घोल कर मिठास और प्यार,हिंदी की महिमा अपरम्पार,हिंदी में व्यक्त करके मन के उदगार, करें दूर अपना तनाव,फिर चाहे हो, लखनऊ के नवाब या हैदराबाद के जनाब,आये मीठी बोली सभी को रास,कविता, कहानी हो या हो हास-परिहास,हिंदी की कुछ ख़ास है बात,साथ हो गर, शब्दनगरी का साथ,इस मंच पर साझा करो अपने विचार,नए दोस्त बनाओ औ
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
निखिल : १- सम्पूर्ण २- अशेष ३- आद्योपांत ४- अखिल ५- समग्र प्रयोग : स्वामी विवेकानंद जैसा महान योगी एवं विद्वान, निखिल संसार में ढूंढना कठिन है I
अविच्छिन्न १- अविभाजित २- अखंड ३- अटूट ४-अजस्र ५- अक्षुण्ण प्रयोग: कर्म एवं फलभोग का अविच्छिन्न सम्बन्ध है।
मनीषी : १- विचारक २- चिंतक प्रयोग : इतनी गूढ़ बात तो कोई मनीषी ही बता सकता है I
मूर्द्धन्य : १- वह वर्ण जिसका उच्चारण मूर्द्धा से होता है जैसे 'ट' वर्ग के सभी वर्ण मूर्द्धन्य हैं I २- जो बहुत बड़ा या अच्छा हो, श्रेष्ठ, उदात्त, अध्यारूढ़; जैसे : पं0 महामना मदन मोहन मालवीय मूर्द्धन्य विद्वान थे I ३- मस्तक में स्थित; जैसे : शिव भक्त स्वामी जी का मूर्द्धन्य तिलक उन पर बहुत
वर्तमान समय में, रिश्तों को निभाना एक अत्यंत मुश्किल कार्य हो गया हैं क्योंकि लोगों के पास रिश्ते निभाने का समय ही नहीं हैं। जीवन की आपाधापी में छोटी-छोटी बातों पर रिश्तें बिखरने लगते हैं। रिश्तों की डोर बेहद नाज़ुक होती हैं, जिसे बहुत सहजने की जरूरत होती हैं। आज के समय में, परिवार और ऑफिस के बीच
निश्चय ही मनुष्य की संकल्प शक्ति का पारावार नहीं, यदि वह मानसिक तथा शारीरिक क्षमता बढ़ाने में ही स्वयं को लगा दे, तो ऐसा बलवान बन सकता है जिसे देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाएँ. दृढ संकल्प के साथ उद्द्यम, आशा और साहस का संयुक्त समन्वय हो, तो वह असाध्य रोगों से भी लड़ सकता है. मनुष्य, दृढ संकल्प शक्ति के ब
साथियो, हमें प्रसन्नता है कि 'सुनी-समझी' श्रंखला की दूसरी कड़ी भी हमारे कई 'शब्दनगरी मित्रों' को अच्छी लगी। हमें विश्वास है कि आपका साथ इस श्रंखला को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। आज प्रस्तुत है इसी श्रंखला की तीसरी कड़ी... किसी ने सुना ये वाक्य : "It is high time that we did something about imp
साथियो, कितनी ही बार जाने क्या खोजते-खोजते हम कितना कुछ मध्य में पा जाते हैं किसी गंतव्य तक पहुँचते हुए. कुछ ऐसे ही किताब के पन्ने पलटते, आ पंहुचे 'आधुनिक मीरा', और हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती महादेवी वर्मा जी की इस कविता तक. ये तो तय है कि कई बार पहले भी आप पढ़ चुके होंगे यह कविता, आइये आज इसे
दर्प : १- अहंकार २- घमण्ड ३- अभिमान ४- दंभ ५- प्रागल्भ्य प्रयोग : व्यग्रता, आसक्ति, ममता, चिंता, काम, क्रोध, लोभ, मोह, असहिष्णुता, अधैर्य, दर्प आदि मन की व्याधियां हैं।
समृद्ध: 1- धनवंत 2- समृद्धशाली 3- ऐश्वर्यवान 4- लक्ष्मीक 5- रत्नधर प्रयोग: जहां नारी का सम्मान होता है, वहाँ समाज समृद्ध होता है।
कौमुदी : १- चाँदनी २- ज्योत्सना ३- चंद्रप्रभा ४- चन्द्रिका ५- मालती प्रयोग : बर्फ से ढकी, कौमुदी में नहाई घाटी ऐसी चमक रही थी मानो चाँद धरा पर उतर आया हो I
हर-क्षण, हर-पल देश के पैरों को जकड़ती ये आरक्षण की आग,देश का युवा, इसमें जलकर न हो जाये राख,मेहनत और काबिलियत कि कद्र करो तुम, आरक्षण कर देगा सबको खाक,हर दिन एक सुअवसर हैं, इसका मूल्य समझो जनाब,न करो युवाओं को गुमराह तुम,देश के सिपाहियों में भरो उत्साह तुम,ले जाए देश को ये प्रगति पथ पर,ऐसे गीत गुनगुन
भारतीय संविधान में २४ भाषाओँ को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. इनमें कुछ प्रमुख भाषाएँ हैं-संस्कृत, हिन्दी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, गुजराती और असमिया. ►तमिल भाषा, द्राविड़ भाषा परिवार की प्राचीनतम भाषा मानी जाती है। ►संस्कृत, ग्रीक तथा लेटिन आदि भाषाओं के समान तमिल को भी
यह प्रथम परीक्षण लेख है |
अभिराम : १- सुन्दर २- आकर्षक ३- मनोरम ४- चित्ताकर्षक ५- सुरम्य ६- मनोरम ७- अभिरम्य ८- मञ्जु ९- ललित १०- प्रियदर्शन प्रयोग : कतिपय चितेरों की ललित कृतियाँ अत्यंत मनोरम एवं अभिराम प्रतीत होती हैं I
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
महीना अप्रैल का...अजी इसमें ख़ास क्या है, हर साल आता है, मार्च के बाद और मई से पहले. लेकिन, सच कहें तो पूरे वर्ष अप्रैल में कुछ ऐसा होता है जो बाक़ी के महीनों में नहीं होता. इस महीने की शुरूआत को ही देखिये, कैसा बुद्धू बनाकर आता है. पहली अप्रैल यानि हंसी-मज़ाक का दिन 'एप्रिल फ़ूल'. अपने-अपने ढंग से अपन
अप्रतिम : १- जिसकी तुलना या बराबरी का दूसरा न हो २- बेजोड़ ३- अनुपम प्रयोग: विविध झांकियों की अप्रतिम सुंदरता ने दर्शकों का मन मोह लिया I १४ अप्रैल, २०१५
साथियो, हमें अत्यंत हर्ष है कि श्रृंखला 'सुनी-समझी' आपको पसंद आ रही है, इसकी प्रत्येक कड़ी पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रियाएं भी मिल रही हैं। इसी प्रकार आपका साथ हमें यह श्रंखला आगे बढ़ाने हेतु प्रेरणा प्रदान करता रहेगा, ऐसा हमें विश्वास है। तो, प्रस्तुत है आज की 'सुनी-समझी'... किसी ने सुना ये वाक्य : "W
मैं घर के आँगन में झूलता , दुधमुंहे लल्ला का पालना हूँ. अकेलेपन से उकताया तो मन हुआ कि कुछ बातें करुँ. मगर किससे? लल्ला सो गया है. आया टी.वी. देख रही है. मैडम ब्यूटीपार्लर गई हैं. साहब ज़रूरी मीटिंग में गए. माताजी पड़ोसन की बहू का क़िस्सा सुनने गई हैं. बाबूजी होमियोपैथी की दवा लेने गए हैं. मैं तो मन क
दामिनी : १- विद्युत २- तड़ित ३- चपला ४- अनुभा ५- तरिता प्रयोग : नाम के सदृश उसके कार्यों में भी दामिनी सी चमक है I
सुधी साथियो, 'कामायनी', 'आंसू', 'कानन-कुसुम', 'प्रेम-पथिक', 'झरना' तथा 'लहर' आदि कालजयी रचनाओं की बात करें तो आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि हम हिंदी जगत के सुप्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की बात कर रहे हैं. 'शब्दनगरी' पर आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं, उनकी अनेक चुनिंदा रचनाओं में से एक अत्यंत
उत्कृष्ट : १-उत्तम २-श्रेष्ठ ३-प्रकृष्ट ४-प्रशस्य ५-आभ्युदयिक प्रयोग : जब कवि अपने विचारों का समावेश काव्य में करता है तभी काव्य उत्कृष्ट बन पाता है।
विषय : पर्यावरण बच्चे ने हरी-भरी सुन्दर-सजीली गेंद से खेलते-खेलते धीरे-धीरे कुतर दिया उसे। उधेड़ कर परत-दर-परत देखना चाहता था उसे तह तक। या फिर कौतूहल में उतारता गया रंगों की पपड़ियाँ इसकी। अब असंतुलित हो गई है, रंग उधड़ गया है इसका। कुरूप हो गई है अब, जीवन से भरी उछलती थी अब तक..... अब
हमें आपको यह अवगत कराते हुए हर्ष हो रहा है कि कानपुर के नवोदित प्रतिभाशाली कवियों को मंच प्रदान करने हेतु अमर उजाला एक रियलिटी शो 'अमर वाणी-2015' का आयोजन करने जा रहा है I 'शब्दनगरी' के माध्यम से एंट्री लेने हेतु आवश्यक निर्देश : 1- सर्वप्रथम आप 'www.shabdanagari.in/amarvani' लिंक पर
मंजु : १- सुन्दर २- आकर्षक ३- सुरम्य ४- मंजुल ५- मनोहारी प्रयोग : प्रकृति से अधिक आकर्षक एवं मंजु और क्या हो सकता है !
