मैं ताज मोहम्मद, आप लोगों की राय सलाह का ख्वाहिश मंद हूं। मैं कोई कामर्शियल कवि या शायर नहीं हूं। बस आप लोगों को पढ़कर कुछ लिखने की कोशिश करेंगें।
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मैंने भी कुछ लिखा है,,,तुम सबसे ही सीखा है...तुम्हारे मशविरे की,,,मुझको दरकार है...तुम सबका लिखा,,,असरदार है...कुछ नए ख्वाबों को,,,आंखों में बोया है...गिरते उठते अभी तो,,,मैंने चलना सीखा है...मैंने भी