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पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या

20 अप्रैल 2020

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( पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या )

"गुरु की मृत्यु का समाचार सुन शिष्यों का मन व्याकुल था
जीवन का पथ जो सिखा गए, अंतिम दर्शन को मन आकुल था ।

लॉक डाउन में अनुमति लेकर, वृद्ध साधु गुरु के पास चले
सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान किये, चालक के संग दो शिष्य चले ।

गुरु की समाधि में पुष्प चढ़ाने भाव- विह्वल हो सफर शूरू किया
अश्रुपूर्ण नयनों को नमकर, मुंबई से सूरत को प्रस्थान किया ।

कुछ दूर पहुँच ही पाए थे कि गढ़चिचले गाँव ने साधू को घेर लिया
पुलिस वालों ने आगे बढ़कर, साधू को दुष्टों के हाथों सौंप दिया ।

माला-हारों के हकदारों पर, लातों-डंडो से भीषण प्रहार हुआ
जनता के रक्षक के समक्ष, यह अक्षम्य क्रूर कृत्य हुआ ।

हाथों को जोड़ें क्रंदन कर, साधु दया - याचना करते थे
पुलिस थाना में पहुँच हुये असहाय, स्वयं की रक्षा करते थे ।

जो करते समाज की पहरेदारी, लगता वह भी शामिल थे
रक्षक का भेष बना चौकी में बैठे कातिल थे ।

नर रूपी दानवों के मध्य हाथ जोड़कर साधु असहाय खड़े
हाय तनिक भी दया न आई जो साधू संतों पर टूट पड़े ।

दयावान वो संत हमारे, आशीषों से झोली भरते थे
राम कृष्ण शिवा की धरती पर, कायर युवा भीड़ के हाथों मरते थे ।

इतिहास के काले पन्नों में जगह पालघर दर्ज हुई
गाँव के क्रूर दानवों द्वारा, साधु की निर्मम हत्या हुई ।

ऋषियों की पुण्य धरा पर, साधू का अपमान सहन नहीं होगा
अब शांति नहीं सीधा रण होगा, यह साधारण नहीं भीषण होगा ॥"

- गोपाल कृष्ण त्रिवेदी
दिनाँक - २०-०४-२०२०

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