मेरी त्रिनवतिः काव्य रचना (My Ninety-Third Poem)
किसी ने दिल को तोड़ा है किसी ने रब को छोड़ा है
यहाँ पर आधुनिक होकर अधिकतर ने माँ-बाप छोड़ा है
किसी ने स्वार्थ हित आकर अपना घर-बार तोड़ा है
किसी ने धन के मद में अपने संबन्धो से मुख मोड़ा है ।
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यहाँ पर धूर्त लोगों ने कितनों को ठग के छोड़ा है
मानव ने ही मानवता को अनेकों बार तोड़ा है
लोगों ने झूठ को कंधे पर रखकर सच मरोड़ा है
यहाँ पर झूठ ने अधिकतर लोगों को जोड़ा है ।
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एक छोटी सी बात पर लोगों ने संयम को छोड़ा है
उन्माद के आवेश में आकर कितनों के घर को तोड़ा है
युद्ध की भीषणता के डर से लोगों ने घर-बार छोड़ा है
मौत की चौखट पर जाकर भूख से लोगों ने दम तोड़ा है ।
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परिवार के आपसी झगड़ों ने बेमोल रिश्तों को तोड़ा है
कड़वाहट ऐसी बढ़ी कि अपनों को देखना तक भी छोड़ा है
इससे बुरा और क्या होगा अपने ही खून से नाता तोड़ा है
तलाक को फैशन बनाकर माँ-बाप ने बच्चों को छोड़ा है ॥
रचनाकार :- गोपाल कृष्ण त्रिवेदी
दिनाँक :- ६ अक्टूबर २०१६