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मेरी अपने जीवन की कविता।।

Sundeiip Sharma


यह कविता संग्रह मैंअपने जीवन के कुछ पलो को जो खट्टे अनुभव लिए हैं,को काव्यात्मक अंदाज मे लिखूगा।जो निजता को सार्वजनिकव सामाजिकतो करेगा पर एक चरित्र को उजागर भी करेगा जिससे मैं खिन्न हूं। ईश्वर मुझे माफ करे व मेरा साथ दे व मुझे हर गलती से रोके। लेखक संदीप शर्मा।। 

meri apane jivan ki kavita

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पुस्तक के भाग

1

मेरी जिन्दगी का एक सच।

11 नवम्बर 2022
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उजालो मे मुझको अंधेरो ने छुआ हैं, पानी मे से आग जलने लगी हैं, यह कौन हमसफर हुआ हैं,कही मेरा, जिंदगी हाथ से अब फिसलने लगी हैं।। निराश, हताश कभी होता नही था, यह मौसम पतझर का मैं बोता न

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मेरी जिन्दगी का एक सच।

11 नवम्बर 2022
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उजालो मे मुझको अंधेरो ने छुआ हैं, पानी मे से आग जलने लगी हैं, यह कौन हमसफर हुआ हैं,कही मेरा, जिंदगी हाथ से अब फिसलने लगी हैं।। निराश, हताश कभी होता नही था, यह मौसम पतझर का मैं बोता न

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किताब ए जिंदगी।क्या सिर्फ कहानी को....

12 नवम्बर 2022
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किताब ए जिंदगी, " , क्या तेरी कहानी, क्यू मै तेरा ,पात्र बना, बिन वजह, कहा ,मै आ, उलझा,? 'बद',, 'नाम ', "बदनाम" बना समझ न आता जानी।। इक , इक वर्का,जब ,जब, पलटा, गज़ल ,कविता की ही बात

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रसूखदार।

12 नवम्बर 2022
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एक जहर की मुझे तलाश थी,मुझे दर्द से बड़ी ही आस थी,जानता था ,इतना पर मै ,मगर,जो खुशियां मांग रखूंगा,तो शहर आएगा, मेरे पास मे,मै कहा तक सब समेटूगा,सो दर्द को गले लगा लिया,क्यूंकि सुकून

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साजिश ए इश्क।

14 नवम्बर 2022
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साजिश ए इश्क, की हर किसी ने है झेली, चोटिल सब हैं यहा, तू ही नही अकेली।। रखी जो इश्क की , किसी ने भी ख्वाहिश कोई साजिश से उसकी , घायल हुआ वो ही ।। साजिश ए इश्क की, हद से ज्यादा हैं। बेहद

6

विवाह, पुनर्विवाह पर विचार।

17 नवम्बर 2022
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विवाह एक संस्थान हैं,यह पवित्र संबंध मात्र दो परिवार का नही दो कुटुंब का हैं।जिसमे सबसे बड़ी अहमियत नर व नारी की हैं जो इसके आधार हैं। "पति पत्नि "जिन्हे उस दिन दुल

7

गुफ्तगू दिल से।

19 नवम्बर 2022
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रफ्ता रफ्ता,हौले हौले, दिल से धीमी आवाज थी आई। क्यूं रे पगले, खुद ही रो ले, क्या लगता, किसी को , न पडा सुनाई।। माना रोती, तेरी ऑखे । कानो को न देता सुनाई, पर मैं तो दिल हूं तेरा।। देख सुन

8

प्रेम की परीक्षा।

2 दिसम्बर 2022
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परीक्षा मैने जब जब दी,तब तब हुआ पास हूं। प्रेम की परीक्षा मे,बस न हुआ पास हूं।।देखा मैने इर्दगिर्द,लगा जो मेला था,जाने क्यूं लगा जैसे ,मैं ही वहा अकेला था।।मिलना था, यहा से प्या

9

स्पर्श।

11 फरवरी 2024
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