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स्वच्छंद

4 नवम्बर 2015

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“स्वच्छंद जल स्वच्छंद दावानल

स्वच्छंद पवन के झोंके

स्वच्छंद मन स्वच्छंद गगन

स्वच्छंद जलधि तरंगें

जब सारा कुछ स्वच्छंद जगत में

फिर मानव, अपने को क्यों तू रोके ?

क्या पायेगा तू इस जग में

नश्वर शरीर को ढोके ?

जीवन के सारे रस पाये

स्वच्छंद धरा पर रहके 

अब बचे हुये कुछ पल को जी ले

 स्वच्छंद मगन तू होके”

                                                     --त्रिवेदी

गोपाल कृष्ण त्रिवेदी की अन्य किताबें

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स्वच्छंद

4 नवम्बर 2015
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“स्वच्छंद जल स्वच्छंद दावानलस्वच्छंद पवन के झोंकेस्वच्छंद मन स्वच्छंद गगनस्वच्छंद जलधि तरंगेंजब सारा कुछ स्वच्छंद जगत मेंफिर मानव, अपने को क्यों तू रोके ?क्या पायेगा तू इस जग मेंनश्वर शरीर को ढोके ?जीवन के सारे रस पाये स्वच्छंद धरा पर रहके  अब बचे हुये कुछ पल को जी ले स्वच्छंद मगन तू होके”         

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“मजदूर”

5 मई 2016
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मैं मजदूर हूँमजबूत हूँपरिश्रम की साख परबैठा हुआ देवदूत हूँ ..संघर्षों के बीच पैदा हुआसंघर्ष में ही पला-बढ़ा संघर्ष के अनुभवों से मेरा कण कण गढ़ा..हर रोज मिलता हूँ प्रकृति से संघर्ष करता हूँ उसके हठीले स्वभाव से और जीता हूँ स्वच्छंदता की साँस से ..मैं थकावट को वरण करस्वेद की गंगा मेंहिलोरे लेता हूँकभी

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दुर्दशा

10 अक्टूबर 2016
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मेरी त्रिनवतिः काव्य रचना (My Ninety-Third Poem) किसी ने दिल को तोड़ा है किसी ने रब को छोड़ा है यहाँ पर आधुनिक होकर अधिकतर ने माँ-बाप छोड़ा है किसी ने स्वार्थ हित आकर अपना घर-बार तोड़ा है किसी ने धन के मद में अपने संबन्धो से मुख मोड़ा है । . यहाँ पर धूर्त लोगों ने क

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विजया दशमी

11 अक्टूबर 2016
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विजया दशमी के उपलक्ष पर लिखी रचना विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनायें .मेरी चतुर्नवतिः काव्य रचना (My Ninety-fourth Poem).“विजया दशमी”.“विजय मनाऊँ किसकी मैंराम की या रावण की गाथा किसकी गाऊँ मैंराम की या रावण कीराम पिता की आज्ञा से बिन महल चौदह वर्ष बितायेरावण ने बहुत तपस्या से जाने कितने स्वर्ण महल बन

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पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या

20 अप्रैल 2020
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( पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या )"गुरु की मृत्यु का समाचार सुन शिष्यों का मन व्याकुल थाजीवन का पथ जो सिखा गए, अंतिम दर्शन को मन आकुल था ।लॉक डाउन में अनुमति लेकर, वृद्ध साधु गुरु के पास चलेसोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान किये, चालक के संग दो शिष्य चले ।गुरु की समाधि में पुष्प चढ़ाने भाव- विह्वल हो सफर

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"सामान"

23 नवम्बर 2020
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मेरी एकादशोत्तरशत काव्य रचना (My One Hundred eleventh Poem)"सामान"“घर-घर सामान भरा पड़ा हैहद से ज्यादा भरा पड़ा हैखरीद-खरीद के बटुआ खालीखाली दिमाग में सामान भरा पड़ा है -१हर दूसरे दिन बाहर जाना हैनयी-नयी चीजें लाना हैजरूरत है एक सामान कीढोकर हजार सामान लाना है-२अपने घर में जो रखा हैउसकी खुशी न करना

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