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साइलेंट लव

7 नवम्बर 2021

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साइलेंट LOVE

अक्टूबर का सुबह, ना ज्यादा ठंड,न गर्म, । पंखा इस रफ्तार से चल रही है मानो कि गिना जा सकता है कि पंखा 1 मिनट में कितनी बार घूमी है। रमेश एक पतली चादर डालकर बेड पर लेटा है।

चादर ओढ़ने के दो कारण हैं।,  एक तो मच्छर, दूसरी खिड़की से आ रही धूप।

मां दो बार आकर राजेश को जगा चुकी है परंतु राजेश चादर हटाकर खिड़की की ओर देखता है फिर सर को ढक लेता है। इस बार मां चाय का ट्रे लेकर आई हाथ में ।,चल उठ चाय पीकर दरवाजे पर जा तुम्हारे पापा मुझे ही डांटते हैं कि मैं ही बिगाड़ दी हूं तुझे। राजेश इस बार भी सर को ढककर सोना चाहा परंतु इस बात मां ने चादर खींच लिया, चल अब नाटक मत कर। जाकर दर्जी के यहां से कपड़ा ले आ। 12:00 बजे तक पहुंचना है वहां। राजेश आंखें मलते हुए उठा। दोनों हाथों को ऊपर उठाया, अंगड़ाई लिया। बहुत थोड़ा सा आंखे खोला। हाथ से चाय की प्याली उठाते हुए बोला, मम्मी तुम और पापा चले जाओ मैं नहीं जाऊंगा। मम्मी- कैसा लड़का है तू! अपने पापा को देखे’  शादी हो तो 2 दिन पहले पहुंच जाते हैं कौन सा रोज रोज शादी होगा निमी का? आखिर निमी तुम्हारा एक अच्छी दोस्त है। बेचारी आई थी कार्ड देने। कार्ड में तुम्हारा नाम अलग से डाली है। चलो तैयार हो जाओ ।

12:00 बजे से पहले पहले राजेश , मम्मी पापा के साथ मैरिज हॉल पहुंच गया। मैरिज हॉल के गेट पर आकर रमन जी (निमी के पापा) अभिवादन किये। पापा मम्मी अंदर चले गए। राजेश कार को पार्किंग में ले जाकर पार किया परंतु ना जाने क्यों राजेश कार से निकला नहीं कार में बैठा रहा कार के स्टेरिंग के बगल वाले डिक्की से एक डायरी निकाल कर पढ़ने लगा।

राजेश के डायरी से………..

मैं पहली बार उसे तब देखा था जब मैं कुछ देखने की स्थिति में नहीं था एक्सीडेंट के बाद मुझे होस आया तो मैं खुद को हॉस्पिटल के बेड पर पाया। पैर हिल भी नहीं पा रहा था।दाएँ हाथ में  सलाइन का निडल लगा हुआ था।     बड़ी मुश्किल से बाएं हाथ को अपने  थोबडे तक ले आया। मालूम हुआ कि पूरा चेहरा सूजा पड़ा है। आंखें खुल नहीं रही है कई बार कोशिश करने के बाद आंख के पलकों को  थोड़ा सा खोला। वह सामने खड़ी थी। ईससे पहले कि मैं उसे भर नजर देख पाता, वह दौड़ कर बाहर गई। मां पिताजी के साथ अंदर आई। मम्मी पापा मुझे  देखकर बहुत खुश हुए। मम्मी के आंखों में आंसू आ गई। मां उसे गले से लगाते हुए कहा, थैंक्स नर्स!

मां मेरे सिर के पीछे आकर बैठ कर मेरे सर को सहलाने  लगी । उसने सलाइन की बोतल  बदली।

मैं करवट बदलना चाह रहा था। उसने जोड़कर डाटा, स्थिर नहीं रह जाता। हाथ को मत उठाओ! नीडल हिल जाएगी! उसने एक टेप से मेरे हाथ को बेड से बांध दिया। बोली जब तक यह सलाइन का बोतल खत्म नहीं हो जाता, तब तक आप करवट नहीं बदल सकते।

पूरे 5 दिन बाद मैं बेड छोड़ा 2 सप्ताह बाद मैं पूरा टनाटन हो गया। डिस्चार्ज  करते वक्त उसने कुछ दवाइयां लाकर दी जो डॉक्टर ने लिखा था और 1 माँ के भांति जो अपने 5 वर्ष के बच्चों को समझाती, उसने मुझे समझाया, कि कौन सी दवा कब खाना है, दोपहर, सुबह, शाम के लिए। इंजेक्शन एक दिन छोड़कर एक दिन लेना है। खट्टी चीज  साफ नहीं खानी है। रेगुलर चेकअप के लिए आना होगा, एवरी मंडे। ओके!