साथियो, ०७ अप्रैल का दिन हम जानते हैं विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में. विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वावधान में हर साल इसके स्थापना दिवस पर ०७ अप्रैल को संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनियाभर में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और जनहित को ध्यान में रखते हुए सरकार को स्वास्थ्
मुक्ताहार १- मोती-माला २- मुक्तालता ३- मुक्तावली प्रयोग: टूटे सुजन मनाइए,जो टूटे सौ बार I रहिमन फिरि-फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार II
सुधी साथियो, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग उन्होंने कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है। निराला जी के प्रमुख काव्यसंग्रह हैं-अनामिका, परिमल, गीति
नन्ही सी बिटिया,बांधे छोटी सी चुटिया,साईकिल पर है सवार,हंसते- खेलते जाने को स्कूल है तैयार,निकल पड़ी हैं, ऊँची-नीची राह पर,सबसे लोहा लेने को है तैयार,पढ़-लिख कर ये बिटिया करेगी,सबके सपने साकार,इक दिन, ये बिटिया बड़ी हो जायेगी,अपने परिवार का नाम रोशन करवाएगी,समाज में अपनी पहचान बनाएगी,शादी कर अपने ससुरा
नारी सौंदर्य की बातें तो अक्सर होती हैं लेकिन पुरुष भी सौंदर्य के पृष्ठ पर पीछे क्यों रहें. वास्तव में कौन है जो सुन्दर नहीं दिखना चाहता ! अगर आप ये सोच रहे हैं कि हम आपको नीबू, शहद, संतरे के छिलके या गुलाबजल वगैरह के प्रयोग बताने जा रहे हैं, तो इस लेख में आपके मन का शायद कुछ न मिले. आपने ये तो सुना
आजकल की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में, तनाव होना आम बात है। अव्यवस्थित ढंग से जीवन-यापन करने से तनाव कई गुना बढ़ जाता है। वर्क प्लेस हो या घर, हर आयु-वर्ग के सभी लोग आज कल तनाव से कही न कही पीड़ित है। स्ट्रेस होना तो स्वाभाविक हैं परन्तु वो स्ट्रेन में परिवर्तित होकर स्थिति आउट आफ कंट्रोल न कर दे, इस बात का
आज हिमालय के दक्षिणी भाग में बहने वाली मलयवात जो कभी अपने साथ प्रकृति-स्नेह से लिपटे हुए सुदूर स्थलों से पर्यटकों के जत्थे लाया करती थी, वो आज अपनी ही मातृभूमि के नयनकमलों से उपजे अश्रुओं की मूसलाधार वर्षा को स्थानांतरित करने के प्रयत्नों में जूझ रही है, ये जानते हुए भी की शायद ये प्रयत्न भी पर्याप्
चिंता होना स्वभाविक होता है, लेकिन ऐसी बहुत सी व्यर्थ की चिंताए हमारे पास होती हैं जो जीवन को घुन की भांति खा जाती हैं। आज के दौर में, देखा जाएँ तो जीवन चिंताग्रसित होता जा रहा हैं, चिंता करना मनुष्य का स्वभाव बनता जा रहा है।स्वामी रामतीर्थ ने कहा है कि , "चिंताएं, परेशानियां, दुःख और तकलीफें परिस
रजत : १-चांदी, रूपा; २-हाथी दांत; ३-मुक्ताहार; ४-धवल रंग; ५-चांदी का बना हुआ, चांदी के रंग का, उज्जवल, शुभ: प्रयोग: तैराकी प्रतियोगिता में तीन खिलाड़ियों को रजत पदक से सम्मानित किया गया. रविवार, १२ अप्रैल, २०१५
करवाचौथ पर सुहागिन महिलाओं को रहता हैं, चाँद का इंतज़ार! इस दिन सुहाग के सभी प्रतीकों से सुसज्जित होकर, महिलाएं चाँद का घण्टों इंतज़ार करती हैं। चाँद के दीदार के बाद ही पूजन विधि संपन्न कर महिलाएं अपना व्रत खोलती है। सुहागनों के लिए ये पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, इस दिन ये अपनी पति की लम्बी आयु के ल
उत्कर्ष : १- प्रकर्ष २- प्रकर्षण ३- उत्कर्षण भाव, मूल्य, महत्व आदि की सबसे बढ़ी हुई अवस्था प्रयोग : सेठ करोड़ीमल का व्यापार इन दिनों सफलता के उत्कर्ष पर है I
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
आईआईटी मुंबई के पूर्व छात्रों ने हिंदी में पहली बार एक ऐसी वेबसाइट शुरू की है, जहां यूजर फेसबुक की तरह अपना पेज बना सकता है और ब्लॉग के जरिए विचार साझा कर सकता है. 'शब्दनगरी' के नाम से शुरू की गई यह वेबसाइट फेसबुक से प्रेरित होने के बावजूद उसकी हूबहू नकल नहीं है. इस वेबसाइट पर यूजर राष्ट्रभाषा हिन्द
हम ‘शब्द्नगरी’ का डोमेन shabdanagari.in के स्थान पर shabd.in करना चाहते है. यह आपके प्रयोग में बहुत आसान होगा. लेकिन पहले इस विषय पर हम आपकी प्रतिक्रिया एवं राय अवश्य जानना चाहेंगे .
राह कठिन है सेवा की ये, पांवों में पड़ जाते हैं छाले, परिचारिका देखती रोगी को ऐसे, जैसे बच्चे को कोई माँ पाले I नहीं चाहिए नाम और यश, ना ही दुनिया की कोई धन दौलत, मान-सम्मान ही इनकी पूंजी इनके दम पर रोगी उठ बैठे, इनके बलबूते अस्पताल की रौनक I (विश्व परिचारिका दिवस)
वैविध्य : १- विविधता, २- अनेकता, ३- विभिन्नता, ४- अनेकत्व, ५- वैभिन्य प्रयोग : भारतीय संस्कृति में कितना वैविध्य है फिर भी अप्रतिम एकता I
माता त्रिशला, सिद्धार्थ पिता गृह जन्मे वर्धमान ॥ पाठ सिखा ब्रह्मचर्य का, धन्य हुआ इंसान॥ मानव रहे सुखी सब, विश्व रहे सब शांत ॥ सत्य , अहिंसा , अपरिग्रह , क्षमा , धर्म सिद्धान्त ॥ तुमको सुमिरु नमन करू , हे सन्मति अतिवीर ॥ धन्य धरा वैशाली की , जहाँ जन्म भयो महावीर ॥
प्रमुदित : १- प्रसन्न २- आह्लादित ३- प्रफुल्ल ४- प्रहर्षित ५- पुलकित प्रयोग : सागर निज छाती पर जिनके, अगणित अर्णव-पोत उठाकर I पंहुचाया करता था प्रमुदित, भूमण्डल के सकल तटों पर I I -पं0 रामनरेश त्रिपाठी
पथ्य : १- शीघ्र पचने वाला भोजन जो रोगी को दिया जाता है. २- संयमित आहार ३- पथ अथवा मार्ग सम्बन्धी प्रयोग: १- रोज़-रोज़ पथ्य खाकर रोगी उकता जाता है I २-स्वस्थ रहने के लिए पथ्य अति आवश्यक है I ३- पथ्य कार्य के कारण, इन दिनों इस मार्ग पर अधिक भीड़ रहती है I १६ अप्रैल, २०१५
निशांत : १- प्रभात २- अरुणोदय ३- विहान ४- उषा ५- अरुण प्रयोग : अरुणिम निशांत की स्वर्णिम रश्मियों से निखिल वातावरण जगमगा रहा है I
अबकी होली, खेलो रंग इतना , अपनों संग मनाओ होली, जी चाहे जितना , छोटी छोटी बातें है , छोटी छोटी खुशियाँ , तुम भी ज़रा हँस लो आज, जब हस्ती है ये दुनिया, न बुरा सोचो किसी का , हर मन हो खुशियाँ समाई , करो कुछ ऐसा , की लगे प्रेम के रंग होली है लाई ।
चन्द्रकान्ता : १- रात्रि २- यामिनी ३- निशा ४- रजनी ५- निशिता प्रयोग : मिलन की चन्द्रकान्ता स्मृतियों में पल्लवित है I
साथियो, प्रस्तुत कविता हिंदी साहित्यकार शिवमंगल सिंह 'सुमन' की पुरस्कृत रचना 'मिटटी की बारात' से उद्घृत है. इस रचना के लिए आपको वर्ष १९७४ में साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा वर्ष १९९३ में भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया. कीचड़-कालिख से सने हाथ इनको चूमो सौ कामिनियों के लोल कपोलों से बढ़कर
देशमान्य गोपाल कृष्ण गोखले बाल्यकाल में बहुत ग़रीब थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा किसी प्रकार पूर्ण हो गई थी। जब कॉलेज की खर्चीली पढ़ाई का प्रश्न सामने आया तो गोखले चिंतित हो गए। तब उनकी भाभी ने अपने आभूषण बेचकर उनकी फीस भरी। उनके बड़े भाई गोविंद राव अपने पंद्रह रुपए के मासिक वेतन मे से सात रुपए गोखले को भ
