। (2)।शिव शिव शिव शिव नमो शिवाय, शिव शिव शिव शिव नमो

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