मैं उठकर आगे बढ़ा। पापा कैश काउंटर पर बिल पे कर रहे थे। बिल देने के बाद हम वहां से चले।

इधर मैं दवा, इंजेक्शन से तंग  आ चुका था। अभी आधा दवा बचा ही था कि मैंने मना कर दिया, मुझे नहीं खाना दवा।

अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ।  मैं 2 सप्ताह बाद ऑफिस जाने लगा। रेगुलर चेकअप बंद।

यह इस्तेफाक है या और कुछ! मुझे नहीं मालूम! आज 3 महीने बाद अचानक उसे देखा। यह भी बड़ी अजीब बात है कि जब पहली बार देखा तो देखने की स्थिति में नहीं था। आज दूसरी बार मिला तो मिलने की स्थिति में नहीं हूं। मेरा कार  रेड लाइट पर रुका था।  कार रेड लाइट से कुछ दूरी पर खड़ी थी। आगे पीछे जाम लगा हुआ था। मैने कार का शीशा डाऊन किया। सर को बाहर  निकाल ही रहा था लंबी जाम देखने के लिए कि मेरे कार के साइड मिरर में एक चेहरा दिखा। मैं  शौक् रह गया। यह तो नर्स है। मैं गर्दन को 45 डिग्री लेफ्ट टर्न किया, उसे देखने के लिए।  वह शायद मुझे पहले ही देख चुकी थी उसने हाथ हिला पर हाय बोला। मैंने भी सर को हिलाकर हाय स्वीकार किया। उसने इशारा की कि आगे बढ़कर कार रोकिए आप ।

ग्रीनलाइट हुआ मैं ट्रैफिक पार करके कार को साइड लिया। तब तक उसने भी अपनी कार को मेरे कार के आगे लाकर रोका। हम दोनों बाहर आए उसने कहा, हाय कैसे है? अब आपकी तबीयत? मैंने कहा जी अब अच्छा है , घुटने में थोड़ा दर्द है।  इससे पहले कि मैं उससे  कुछ पूछता उसने मुझ पर लगातार तीन सवाल दाग दी।

दवा टाइम से लेते हो या नहीं?

इंजेक्शन खत्म हो गया या नहीं?

रेगुलर चेकअप के लिए जाते हो या नहीं क्योंकि मैं पिछले ढाई महीने से बाहर थी कल ही शाम में आई  बनारस से।

इतना कुछ उसने एक साथ बोल दी। मैंने कहा, जी दवा और इंजेक्शन तो खत्म हो गई अब मैं कंप्लीट फिट हूं तो दो मंडे के बाद  रेगुलर चेकअप के लिए नहीं गया। उसने कहा कि आपको कैसे मालूम कि आप फिट हो आप डॉक्टर तो नहीं! इतना कह कर उसने मुस्कुरा दी। आज पहली बार मैंने उसे मुस्कुराते हुए देखा। मैंने सर को ऊपर उठाया नजर ऐसे मिली कि हम दोनों ही शर्मा गए। उसने हँस दि, और मैं भी छुपाते छुपाते  मुस्कुरा दिया।

फिर मैंने कहा आप कैसी हैं? और इधर कैसे? जी मैं ठीक हूं। आई थी यही 4 नंबर गली एक पेशेंट को देखने ।

मैंने मजाक में कहा , मुझे देखने तो नहीं आई कभी आप? वह मुस्कुरा दी उसकी हर मुस्कान मुझे खुद से दूर कर रही थी मैं खुद से खो हो रहा था ।उसके करीब जा रहा था। मैंने कहा अब घर ही तो जाना है चलिए मेरे घर यहीं बगल में ही है, एक एक चाय हो जाए! उसने कहा, जनाब मैं नर्स हूँ । पेशेंट के घर जाने के लिए फीस लेती हूं। फिर मुस्कुराई ।मैं हसने लगा। उसने भी जोर से हंसी। हंसते हुए कहा, बट आप के लिए डिस्काउंट है। आप चाय ही पिला देना।