शायद हममें कुछ ऐसे आदमी हैं जिन्हें इस बात का डर है कि हिन्दी वाले हमारी मातृ-भाषा को छुड़ाकर उसके स्थान में हिन्दी रखवाना चाहते हैं. यह निराधार भ्रम है. हिन्दी प्रचार का उद्देश्य केवल यही है कि आजकल जो काम अंग्रेज़ी उद्देश्य से लिया जाता है वह आगे चलकर हिन्दी से लिया जाये. अपनी माता से भी ज़्यादा प्य
महात्मा तिरुवल्लुवर कपड़े बुनकर अपनी आजीविका चलाते थे। एक दिन संध्या के समय उनके पास एक उद्दंड युवक आया और एक कपड़े का दाम पूछने लगा। संत ने बताया-बीस रुपये। युवक ने उस कपड़े के दो टुकड़े कर दिये और फिर उनका मूल्य पूछा। संत ने कहा- दस-दस रुपये। इस पर युवक ने उन दुकड़ों के भी टुकड़े कर दिये और बोला- अब? सं
सुधी साथियो, बादलों से सलाम लेने वाले, नदी किनारे बैठ, प्राणगीत, आशावरी, गीतिकाएँ रचने वाले गीतकार एवं कवि पद्मश्री गोपालदास 'नीरज' जी की एक अत्यंत सुन्दर रचना 'शब्दनगरी' के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे हैं. पूर्ण विश्वास है कि यह रचना आप पढ़े बिना नहीं रह सकते. छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ
अनुपम : १- अद्वितीय २- अतुलनीय ३- अनोखा ४- अप्रतुल ५- सर्वोत्कृष्ट प्रयोग : भक्त सूरदास हिंदी साहित्य के अनुपम कवि हैं।
प्राक्कथन : १. भूमिका २. प्रस्तावना ३. आमुख ४. मुखबंध ५. उपक्रम प्रयोग : पुस्तक के प्राक्कथन के अंत में लेखक ने पाठकों के प्रति अत्यंत सुन्दर शब्दों में कृतज्ञता व्यक्त की।
सुधी साथियो, अक्षय तृतीया का हिंदू संस्कृति में बड़ा महत्व है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्षय का अर्थ है जिसका 'क्षय' न हो अर्थात जो अक्षुण्ण हो I इस दिन किये जाने वाले शुभ कार्य का फल भी अक्षय होता है। इस दिन दिये जाने वाले दान का भी बहुत महत्व है। ऐसा माना जा
अभिभूत : १- ओतप्रोत २- प्रभावित ३- सराबोर ४- अभिपन्न ५- अभिप्लुत प्रयोग : पाठ्यवस्तु के साथ आपका प्रस्तुतीकरण प्रसन्नता से अभिभूत कर गया।
साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी, हिंदी साहित्य के श्रेष्ठतम रचनाकारों में से एक हैं. आपका जन्म ४ अप्रैल १८८९ को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में बाबई नामक स्थान पर हुआ था. आप भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंदी
प्रगाढ़ : १- घनिष्ठ २- अंतरंग ३- अनन्य ४- आत्मीय ५- अन्यतम प्रयोग : राम और लक्ष्मण दोनों भाइयों में प्रगाढ़ स्नेह था।
विहग : १- पक्षी २- तीर, बाण ३- सूर्य ४-चन्द्रमा प्रयोग : रंग-बिरंगे विहग देखकर बच्चों की खुशी का ठिकाना न रहा I
अनुराग : १- प्रीति २- लगन ३- अनुरञ्जन ४- राग ५- अनुरक्ति प्रयोग : विषुवत-रेखा का वासी जो, जीता है नित हाँफ-हाँफ कर। रखता है अनुराग अलौकिक, वह भी अपनी मातृ-भूमि पर।। -पंडित रामनरेश त्रिपाठी
कम्प्यूटर हो या मोबाइल, अंग्रेजी में तो हम बड़ी आसानी से कितना कुछ लिखते चले जाते हैं लेकिन जब कभी हिंदी में कुछ लिखने की बात होती है, तो 'की-बोर्ड' पर जैसे उंगलियां ठहर सी जाती हैं लेकिन 'शब्दनगरी' से जुड़ने के बाद आप हिंदी ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ी की-बोर्ड द्वारा भी लिख सकते हैं. 'शब्दनगरी' पर आपके लि
उन्मुक्त : १- मुक्त २- अबद्ध ३- अवेष्ट ४- अनिबद्ध ५- बंधनमुक्त प्रयोग : विहग नीलगगन में उन्मुक्त उड़ान भरना चाहते हैं I
हमने-तुमने मिटटी की गोल गुलाबी गुल्लक में कुछ ख्वाब छिपा कर रखे थे. कुछ दिन रीते, कुछ मौसम बीते... कल शाम तोड़ दी गुल्लक वो एक तनहा उदास लम्हे ने. सब के सब वो ख्वाब अब तलक, फूल बन गए I कभी आकर ले जाना उसमें से तुम भी, जितने जी चाहे...I
प्रिय मित्रों , शब्दनगरी के नए संस्करण की शुरुआत के साथ हमारा निरंतर प्रयास है कि आप सबको शब्दनगरी मंच पर नए फीचर्स उपलब्ध करा सकें । समय-समय पर आपके सुझाव एवं रचनात्मक प्रतिक्रियाएँ हमारे लिए अति आवश्यक है ताकि शब्दनगरी को अधिक सहज और अनुकूल बनाया जा सके । एक बार फिर आपके सुझावों की प्रतीक्षा
भारतीय संविधान में २४ भाषाओँ को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. इनमें कुछ प्रमुख भाषाएँ हैं-संस्कृत, हिन्दी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, गुजराती और असमिया. आइये जानते हैं हिंदी भाषा के बारे में कुछ प्रमुख तथ्य. ►हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना जाता है। ►
भारत माँ की रक्षा में तत्पर, ऐ वीर तुम्हे सलाम,दुश्मन से ना डरे, ना झुके तुम, भारत माँ को हँसते- हँसते दे दी अपनी जान,जितना भी करूँ नमन तुम्हारा, जितना भी करूँ सम्मान,ऐ देश के वीर सिपाही, तुम पे सब कुर्बान,ऐसी है हस्ती तुम्हारी, बर्फ को भी पिघला देते हो तुम,शोलों पे जल-जल कर, दुश्मनों के छक्के छूड़ा
धरती के कम्पन यानि 'भूकम्प' से भयभीत न हों, बल्कि इससे निपटने के लिए सबसे पहले अपने मन को तैयार करें. ये कहने की आवश्यकता नहीं कि प्राकृतिक शक्तियों से लड़ना, कोई आसान काम नहीं होता. इस पर भी यदि लापरवाही बरती जाये तो क्षति स्वाभाविक है. उदाहरण के लिए, जब पहले-पहल धरती पर कम्पन महसूस होता है तो विशेष
माँ! तुम्हे याद है ना,मेरा भागते-भागते स्कूल जाना,और नाश्ते की मेज़ पर,तुम्हारा मेरे मुंह में कौर डालना,माँ! तुम्हे याद है ना,मेरा टेस्ट के दिन भड़भड़ाना,भीतर की घबराहट समझकर,तुम्हारा मुझे तस्सली दे जाना,माँ! तुम्हे याद हैं ना,कॉलेज के दिनों में,मेरी सहेली बनकर मुझे चिढ़ाना,अपने अुनभव से मुझे समझाना,माँ
सितम्बर का महीना था. गर्मी जा चुकी थी और जाड़ा अभी आया नहीं था. हम सब अपने ऑफिस में बैठे इस उधेड़बुन में लगे थे की कुछ नया किया जाये। तो फिर भाई क्या नया किया जाये? थोड़ा सोचे तो समझ में आया कि हिन्दी से सम्बंधित कुछ करते हैं. आखिरकार, उत्तर भारत विश्व के सर्वाधिक सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक
आजकल की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में, तनाव होना आम बात है। अव्यवस्थित ढंग से जीवन-यापन करने से तनाव कई गुना बढ़ जाता है। वर्क प्लेस हो या घर, हर आयु-वर्ग के सभी लोग आज कल तनाव से कही न कही पीड़ित है। स्ट्रेस होना तो स्वाभाविक हैं परन्तु वो स्ट्रेन में परिवर्तित होकर स्थिति आउट आफ कंट्रोल न कर दे, इस बात का
साथियो, हिन्दी साहित्यकार त्रिलोचन शास्त्री एक कवि होने के साथ-साथ एक सफल संपादक के रूप में भी जाने जाते हैं I उनका जन्म 20 अगस्त सन 1917 को सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश में हुआ था I उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- धरती, गुलाब और बुलबुल, दिगंत, ताप के ताए हुए दिन, शब्द, उस जनपद का कवि हूँ, अरधान, तुम्हें सौंपता
क्रोध, एक स्वस्थ भावना हैं, परन्तु क्रोध जब बेकाबू हो जाए तो इसे नियंत्रित करने में समस्या हो सकती हैं। क्रोध की स्थिति में इंसान, अपने बनते हुए कार्य को पलभर में बिगाड़ देता है। क्रोध की भीषण स्थिति अत्यंत भयानक होती है और इससे कुछ नहीं बस अपना ही नुक्सान होता है। मनोवैज्ञानिक इसाबेल क्लार्क,
किंकर्तव्यविमूढ़ : १-दुविधा की स्थिति, २-भौचक्का या अवाक रह जाना, ३-जो यह न समझ सके की उसे अब क्या करना चाहिए जैसे-आपको कोई एक निर्णय तो लेना ही होगा कि जीवन में नौकरी करोगे या व्यापार, लेकिन इस तरह किंकर्तव्यविमूढ़ होकर बैठने से कोई लाभ नहीं होगा I शुक्रवार, १० अप्रैल, २०१५
