नज़र कुछ कह ना सकी,...नज़र कुछ कह ना सकी, सितारों के बीच,चाँद जो अपने मुखड़े को, ली थी सींच,एक झलक, तो मिल ही गयी मुझे दूर,मानो जैसे, बन गयी, मेरे आँखों की नूर,कुछ गरम साँसे, छू कर निकल गयी पास,लगा ऐसे, तुम मेरी हो कितनी ख़ास,मूड के देखा, बैठी थी तुम, लिए आँखों में अंग्रा