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सोशल मीडिया एवं बोलना

18 जनवरी 2022

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लेख - Raju Gajbhiye

सोशल मीडिया एवं बोलना

आज के समय सोशल मीडिया बहोत शक्तिशाली व प्रभावशाली माध्मम हैं । समाचारपत्र, टीवी व (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और समानांतर मीडिया) से  सोशल मीडिया इंटरनेट के माध्यम से संपूर्ण विश्व में प्रभावी रुप से प्रचार - प्रसार करता हैं , सभी को आकर्षित व अपना मत देने प्रेरित करता हैं ।  जिसे उपयोग करने वाला व्यक्ति सोशल मीडिया के किसी प्लेटफॉर्म (फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम) आदि का उपयोग कर पहुंच बना रहा हैं ।

आज के दौर में सोशल मीडिया जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है जिसके बहुत सारे फीचर हैं, जैसे कि सूचनाएं प्रदान करना, मनोरंजन करना और शिक्षित करना मुख्य रूप से शामिल हैं।

सोशल मीडिया  बहुत अच्छे से  सकारात्मक भूमिका अदा करता है, जिससे किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश आदि को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया सकता है। सोशल मीडिया के जरिए ऐसे कई विकासात्मक कार्य हुए हैं जिनसे कि लोकतंत्र को समृद्ध बनाने का काम हुआ है जिससे किसी भी देश की एकता, अखंडता, पंथनिरपेक्षता, समाजवादी गुणों में अभिवृद्धि हुई है। 


सोशल मीडिया के प्रभावी प्रसारण व सभी के जुड़ाव के कारण व सभी लोगों तक प्रसार में सोशल मीडिया एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है, जहां व्यक्ति स्वयं को अथवा अपने किसी उत्पाद को ज्यादा लोकप्रिय बना सकता है। आज फिल्मों के ट्रेलर, टीवी प्रोग्राम का प्रसारण भी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है। वीडियो तथा ऑडियो चैट भी सोशल मीडिया के माध्यम से सुगम हो पाई है जिनमें फेसबुक, व्हॉट्सऐप, इंस्टाग्राम कुछ प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं।

लेकिन आज के समय में  TV, सोशल मीडिया पर टीवी की डिबेट शो , न्यूज चैनल , मंचिय प्रदर्शन शो आदि अनेक जगह पर व्यर्थ के भाषणों से सभी वर्ग को परेशान कर रखा हैं । सभी आदरणीय, आदरणीया  पत्रकार महोदय , एंकर मालिक , विश्लेषक , राजनेता, 

अभिनेता , सामाजिक कार्यकर्ता , कवि, लेखक, साहित्यकार, सम्मेलन , हास्य व्यंंग आदि अनेक बुध्दिजीवी वर्ग समझने लगे हैं , संपूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान हमारे पास ही हैं ।  इसलिए समझदार समझदारी सें मौन हैं । 


प्रायः देखा गया हैं , निरथर्क शब्दों से जो अपने श्रोताओं व सोशल मीडिया उपयोग कर्ता में उद्धेग पैदा करता हैं , वहीं सबके तिरस्कार का पात्र होता हैं ।  अपने ही साथी जिससे वह डिबेट करने आते हैं,  उन्हें और उनके प्रतिस्पर्धी साथियों को व श्रोताओं को जोर जोर से चिल्लाकर - झल्लाहट से व्यर्थ की बकवास करते हैं ।  मुद्दे की बात का एक शब्द भी सुनने को नहीं मिलता हैं । सिर्फ़ - सिर्फ कुत्ते भोकते हैं वहीं आवाजें आती हैं ।  इनके निरथर्क शब्दों के आडंबर फैलाने से न्युज चैनलों के मालिक पत्रकार की हालत व उनकी गरिमा स्वंय ही नीचें गीरा रहें ।  ऊंचे-ऊंचे स्वरों से बोलने से कुछ भी सिद्द होता नहीं हैं ।  यह शैली कभी - कभी एक बार काम आती हैं ।  यह विशिष्ट शैली वाले महान पत्रकार एकतरफा चलनेवाले , गुणगान करनेवाले सभी जनता को स्वयं अपनी अयोग्यता स्वंय ही अपने अनुकरण से बताते हैं ।


श्रोता अच्छी बातें सुनने को उत्सुक रह्ती हैं , लेकिन व्यर्थ की खींचतान से अच्छी बातें भुला दी जाती हैं ।  जनता के सामने अपनी ईज्जत गंवा रहें , इन लोगों को कुछ भी समझदारी न रखकर और ज्यादा दिखावा करतें हैं ।


जो समझदार हैं , वह मुख्य प्रश्न हल करना जानते हैं । वह कभी भी अपनें मुख से कठोर शब्द नहीं निकालते हैं । जिनकी दृष्टि , विचार कल्याणकारी रहते हैं वह अभी भी निर्रथक शब्दों को चिल्लाकर उच्चारण करते नहीं ।  तू तड़ाक की भाषा से सभी आहत हैं । सभी चैनल , सभी माध्मम से भाषा , वाणी का प्रयोग बहुत संभलकर करना हैं ।     

                             राजू गजभिये 

                  हिंदी साहित्य सम्मेलन , बदनावर

                       जिला धार पिन. 454660



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