आज के समय में, चमकदार त्वचा, सुंदर नाक-नक्श, स्वस्थ एवं संतुलित, सुडौल आकार ही सुंदरता का मानदंड हैं। परन्तु बाह्य सुंदरता ही सुंदरता की परिभाषा नहीं हैं वरन परोपकारिता और उदारता से भरा हुआ दिल ही आत्मा का सौंदर्य है। भीतरी सुंदरता इंसान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। अच्छी सोच और सकारात्मक विचार
बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयन्ती बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। बुद्ध जयन्ती वैशाख पूर्णिमा को मनाया जाता हैं। पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का स्वर्गारोहण समारोह भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। आज पूरे विश्व में बौद्ध धर्म
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
सर्वविदित है कि संतुलित आहार, स्वास्थ्यकर एवं बलवर्धक माना जाता है. शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यक्षमता बढ़ाने व बनाये रखने के लिए इसकी परम आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिनका एक साथ या समान मात्रा में सेवन करना विष-समान माना गया है. आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'अष्टांग ह्
भारत, मानव जाति का पालना है, मानव वाणी का जन्मस्थान, इतिहास की जननी, किंवदंतीयों की मातामही, और परंपरा की महा मातामही , मानवीय इतिहास की सबसे मूल्यवान और शिक्षाप्रद वस्तुएं भारत में ही निहित है। -मार्क ट्वेनभारतीय संस्कृति विश्व की सबसे समृद्ध संस्कृति मानी जाती है।अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP
मित्रो, अखिल भारतीय कवि सम्मलेन में सुप्रसिद्ध कवियों की उपस्थिति में अमर उजाला द्वारा आयोजित रियलिटी शो अतुल माहेश्वरी अमर वाणी--2015 सम्मान समारोह, विगत 03 मई 2015 को शहर के नवोदित कवियों व काव्यपाठ के रसिक श्रोताओं के मध्य काव्यपाठ की बौछारों के साथ संपन्न हुआ I इसमें सर्वश्रेष्ठ कवियों क
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh
यार मदारी! तुम अच्छे हो; रस्सी पर चल लेते हो, लोहे के छल्ले से कैसे ये करतब कर लेते हो? एक पैसे से दो फिर दो से, चार उन्हें कर देते हो; हाँ तो जमूरे कह-कह के, क्या से क्या कर देते हो I कालू-भालू और बंदरिया सबको नचाते एक उंगली पर, एक डुगडुगी की थापों पर सबका मन हर लेते हो I जीवन की पगडंडी पर, मु
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
माँ ने सिखाई एबीसीडी, कल इंग्लिश गिटपिट बात करूंगी, अभी झूलती गोदी का झूला, कल आसमान की सैर करूंगी, सबसे अच्छी मेरी मम्मी, उससे प्यारी कोई न सूरत, वो भोली-भाली प्यार की मूरत, मैं हूँ उनकी चंदा-सूरज !
"जीवन", भगवान का एक सुंदर उपहार है जो हमें अपने अनुभवों से सीखकर अपने आप को विकसित करने का अवसर प्रदान करता है। यात्रा, एक ऐसा अनुभव है जो हमारे दिल को सुनहरी यादों के साथ सिक्त कर देता है। हमारी केप टाउन यात्रा, एक अप्रत्याशित यात्रा थी जिसने हमारी ज़िन्दगी में नए रंग भर दिए|दुनिया में कुछ चुनिदा
Almost 11 years back in February 2004 when Facebook was launched by its founder Mark Zeckerberg from Harvard dormitory (Harvard University's hostel), nobody knew that the social networking site would become a giant, connecting millions of people across the world. Taking inspiration from Zuckerberg,
'प्रश्नोत्तर फोरम' आपको कैसा लगा, इससे संबन्धित आपका कोई सुझाव, टिप्पणी हो या फिर आप प्रश्नोत्तर फोरम मे किसी प्रकार के परिवर्तन चाहते हो तो हमे अवश्य बताएं। आपके सुझावों का स्वागत है ।
साथियो, 'आज का शब्द' की भांति आज से हम एक नई श्रंखला शुरू कर रहे हैं, 'सुनी-समझी'। इसमें दो वाक्य होंगे । पहला वाक्य किसी ने अंग्रेज़ी में सुना, तथा दूसरा वाक्य होगा जो उसने हिन्दी में समझा । बस यही है 'सुनी-समझी' । यह आपको तय करना है कि किसी ने कितना सही सुना, और कितना सही समझा । तो, प्रस्तुत है, आ
यह कीबोर्ड आपको स्क्रीन के दाहिने ओर नीचे कोने पर मिलेगा| ये आपके लिए कितना उपयोगी है, कृपया हमारे इस प्रयास पर अपनी प्रतिक्रिया एवं सुझाव अवश्य दें .
मेज़ पर एक कोरा कागज़, और उस पर एक क़लम, रखा है कितनी देर से. कोई बात आते-आते रह जाती है जैसे, हवाओं में उड़ के आते होंगे लफ्ज़, मगर आते-आते रह जाते हैं जैसे, आँखें निहारती हैं शून्य में जैसे खोया हुआ सा कुछ, ढूंढती हैं जैसे उसे जो आकर लिख जाता है इतना कुछ, वो लौट कर आये तो कुछ लिखे,
कबाड़ी... काफी रईस हो गया है, जिसे कुछ बरस पहले मेरे घर का तमाम कबाड़ किसी ने बेचा था. ये कहकर कि ले लो; ये काफी क़ीमती सामान है. आज भी बड़ी हसरत से तकता है मेरे घर को I सुना है... कॉपी-किताबों के पैसे ठीक दिए थे उसने; फटे पुराने कागज़ों को मुफ्त ले गया था. उन्हीं में मेरी चंद नज़्में, चंद ग़ज़लें
तरुण : १- युवक २- जवान ३- तलुन ४- मुटियार ५- वयोधा प्रयोग : तरुणों के लिए जैसे भविष्य उज्जवल होता है, वैसे ही वृद्धों के लिए अतीत I
यह शब्दनगरी की आप सब के साथ पहली होली है । पूरे शब्दनगरी संगठन के लिए ये सौभाग्य और अत्यंत हर्ष का मौका है जब हम और आप, अपने शब्दो के रंगो से इस पावन पर्व पर एक दूसरे पर रंगो की बौछार करेंगे । होली बसंत व प्रेम-प्रणव का पर्व है । रंगो का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। फाल्गुन मा
प्रिय मित्रो, पिछली प्रश्न-पहेली का प्रश्न थोड़ा कठिन या थोड़ा उलझाऊ था, फिर भी आपने पूरे मन से हिस्सा लिया, इस बात की हमें अति प्रसन्नता है, तथा हम आपके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। आज का प्रश्न थोड़ा सा आसान है, आशा करते हैं इसका उत्तर आप आसानी से दे सकते हैं। आज का प्रश्न है कि निम्नांकित पंक्तिया
अभिलेख : किसी घटना, विषय, व्यक्ति आदि से संबंधित लिखित प्रामाणिक सामग्री। प्रयोग: अभिलेखों से ज्ञात होता है कि विज्ञान के क्षेत्र में मनुष्य पहले भी कमज़ोर नहीं था. १५ अप्रैल, २०१५
निर्वाण : १- मोक्ष २- कैवल्य ३- तथागति ४- अमृतत्व ५- परमपद प्रयोग : बुद्ध का जीवन हज़ार धाराओं में होकर बहता है। जन्म से लेकर निर्वाण तक उनके जीवन की प्रधान घटनाएँ अजंता की दीवारों पर कुछ ऐसे लिख दी गई हैं कि आँखें अटक जाती हैं, हटने का नाम नहीं लेतीं।
साथियो, मशहूर शायर और गीतकार निदा फ़ाज़ली साहब की तमाम सुन्दर रचनाओं में एक बेहद खूबसूरत रचना है 'खट्टी चटनी जैसी माँ'... आज इसे पढ़ते हुए दिल चाहा कि आपके साथ साझा करुँ. वास्तव में उस वरक़ को मायने मिल जाते हैं जिस पर हम ऐसे श्रेष्ठ रचनाकारों की कोई रचना साझा करते हैं, और मायने मिल जाते हैं उन लम्ह
महानिर्वाण...! एक शरीर का, बेबसी-लाचारी या मानवता का, या जिसने तिल-तिल रोज़ मरते देखा उसे ! किसका ? वहशीपन के मारे ऐसे ही कितने लोग चले जाते हैं दुनिया से दानव है कि अमरत्व है उसे ! मरता ही नहीं। समय के प्रश्न हैं ये हम सबसे...! बोल क़लम... सच लिखेगी ? जवाब देगी ?
