तनहा कट
गया जिंदगी का सफ़र कई साल का
चंद अल्फाज कह भी डालिए अजी मेरे हाल पर
मौसम है
बादलों की बरसात हो ही जाएगी
हंस पड़ी धूप तभी इस ख्याल पर
फिर
कहाँ मिलेंगे मरने के बाद हम
सोचते
ही रहे सब इस सवाल पर
शायद इन रस्तों से होकर ख्वाबों में गुजरे
दिखे हैं मुझको सहरा चांद हर जर्रे पर
दिखे है फूल कांटों के रस्तों पर
आंखें
छलक जाती हैं निगाह मिलने पर
हश्र तो
ये है उनसे इस मुलाकात पर
जरा गौर
फरमाईए ‘राजीव’ की इस
बात पर
चांदनी रात का जिक्र क्यों न हो मुलाक़ात पर