यहा हम ग़ज़ल कहेंगे,
चूक भी गए जो नियम बंधन से,
महबूबसे बात,तो भी करेगे।।
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पूछते है,वो ये ग़ज़ल क्या है,
महबूब से बात का इक जरिया है।।
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संदीप शर्मा।।
लेखन को कोई बहुत पुरातन अनुभव नही है ।पर लिखना भाता है।मन के विचारो का बादल शब्दोके बादल बन फुहार करते है तो रचना बनती है।इसमे भावो की सौधी सी महक नूतन प्राण फूंकती है तो पाठक के ह्रदय मे अपने नेह व स्नेह की पौध अंकुरित करती है।
तब उनकी वाह