अनन्यमनस्क : १-एकाग्रचित्त २-स्थिरचित्त ३- तन्मय ४- एकतान ५- अनन्यचित्त प्रयोग : अनन्यमनस्क होकर कंठस्थ किया हुआ पाठ सहज ही याद हो जाता है I १७ अप्रैल, २०१५
साथियो, 20 मई, 1900 को कौसानी, अल्मोड़ा में जन्मे सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं - ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि। पंत जी की जयन्ती पर उन्ह
शहर में रहने वाले आईआईटियन ने डेवलप की वेबसाइट - इंटरनेट पर पूरी आजादी के साथ काम कर सकेंगे करोड़ों हिंदीभाषी >kanpur@inext.co.in KANPUR: जिनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है लेकिन हिन्दी फर्राटे से बोलते और लिखते हैं उनके लिए सिटी के टेक्नोक्रेट ने शब्द नगरी वेबसाइट डेवलप कर हिन्दी प्रेमियों को बसंत पंच
काव्य को मानव-जीवन की व्याख्या माना जाता है। मानव जीवन पर्याप्त विस्तृत-व्यापक है। मानवेत्तर प्रवत्ति भी मानव जीवन से सम्बद्ध है क्योंकि उसका भी मानव से नित्य संबंध है। फलतः कविता के विषय की सीमा आंकना सहज-संभव नहीं। मानव-जीवन और मानवेत्तर प्रकृति का प्रत्येक क्षेत्र, अंग, भाव-विचार, प्रकृति-प्रवृत्
साथियो, 'बिखरे मोती', 'उन्मादिनी' और 'सीधे-सादे चित्र' जैसे कहानी संग्रह और 'मुकुल' तथा 'त्रिधारा' जैसे अविस्मरणीय कविता संग्रह की रचनाकार, सुप्रसिद्ध लेखिका और कवियित्री सुभद्राकुमारी चौहान की कोई रचना आपके सम्मुख हो, और आप बिना पढ़े आगे बढ़ जाएं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. आज आपसे साझा कर रहे हैं, उनक
अचिरता: १- क्षणभंगुरता २- अनित्यत्व ३-अस्थायित्व ४- अल्पकालीनता ५- क्षणिकता प्रयोग : अचिरता देख जगत की आप शून्य भरता समीर निश्वास डालता पातों पर चुपचाप ओस के आंसू नीलाकाश सिसक उठता समुद्र का मन सिहर उठते उगुनन I
जनता में एक भाषा के माध्यम से ही एकता आ सकती है. दो भाषाएँ जनता को निश्चय ही विभाजित कर देंगी, यह एक अटल नियम है. भाषा के माध्यम से संस्कृति सुरक्षित रहती है. चूंकि भारतीय एक होकर सामान्य सांस्कृतिक विकास करने के आकांक्षी हैं, अतः सभी भारतीयों का यह अनिवार्य कर्त्तव्य है कि वह हिन्दी को अपनी भाषा के
सूरज, चाँद-सितारे सकल राशियाँ नक्षत्र-नीहारिकाएं; सब चले जा रहे अपनी गति से, और यूं ही चलते अपनी मति से कुछ अच्छा करने की इच्छा है तो यह समय बड़ा ही अच्छा है सुन्दर सुरम्य स्वर्णिम अवसर आते-जाते रहते नित बदल वेश शुभ मुहूर्त तो हर क्षण ही अशेष; फिर क्यों न करें हम श्रीगणेश !
साथी मित्रो, दरभंगा, बिहार में जन्मे हिंदी साहित्यकार 'नागार्जुन' से तो आप भलीभांति परिचित होंगे. उनका मूल नाम था 'वैद्य नाथ मिश्र'. नागार्जुन ने मैथिली भाषा में लेखन किया. 'युगधारा', 'खिचड़ी विप्लव देखा हमने', 'पत्रहीन नग्न गाछ', 'प्यासी पत्थरै आँखें' और 'इस गुब्बारे की छाया में' उनकी प्रमुख रचनाएँ
निवृत्ति : १- मुक्ति २- विमुक्ति ३- अपोह ४- अवसर्जन ५- व्यवच्छेद प्रयोग: आवश्यकता की पूर्ति होती है और कामना की निवृत्ति होती है I
तेरे संग खेली मैंने , अपने शब्दों की होली , यही बात अब तक मैंने , तुमसे नहीं है बोली ।। कोई रंग न बिखेरा , न गुलाल ही उड़ाया , सुन्दर यह रूप अपना , बस शब्दों से सजाया ।। अपनी कल्पना से सजा दो , अब शब्दों की रंगोली, लाए मंगल और सौभाग्य , सबके जीवन मे ये होली ।।
विलक्षण: 1- अद्भुत 2- विस्मयकारी 3- अनूठा 4- अजीब 5- अलबेला प्रयोग: हमारा राष्ट्र धर्म, संस्कृति और भाषाओं के क्षेत्र में एक विलक्षण वैविध्य प्रदर्शित करता है।
साथियो, हिन्दी पठन-पाठन की इस मनोरम यात्रा में क्यों न थोड़ी सी और मिठास घोली जाये ! इसी उद्देश्य से आइये एक कोशिश करते हैं और 'प्रश्न-पहेली' के माध्यम से इसे थोड़ा और रोचक बनाते हैं. 'प्रश्न-पहेली' में भाग लेना एक बड़ी बात होगी I सही उत्तर देने वाले सभी साथी 'शब्दनगरी' की ओर से आभार के हक़दार होंगे I
अक्षय : १- अमर २- अक्षुण्ण ३- शाश्वत ४- अमृताक्षर ५- विभु प्रयोग : आज सम्पूर्ण विश्व में अक्षय ऊर्जा प्राप्ति के संसाधनों पर विशेष बल दिया जा रहा है I
अगर लोग अंग्रेज़ी पढ़ते हैं तो व्यापारी बुद्धि से और तथाकथित राजनीतिज्ञ फ़ायदे के लिए ही पढ़ते हैं. हमारे विद्यार्थी ऐसा मानने लगे हैं कि अंग्रेज़ी के बिना उन्हें सरकारी नौकरी हरगिज़ नहीं मिल सकती. लड़कियों को तो इसलिए अंग्रेज़ी पढ़ाई जाती है कि उनको अच्छा वर मिल जाएगा. मैं इसकी कई मिसालें जानता हूँ. मैंने
राकेश : १- शशि २- सुधाकर ३- रजनीश ४- मृगांक ५- हिमांशु प्रयोग : धवल चांदनी जगमग जैसे दीपित हो राकेश; शशि, सुधाकर, श्वेतांश या कहिये उसे निशेष I
पल्लवी : १- जड़, तने, शाखा तथा पत्तियों से युक्त बहुवर्षीय वनस्पति, २- नए पत्तों से युक्त ३- पेड़, वृक्ष, पादप, तरु प्रयोग : पूजा-गृह के पास पल्लवी पर पीले प्रसून अति सुन्दर प्रतीत हो रहे हैं I
निहित : १- गर्भित २- छिपा हुआ प्रयोग : किसी कविता में निहित मूलभाव को समझना अति आवश्यक है।
प्रिय शब्दनगरी मित्रो, प्रश्न-पहेली में आप पूरे मन से हिस्सा लेते हैं, हमें इस बात कि अति प्रसन्नता है। पिछली प्रश्न-पहेली में सही उत्तर देने वाले विजेता रहे- उमाशंकर वर्मा जी, श्री आनंद जी एवं सुरेन्द्र नारायण सिंह जी। आप सभी के नाम पिछली कड़ी में भी घोषित किए गए थे। पुनः आप सभी को बधाई ! इस कड़ी मे
दरवाज़ों के कानों से बंधे बन्दनवारों के झुनझुने... बजने लगे हैं I ताल-तलैया, जीभ निकाले बदरा ताड़ने लगे हैं. अँगौछे, बैसाखी मुस्की झाड़ने लगे हैं I अम्बुआ पर नए बौर आने लगे हैं, बाबा की बंडी में रेज़गारियां खनकने लगीं, बरफ़ के गोलों के गुब्बारे बच्चों को बुलाने लगे हैं I पछुआ बयार मिटटी के कांधों को दबान
मुक्ता : १- मोती २- शुक्तिज ३- सिन्धुजात ४- शशिप्रभ ५- इन्दुरत्न प्रयोग : कवि भावों-शब्दों के कितने सुन्दर मुक्ताहार बना देते है !
