14 अगस्त 2015
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प्रेस प्रतिनिधि-दैनिक भास्कर,प्रखंड,भवानीपुर,पुरणिया्D
गरीब भारत की पहचान।मलामाल नेता महान।कर्ज मेंडूब मर रहे किसान।बोझ उठाने को बेबस ये नादान।माँ बनी डायन पिता हत्यारा मार रहे खुद अपनी संतान।नन्हे हाथो में कलम नहीं,बच्चे रोते माँ की आँखें नम नहीं,थमा दिये कैसे जिन्दगी की कमान।
ए इश्क तेरा अंजाम यही होना था । मुझे तो हर हाल में रोना था । समझ ना पाया तेरी बेरूखी को मै,अब समझा हु्ँ मेरे पास दौलत जो ना था। ।