घर आकर हम दोनों बैठे हैं। शाम हो चुकी थी। थोड़ा थोड़ा सर्दी भी लग रहा था। उसने स्काप लगा लिया और मुझे भी डाटी की कान में कुछ पहना क्यों नहीं ! ज्यादा फैशन दिखा रहे हो? मैंने भी मफलर पहन कर बेड पर बैठा। उसने मेरे तरफ एक तकिया फेका। हम दोनों  दीवाल के सहारे बैठे। बेड पर रखी रजाई से मैंने अपने पैरों को ऊपर तक ढक लिया। उसने आंखों से इशारा किया कि रजाई  उसके तक मैं फैला दूं। मैंने उसके पैरों तक रजाई को फैला दिया । अब हम दोनों के पैर रजाई के अंदर थी तब तक माँ ने चाय ले आई। चाय की ट्रे टेबल पर रख कर बेड पर बैठ गई । मेरे हॉस्पिटलाइज के दौरान ही मां को वह अच्छी तरह जान चुकी है। मां ने कहा देखो ना निमी यह राजेश मेरा तो सुनता ही नहीं। अभी आधा दवाई, इंजेक्शन बचा है  ये लेना बंद कर दिया। चेकअप के लिए भी नहीं गया। उसने मुझे उस प्रकार देखा जैसे होमवर्क कंप्लीट ना होने पर शिक्षक किसी स्टूडेंट को देखते हैं। मेरी झूठ  पकड़ी गई। मैंने मन मन में ही विचार किया है यार गलत किया इसे चाय पर बुला कर। उसने कहा मगर यह तो मुझसे  कहा कि दवाई इंजेक्शन खत्म हो गई। वाह! जनाब। झूठा! मैंने जवाब दिया लेकिन मैं तो कंप्लीट फिट हूं ।

हां डॉक्टर तो तुम ही हो और मैं तुम्हारा पेशैन्ट। तब तक माँ उठकर अंदर गई दवा की थैला लाकर उसके हाथों में रख दी। चाय खत्म करके उसने दवा को खोलकर देखा मुझ पर गुस्सा हुई। उसने कहा अब तुम ऐसे नहीं मानोगे । मैं स्वयं आकर इंजेक्शन दूंगी। मैं एक आदर्श विद्यार्थी की भांति उसके हर गुस्सा को सहन किया। उसकी बात को स्वीकार किया। आधा घंटा तक बैठने के बाद मैंने पैरों को हिलाया तक नहीं मुझे डर था कि मेरे पैरों से उसका पैर टच ना हो जाए। बट हुआ वहीं! चाय खत्म करने के बाद मैंने कप को टेबल पर रखने के लिए हाथ बढ़ाया तो मेरा पैर उसके पैर के अंगूठे से टच हो गया। मेरा शरीर एकदम सिहर गया। मैंने उसे देखा तो वह मुस्कुरा रही थी।

अब वह हर  दूसरे दिन आती है इंजेक्शन लगाकर जाती है। मजबूरन मुझे सारी दवा खानी पड़ी। उसका डाट अलग। इंजेक्शन खत्म होने के बाद अंतिम दिन मैंने उससे उसका फोन नंबर ले लिया। पापा ने कहा था बेचारी पेट्रोल जला कर आती है वह खुद से तो मांगे गी नहीं पर तुम अपने मर्जी से उसे दे देना। मेरे पूछने पर कि आप का फीस कितना हुआ?  आंखें दिखाती हुई बोली, लगता है तुम्हारा दिमाग का भी इलाज करना पड़ेगा। मैंने बिना पूछे ₹2000 उसके  फोन पर पे कर दिया। फोन करके मुझ पर बहुत गुस्सा हुई। उसका गुस्सा होना भी मुझे अच्छा लगता है। अब हम दोनों किसी ना किसी बहाने से फोन पर बात करते रहते हैं। कभी कभी मैं झूठ बोल देता कि मेरे घुटने में दर्द है तो वह स्वयं आती मुझे मेरे ऑफिस ड्रॉप कर देती है। साथ में 1 ट्यूब ले आती है घूटने में लगाने के लिए।

एक लंबे व्यस्तता के कारण हम लोग मिल नहीं पाए हालांकि बातें बराबर होती रहे। एक दिन अचानक उसने मैसेज किया-  शाम के टाइम  कॉल करना। शाम में मैंने कॉल की किया।

उसने कहा, कल क्या कर रहे हो, दोपहर में?

मैंने कहा, कुछ खास काम तो नहीं है ऑफिस भी बंद है तो तुम बताओ

उसने कहा, तो फिर…. फिर….तुम…

मैंने कहा, हां, बोलो बोलो!

तो फिर कल….. कल…. कह कर हंसने लगी।  मैं समझ गया। मैंने कहा,

कहाँ? वही!

उसने कहा, हां 1:30 बजे तक! ओके!