जितना कम सामान रहेगा, उतना सफ़र आसान रहेगा. जितनी भारी गठरी होगी, उतना तू हैरान रहेगा. उससे मिलना मुश्किल है, जब तक खुद का ध्यान रहेगा. हाथ मिलें और दिल न मिलें, ऐसे में नुकसान रहेगा. -गोपालदास 'नीरज'
उदार : १- दाता २- प्रवण ३- पुरोगामी ४- उदात्त ५- सुदोघ प्रयोग : भारतीय संस्कृति उदार और सरल है।
याद है तुमको--- सूनी सड़क पर, पहली-पहली बार बस थोड़ा-थोड़ा सीखा था मैंने, साईकिल चलाना I तुम ज़िद करके कैरियर पर बैठीं थीं I डांवांडोल ऐसे हुए कि जा टकराए गोलगप्पे के ठेले से I सबके-सब चकनाचूर हो गए थे, खट्टा पानी बिखर गया था, चोटें हम दोनों को आई थीं, लेकिन हम खूब हँसे थे I सारे टूटे गोल
रसिक : १- रंगीन २- रंगीला ३- रसवंत ४- रसिया ५- मनचला प्रयोग : रसखान मूलतः एक रसिक कवि थे। उनकी सांसरिक रसिकता कृष्ण भक्ति में परिणित हो गई और वे एक श्रेष्ठ कवि बन गए।
प्रियजनों, आप सभी को स्वाइन फ्लू के बारे में अवगत करने हेतू, आप निम्नलिखित उपाय कर सकतें हैं: - कृपया स्वाइन फ्लू के बारे में दहशत मत फैलाएं, यह प्रसार करने के लिए समय लेता है, अगर इसके लक्षण दिखाई देते हैं तो इसका पहले से निदान करके ठीक किया जा सकता है। इसलिए जागरूक बनें न कि दहशत फैलायें| मैं (
प्रकर्ष : १- उत्कर्ष २- बाहुल्य ३- आधिक्य ४- अनंतता ५- अमिता प्रयोग : सद्मार्ग का चयन, सहजता, सरलता, चरित्र की विमलता जीवन में प्रकर्ष के मार्ग प्रशस्त कर देते हैं।
निर्निमेष : 1- अनिमेष 2- निमेशरहित 3- टकटकी 4- बिना पलक झपकाए या टकटकी बाँधे हुए प्रयोग : वह वृद्ध स्त्री अपनी ही उधेड़-बुन में गुम, शून्य में निहारती रही बड़ी देर तक...अपलक I
ज़िन्दगी में इतनी शिद्दत से निभाना अपना किरदार कि परदा गिरने के बाद भी तालियाँ बजती रहें...
फूलों पर तितलियों सी, प्यारी हैं बेटियाँ; हर घर के आँगन की, फुलवारी हैं बेटियाँ. जिन्हें है परख पुष्प और प्रसून की, हर पल उनकी खातिर, दुलारी हैं बेटियाँ. धन ये पराया सही, रखना सहेज कर; आँखों पर पलकों सी, कब भारी हैं बेटियाँ. प्रतीक्षा नहीं... अब आ गया समय, कभी थीं उपेक्षा की मारी बेटि
श्रृंग : १- शिखर २- चोटी ३- प्राग्भार ४- वक्ष ५- कमल प्रयोग : विश्व जीवन मूक दिन का प्राणमय स्वर। सांद्र पर्वत- श्रृंग पर अभिराम निर्झर ।।
आविर्भाव : १- उत्पत्ति २- उद्भव ३- जन्म ४- प्रादुर्भाव ५- उद्गम प्रयोग : पृथ्वी पर सबसे पहले एककोशीय जीवों का आविर्भाव हुआ i
कातर : १- विकल २- अधीर ३- क्षुब्ध ४- बेचैन ५- व्याकुल प्रयोग : मृत्यु एक सरिता है जिसमें श्रम से कातर जीव नहाकर। फिर नूतन धारण करता है, काया-रूपी वस्त्र बहाकर।।
"इस देश के सबसे अच्छे दिमाग़, कक्षा की सबसे पीछे वाली बेंच पर मिल सकते हैं ।" –ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
हिंदी साहित्य के प्रिय रसिको, 20 मई, 1900 को कौसानी, अल्मोड़ा में जन्मे सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं - ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि। 'श
बचपन में दी गई शिक्षा, संस्कार और नैतिकता किसी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में मिली औपचारिक शिक्षा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है I –डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम
भारतीय संविधान में २४ भाषाओँ को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. इनमें कुछ प्रमुख भाषाएँ हैं-संस्कृत, हिन्दी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, गुजराती और असमिया. आइये जानते हैं संस्कृत भाषा के बारे में कुछ प्रमुख तथ्य. ►'संस्कृत' विश्व की प्रथम भाषा मानी जाती है I ►'संस्कृत' भारत
“जो लोग ज़िम्मेदार, सरल, ईमानदार एवं मेहनती होते हैं, उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान मिलता है। क्योंकि वे इस धरती पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं।" -डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम
नैहर : १- विवाहित स्त्रियों के लिए उनके माता-पिता का घर २- मायका, ३- पीहर, ४- मैका, मायका ५- मैहर, ६- प्योसार
अत्यंत हर्ष के साथ आपको सूचित किया जा रहा है कि आपकी अपनी हिंदी वेबसाइट "शब्दनगरी" की मोबाइल एप लांच हो चुकी है| इस नयी शुरुआत में शब्दनगरी टीम आपका स्वागत और अभिनन्दन करती है| इस सोशल मंच पर आपकी रचनायें सादर आमंत्रित है|ज्ञात हो कि शब्दनगरी एक सोशल प्लेटफार्म है| जिसके जरिये हिंदी में अभिरुचि रखने
साथियो, यह सच है कि 'शब्दनगरी' आपके दम से ही जगमग है. कुछ समय पहले तक तो हमारे लिए यह एक सपना ही था. सपना भी क्या, चंद आड़ी-तिरछी रेखाएं थीं हमारे दिल-ओ-दिमाग़ पर. आप जैसे सुधी जनों का साथ मिला और वो उलझी-पुलझी रेखाएं तब्दील हो गयीं एक चेहरे में...देखते-देखते चेहरा बन गया चाँद, और चमकने लगा शब्दों के
शब्दनगरी मंच के माध्यम से, आप अपने विचार जन-मानस तक हिंदी में पहुँचा सकते हैं| इस मंच से जुड़कर, आप हिन्दी की विभिन्न विधाओं जैसे- कविता, कहानी, निबन्ध, संस्मरण तथा अन्य विधाओं में अपने लेख प्रकाशित कर सकते है| शब्दनगरी पर हिन्दी-भाषी ब्लॉगर्स अपनी रचनाओ को समकक्ष एवं अपेक्षित रचनाकारों के साथ साझा
रंगीलाल...! तुम बड़े रंगैया, रंगों की कूंची चलती रहती है I धरती के सब रंग तुम्हारे, मानव के सब ढंग तुम्हारे, हंसी तुम्हारी, मुस्कान तुम्हारी, बेबसी, घुटन, आंसू, मातम, सबके-सब हैं संग तुम्हारे I कौन संवारता कौन सजाता, कौन बनाता कौन मिटाता, आखिर क्यों करता है ये सब...? स्वप्न में आकर बतला जा
उसकी कमीज़ का कॉलर फटा था, सर से पाँव तक पसीने-पसीने; पादुकाएं, घिसी इतनी कि खीसें काढ़े I चोर निगाहों से इधर-उधर देखा उसने, बिजली के खम्भे तले पड़ी सूखी रोटी पर, छितरा सा भात उठाया I जो टोका उसको, पूछ लिया उससे- "हा s s s छी-छी! क्यों करते हो ऐसा? मेरी आँखों में ऑंखें डाल वो बोला................
