"सुंदरी" सवैया सरल मापनी --- 112/112/112/112/112/112/112/112/2"सुंदरी सवैया"ऋतु में बसंत उतिराय गयो, घर से सजना रिसियाय गयो क्यों।जब फागुन की रसदार कली, बगिया अपने पछिताय गयो क्यों।रसना मधुरी नयना कजरा, करते मधुपान बिलाय गयो क्यों।मन की मन में सब साध रही, अँगना चुनरी उलझाय गयो क्यों।।गलियाँ कचनार अल