मैंने कहा ओके डन।

फिर उसने हंसकर कॉल कट कर दि।

कई महीने बाद हम दोनों आज सीसीडी पर मिलने वाले हैं उसका तो नहीं पता पर मै बहूत एक्साटमेन्ट था।हालांकि जब मैं 15 मिनट पहले भी पहुंचा तो वह पहले से वहां बैठी थी। मैंने उसे देखकर अपनी घडी पर दो बार देखा। कहीं मेरा घड़ी फास्ट तो नहीं। उसने मुस्कुरा कर बोली। अरे जनाब आइए आइए। आपकी घड़ी बिल्कुल सही है। मैं ही जल्दी आ गई। आज पहली बार हम दोनों इतना ज्यादा समय एक साथ बिताए। दैनिक कार्य, जॉब के बारे में बात होने के बाद उसने मेरे सेहत के बारे में पूछा? मैंने कहा यार तुम डॉक्टर जाति का यही प्रॉब्लम है तुम्हें हर कोई पेशेंट दिखता है। हम दोनों हँस पड़े।

जाने अनजाने में हम दोनों बहुत करीब आ चुके  थे। कभी किसी काम के बहाने मिलते थे तो कभी बहाने से काम ढूंढते थे तब मिलते थे।  अब तो बहाने बनाकर मिलते हैं। मैं कभी भी ऑफिस से निकल जाता हूं उसे हॉस्पिटल से पिक अप करता हूं। बिना किसी प्लान के कहीं निकल जाते हैं। मैं पूछता कहां चले? बोलती कहीं ले जाओ।

मैं मजाक मजाक में बोलता कि तुम मुझ पर इतना विश्वास करती हो ,कहीं मैं तुम्हें लेकर भाग जाऊंगा तो वह मुझे एक घुस्सा मारती! इतना हिम्मत कहां तुम्हें? तुम्हें तो इंजेक्शन से भी डर लगता है। हम दोनों घंटों बात किया करते। बात करते करते हैं ऐसा लगता कि वह कुछ कहना चाहती है। कहते कहते रूक जाती है। मैं बोलता बोलो बोलो तो वह बात को बदल देती है। मैंने कई बार हिम्मत करके कुछ कहना चाहा तो वह रोक  देती। कहती रहने दो ना तुम समझ गए मैं समझ गई अब जबान पर लाने की क्या जरूरत।

हम दोनों में क्या रिश्ता है क्या भविष्य में क्या होगा? इस पर कभी कोई चर्चा नहीं हुई ना हम दोनों रिश्ते के बारे में कोई सीरियस बात किये है।

कभी-कभी कोई बात पड़ता तो वह बोल देती कि मैं तुम्हारा जी.एफ थोड़ी ना हूं उसी प्रकार मैं भी।

मां  मुझसे कई बार कहा कि निम्मी के बारे में क्या ख्याल है? मैं  मां को डाल देता था। इस दौरान हम दोनों के परिवार एक दूसरे  को अच्छी तरह जान चुके थे।

एक दिन शाम को जब हम, मम्मी पापा डिनर पर थे तो मेरे पापा बता रहे थे कि  उसका रिश्ता होने वाला है मेरे पापा भी गए थे उसके लिए लड़का देखने।

ऑफिस के काम से मुझे 15 दिन के लिए लखनऊ जाना पड़ा। इस दौरान हमारी बातें बहुत कम हुई। वह अस्पताल छोड़ चुकी थी जब मैं लखनऊ से लौटा तो मेरे टेबल पर एक शादी का कार्ड रखा था कार्ड पर एक दिल का चित्र था जिसमें लिखा था नीमी वेट्स सरोज। मैंने बैग रखा कार्ड को खोला देखने के लिए। तब तक माँ पानी  लेकर आई। मैं पानी पी रहा था कि माँ कार्ड को उठाकर टेबल पर रखते हुए बोली, निमि का भाग बढ़िया है लड़का सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। कार्ड के ऊपरी लिफाफे पर लिखा था।

सेवा में श्रीमान पापा जी का नाम लिखा था वही नीचे में ब्रैकेट में लिखा था “राजेश”

बहुत देर हो गया मैरिज हॉल में लगभग सारे लोग आ चुके थे सभी खाने में, एक दूसरे से बात करने में व्यस्त हैं मां जाकर निमी से मिली निमी कई बार चारों ओर नजर दौड़ा कर  देख चुकी। मम्मी पापा दिखे पर राजेश को मैरिज हॉल में ना पाकर निम्मी राजेश के मां से पूछी आंटी जी राजेश नहीं आ रहा है? मां ने कहा आया तो है। होगा कहीं भीड़ में।

मां को डाउट हुआ जा कर राजेश के पापा से  कान में कुछ बोली पापा हॉल से बाहर पार्किंग में आए।

पार्किंग में न कार था ना राजेश।

कुलदीप             8 नवम्बर 2021

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