प्रकृति का नैसर्गिक सौंदर्य,देखकर उल्लसित होता है तन-मन,फूलों की भीनी-भीनी खुशबू,लगती हैं मनभावन,हिम से सजे पहाड़ों को देखकर मिलती है शीतलता,समुद्र तट पर देख कर लहरों की चंचलता,रात्रि के आगोश में डूबी चांदनी की चपलता,लालिमा लिए सूर्य की प्रसन्नता,देखकर प्रकृति का निरुपम और निर्मल सौंदर्य,मंत्र- मुग्ध
शैलेन्द्र : १- हिमालय, हिमांचल, हिमवान्, हिमाद्रि, २- गिरिपति, गिरीश, गिरिराज, ३- शैलेन्द्र, शैलेंद्र, शैलाधिप, शैलाधिराज, ४- उदगद्रि, तुहिनाद्रि, तुहिनाचल, तुहिनगिरि, तुहिनशैल, ५- मेनाधव, प्रालेयाद्रि प्रयोग : "पूर्व दिशा का दिग्गज समझो, ऐरावत कहो गजेन्द्र, शीश-मुकुट-मणि-मस्तक
जब कभी जीवन में अंधियारा छाए कहीं,मन के दीपक तुम जलते रहना,जब कभी मार्ग में बाधा आये कोई,मन के दीपक तुम निस्तेज न होना,जीवन पथ पर काटें बिछ जाएं कभी,मन के दीपक, तुम मुस्कुराते रहना,भीषड़ आँधियों में और बारिशों में,अपनी लौ बुझने न देना,मन के दीपक, तुम्हारी शक्ति हो ऐसी,तुम ज़िन्दगी की मुश्किलों से जूझत
पूरी तरह हिंदी में बनी है शब्दनगरी अमितेश मिश्रा का कहना है कि यूपी, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित देश के तमाम राज्यों के 65 करोड़ लोग हिंदी भाषी हैं। इसके बावजूद हिंदी की कोई सोशल साइट नहीं है। जो सोशल साइटें हैं, उनके की-बोर्ड अंग्रेजी
वो किरण थी,सुन्दर, भोली, निर्मल, पावन,मासूम सी कली थी,हर तरफ ऊर्जा बिखेरती,अपनी मुस्कान से खुशियां फैलाती,पत्रकार बनकर चली थी करने अपने सपने साकार,अपनी शख्सियत को देकर नया आकार,फिर ज़िन्दगी ने लिया मोड़,शादी पर हुआ गठजोड़,फिर अचानक क्या हुआ,उसका सुन्दर सपना टूट गया,अब वो कभी नहीं हँसेगी!वो किरण थी,किरण
किंवदंती : १- ऐसी बात जो लोग परंपरा से सुनते आये हों, पर जिसके ठीक होने का कोई पुष्ट प्रमाण न हो २- दंतकथा, ३- लोक-कथन प्रयोग: कुछ कलाकार अपने जीवनकाल में इतने प्रसिद्द हो जाते हैं कि हम उन्हें जीवित किंवदंती कहा करते हैं I
आजकल की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में, तनाव होना आम बात है। अव्यवस्थित ढंग से जीवन-यापन करने से तनाव कई गुना बढ़ जाता है। वर्क प्लेस हो या घर, हर आयु-वर्ग के सभी लोग आज कल तनाव से कही न कही पीड़ित है। स्ट्रेस होना तो स्वाभाविक हैं परन्तु वो स्ट्रेन में परिवर्तित होकर स्थिति आउट आफ कंट्रोल न कर दे, इस बात का
भारतीय संविधान में २४ भाषाओँ को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. इनमें कुछ प्रमुख भाषाएँ हैं-संस्कृत, हिन्दी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, गुजराती और असमिया. ►तेलुगु भाषा भारत के आंध्र प्रदेश के राज्य की मुख्यभाषा और राजभाषा है। ►ये द्राविड़ भाषा परिवार के अन्तर्गत आती है। ►यह
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
सुधी साथियो, हिन्दी साहित्य के सृजन में श्री अशोक वाजपेयी जी का नाम अत्यंत सम्मान से लिया जाता है. 16 जनवरी सन 1941 को दुर्ग (मध्य प्रदेश) में जन्मे अशोक वाजपेयी कई वर्षों तक मध्य प्रदेश शासन भोपाल के संस्कृति एवं प्रकाशन विभाग में विशेष सचिव के पद पर सेवारत रहे. आपने 'पूर्वग्रह' पत्रिका का अनेक वर
यह प्रथम परीक्षण लेख है |
अक्सर हम अपना मोबाइल, किताबें, चाभियां या कोई और ज़रूरी चीज़ें भूल जाते हैं, और अफ़सोस करते हैं अपनी खराब याददास्त पर. कितना अच्छा हो यदि थोड़ी सी सावधानी और थोड़े से प्रयास हमारी याददास्त को बेहतर कर दें ! एक सादे कागज़ पर अपनी पसंद के कोई भी तीन शब्द लिखें. उनका क्रम एक बार ध्यान से देख लें. अब उस क
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
शब्दनगरी मित्रो, आशा करते हैं कि आपने भी अमर उजाला द्वारा आयोजित रियलिटी शो 'अमरवाणी-2015' हेतु अपनी प्रविष्टि भेजी होगी I आइए श्रेष्ठ कवियों के चयन सम्बन्धी आपको आवश्यक जानकारी दे दें I इस प्रतियोगिता में आज यानि 30 अप्रैल को 24 प्रविष्टियाँ चुनी जाएंगी I 01 मई, 2015 को, दोनों आयु वर्ग में से रियल
आज के दौर में लोग नहीं जानते की ख़ुशी क्या हैं? लोग सोचते हैं की ढेर सारे पैसे, ऐशो आराम के साधन उन्हें ख़ुशी दे सकते हैं परन्तु वास्तविक स्थिति एकदम विपरीत हैं। व्यक्ति कम संसाधनों में भी खुश रह सकता हैं सच्चाई तो यह है है की ख़ुशी कहीं और नहीं हमारे अंदर छुपी हुई हैं । ख़ुशी एक मनः स्थिति हैं और पूर
लब्बोलुआब : १-सारांश, सार, निचोड़, संक्षेप; २-भावार्थ, तात्पर्य; प्रयोग: उन लोगों की पूरी बात का लब्बोलुआब बस यही है कि उन्हें अधिक से अधिक पैसा चाहिए. शनिवार, ११ अप्रैल, 2015
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
मित्रो, अखिल भारतीय कवि सम्मलेन में सुप्रसिद्ध कवियों की उपस्थिति में अमर उजाला द्वारा आयोजित रियलिटी शो अतुल माहेश्वरी अमर वाणी--2015 सम्मान समारोह, विगत 03 मई 2015 को शहर के नवोदित कवियों व काव्यपाठ के रसिक श्रोताओं के मध्य काव्यपाठ की बौछारों के साथ संपन्न हुआ I इसमें सर्वश्रेष्ठ कवियों की श्रे
तोतली आवाज़ में जब पहली दफ़ा "अम्मा!" कहा था माँ ने-गद्गद् होकर बेशुमार चूमा था आज भी तस्वीर को चूम लेता हूँ नैनो के आँसुओं से चेहरा धो लेता हूँ आज भी वो मीठी पारी की दरक़रार है जो हर लाड़ले की पहली सरकार है#संगम
आईआईटी मुंबई के एक पूर्व छात्र ने अपने कुछ सहयोगियों की मदद से हिन्दी में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट 'शब्दनगरी' शुरु की है। यह साइट फेसबुक से प्रेरित है लेकिन उसकी हूबहू नकल नहीं है। शब्दनगरी पर आप राष्ट्रभाषा हिन्दी में अपनी कहानियां, कवितायें और कमेन्ट डाल सकते हैं| साथ ही समविचारी लेखकों और हिन्दीभ
पुस्तकों की दुनिया निराली हैं । जो एक बार पुस्तकों की निराली दुनिया में डूब गया वो शायद ही उससे निकलना चाहे। अच्छी पुस्तकों के द्वारा हमारे अंदर छुपे रचनात्मक पहलु को नयी दिशा मिलती हैं। हालाँकि, आजकल डिजिटल युग में, लोग #पुस्तक पढ़ने की अपेक्षा अपना ज्यादा समय ऑनलाइन गेम्स और इंटरनेट की आभासी दुन
हिंदी साहित्य के प्रिय रसिको, 20 मई, 1900 को कौसानी, अल्मोड़ा में जन्मे सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं - ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि। 'श
जल जीवन का आधार है। सचमुच जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती इसीलिए कहा जाता हैं <!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:V
पाचक : १- रसोइया, बावर्ची, खानसामा; प्रयोग : हमारा पाचक अत्यंत स्वादिष्ट भोजन बनाता है I २-वह पदार्थ जो खाई हुई चीज़ को पचाता हो या पाचन शक्ति बढ़ाता हो; प्रयोग : प्राकृतिक वस्तुओं से बना अवलेह सर्वोत्तम पाचक होता है I ►'अवलेह' का अर्थ होता है, किसी वस्तु का गाढ़ा लसीला रूप जैसे गाढ़ी औषधि आदि I
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
बिल्ली रस्ता काट गई है, उसकी क़िस्मत जाग गई है. किसी का छीका टूटा, डर के चूहों की सेना भाग गई है। क्या घड़ी-घड़ी ख़ुद को ही देखता, लगता है पोशाक नई है। चांदी के सिक्के बिखरे हैं सड़क पर, तारों की बारात गई है। सूरज की जीभें लपकीं हैं छत पर, ज़ीने से उतर के रात गयी है। उठ के चलो अब भ
वर्कप्लेस पर प्रभावी ढंग से संवाद करना एक कला है| भलें ही, आपको अपनी कार्य कुशलता के लिए पुरस्कार मिले या फिर अच्छी टिप्पड़ी मिली हो परन्तु यदि आप वर्कप्लेस पर अपनी बात प्रभावी ढंग से व्यक्त करने में असमर्थ हैं तो लोग आपके किसी भी उत्कृष्ट कार्य पर ध्यान नहीं देते है।स्पष्ट रूप से संचार करना वर्कप्ले
किताबें! किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से, बड़ी हसरत से तकती हैं. महीनों अब मुलाकातें नहीं होतीं, जो शामें इन की सोहबत में कटा करती थीं. अब अक्सर ....... गुज़र जाती हैं 'कम्प्यूटर' के पदों पर. बड़ी बेचैन रहती हैं किताबें .... इन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है बड़ी हसरत से तकत
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
विभव : १- वैभव २- ऐश्वर्य ३- धन-दौलत ४- अर्थ ५- वित्त सोना-चाँदी, ज़मीन-जायदाद आदि संम्पत्ति जिसकी गिनती पैसे के रूप में होती है I प्रयोग: हमारे सत्कर्म हमें किसी न किसी प्रकार के विभव की प्राप्ति कराते हैं I
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
उसने कहा, "तुम मेरी ख़ातिर ये ले आना, वो ले आना I" माँ ने कहा, "बस तुम बेटा, शाम को जल्दी घर आ जाना I"
पुरुषार्थ के द्वारा मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता बनता है। कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प,आशावाद और प्रेरणा का समावेश, मनुष्य में नयी उमंग और प्रेरणा भरता है। "जीवन में श्रम का विशेष महत्व है क्योंकि परिश्रम वह सुनहरी कुंजी है जो भाग्य के बंद कपाट खोल देती है। परिश्रम ही जीवन की सफलता का रहस्य है, परिश्रम
घुटने-घुटने चलने लगा था, कहने लगा था, पा-पा-पा । माँ को ज़्यादा तंग करूँ तो गोदी में भर लेते थे पापा । दूध मलाई तो माँ देती थी, पर रसगुल्ले लाते थे पापा। गड़ित में माँ थोड़ी कच्ची थी, होम-वर्क कराते थे पापा । माँ के ज़िम्मे चौका-बासन, घर पैसा ल
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
एक झलक शब्दनगरी की विशेषताओं पे
नज़्म... अटकी हुई है देर से, ज़ेहन के गोशों में कहीं। मुंह लटकाए पड़ी है कब से, खामोखयाली की मटमैली चादर ओढ़े। करेले सा ... कडुआपन हलक को चीरे जाता है जैसे; एक बच्चे ने आइसक्रीम खाते-खाते बहा रखी है कुहनियों तक, थोड़ी सी मैं भी चख लूँ फिर लिखता हूँ। नज़्म अटकी हुई है देर से......!
मित्रो <!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysSh
कैसे मनाएं बैसाखी, कैसे ढोल नगाड़े बाजें, कैसे करे भांगड़ा कोई, कैसे खेले कोई गिद्दा. फ़सल पकी थीं स्वप्नों में, आशाएं थीं अपनों में, मौसम ने पानी फेरा यूँ, अन्न के स्वर्णिम रत्नों में. पूरे बरस की खेती-कमाई, जाती रही सब हांथों से, जैसे खींचे जान कोई, आती-जाती साँसों से. दिन वो भी बैसाखी था, त
विज्ञ : १- प्रबुद्ध, २- कोविद, विद्वत् , ३- वेत्ता, बुद्ध, भिज्ञ, ४- अभिजात, विज्ञ, अभिज्ञ, ५- सुप्रकेत, युक्तार्थ, विशारद, प्रयोग : पं० महामना मदनमोहन मालवीय अत्यंत विज्ञ पुरुष थे I
भारत में सौर ऊर्जा (Solar Energy) पर पिछले 25-30 वर्षों से काम हो रहा है, किन्तु पिछले चार-पाँच वर्षों के दौरान इस इस कार्य ने गति पकड़ा है।आई आई टी कानपुर में सोलर एनेरी से सम्बंधित दो दिन की वर्कशॉप आयोजित की जारही है . विस्तृत विवरण संलग्न चित्र में उपस्थित है .
कहते हैं कि अगर बच्चों को मान-सम्मान का माहौल मिले तो उन्हें जीवन का लक्ष्य निर्धारण करने में आसानी होती है. यदि बच्चों को प्रेम और स्वीकृति का माहौल मिले तो वे दुनिया से प्रेम करना सीख जाते हैं. अगर बच्चे दोस्ती के माहौल में रहते हैं तो वे दुनिया को एक अच्छी जगह मानने लगते हैं. अगर बच्चों को प्रशंस
साथियो, हमें प्रसन्नता है कि 'सुनी-समझी' श्रंखला की पहली कड़ी हमारे कई 'शब्दनगरी मित्रों' को अच्छी लगी। हमें विश्वास है कि आपका साथ इस श्रंखला को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। आज प्रस्तुत है दूसरी कड़ी... किसी ने सुना ये वाक्य : "Do your best to get what you like or you will be forced to like wh
यह प्रथम परीक्षण लेख है |
आईआईटियंस की सोशल नेटवर्किंग साइट और ब्लागिंग वेबसाइट 'शब्द नगरी' अब फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप को टक्कर देगी। सोशल साइट बनकर तैयार हो गई है। ऑनलाइन काम भी कर रही है। इसकी औपचारिक लांचिग 24 जनवरी को होगी, फिर हिंदी की सोशल साइट का प्रचार प्रसार किया जाएगा। इससे हिंदी भाषी क्षेत्रों के 65 करोड़ लोगो
कानपुर आईआईटी मुंबई के एक पूर्व छात्र ने अपने कुछ सहयोगियों की मदद से हिन्दी में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट 'शब्दनगरी' शुरु की है। यह साइट फेसबुक से प्रेरित है लेकिन उसकी हूबहू नकल नहीं है। 'शब्दनगरी' पर आप राष्ट्रभाषा हिन्दी में अपनी कहानियां, कविताएं और कॉमेंट डाल सकते हैं, साथ ही अपनी विचारधारा वा
मौसम के बदलते रंग और बारिश के साथ ठंड पलटने से स्वाइन का खतरा बढ़ गया है । इस होली अपने करीबियों को गले लगाकर होली की बधाई देने या होली के जश्न के लिए किसी रेन या पूल पार्टी का हिस्सा बनने से पहले एक बार जरूर सोच लें कि कहीं आपका त्यौहारों का यह खुमार आपको स्वाइन फ्लू की चपेट में तो नहीं ला रहा। इस
ग़ुलामी से भी शर्मनाक है-दास होने की चेतना का नष्ट हो जाना. आज हम मानसिक और वैचारिक, दोनों स्तरों पर ब्रिटिश साम्राज्यवाद के दिनों से भी अधिक जड़ता की स्थिति में पहुँच चुके हैं, वो इसलिए कि जिस देश में लोगों में झूठ को झूठ कहने का नैतिक साहस नष्ट हो जाए, सच को सच कहने की ताब भी नहीं रह जाती. यह हिन्द
कनक : 1- एक बहुमूल्य पीली धातु जिसके गहने आदि बनते हैं, 2- स्वर्ण, कंचन, हेम, कनक, सुवरन, कांचन, सुवर्ण, कञ्चन, 3- धतूरा, मंदार, मन्दार, शिवप्रिय, स्वर्णफल, धत्तूर, 4- गेहूँ, कनक, गोधूम, गन्दुम, शुक्रद, बहुदुग्ध 5- पलाश, पलास, किंशुक, टेसू, टेसुआ, ढाक, 6- खजूर, खर्जूर, खरजूर, कनक, महारस प्रय
विधा : १- ढंग २- रीति ३- शैली ४- विधि ५- पद्धति प्रयोग: गद्य गीत या गद्य काव्य, गद्य तथा काव्य के बीच की विधा है।