shabd-logo

common.aboutWriter

समाजशास्त्र में सहायक प्राध्यापक,लेखन में रुचि

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

rkjha

rkjha

मन के भावों को शब्दों में ढालने की छोटी सी कोशिश

0 common.readCount
3 common.articles

निःशुल्क

rkjha

rkjha

मन के भावों को शब्दों में ढालने की छोटी सी कोशिश 

0 common.readCount
3 common.articles

निःशुल्क

common.kelekh

दास्तां सुनाता है मुझे

8 अगस्त 2016
1
0

जब कभी सपनों में वो बुलाताहै मुझे बीते लम्हों की दास्तांसुनाता है मुझे  इंसानी जूनून का एक पैगामलिए बंद दरवाजों के पार दिखाता हैमुझे  नफरत,द्वेष,ईर्ष्या की कोईझलक नहीं ये कौन सी जहां में ले जाताहै मुझे  मेरे इख्तयार में क्या-क्यानहीं होता बिगड़े मुकद्दर की याददिलाता है मुझे  उसको भी मुहब्बत है यकीं ह

इंसानियत दफ़न होती रही

7 अगस्त 2016
2
1

धर्म के नाम पर लोग लड़तेरहे इंसानियत रोज दफ़न होती रही  सजदे करते रहे अपने अपनेईश्वर के सूनी कोख मां की उजड़ती रही  मूर्तियों पर बहती रही गंगादूध की दूध के बिना बचपन बिलबिलातीरही  लगाकर दाग इंसान के माथे परहैवानियत इंसान को डसती रही किस किस को कैसे जगाएं‘राजीव’इंसानियत गहरी नींद मेंसोती रही

मिलेगी मंजिल मुझे

6 अगस्त 2016
0
0

मखमूर देहलवी ने खूबकहा है.....एक न एक दिन अपनीमंजिल पर पहुँच लेंगे जरूर जो कदम उठाते हैंआसानी से मुश्किल की तरफ कदम तो मंजिल की तरफ सभीउठा लेते हैं लेकिन मंजिल तक पहुंचने का सब में माद्दा नहीं होता.मंजिल तक पहुंचनेमें कई बाधाएं आती हैं लेकिन जो डटे रहते हैं वे जरूर पहुँचते हैं.सफलता आसानी सेनहीं मिल

तनहा सफ़र

5 अगस्त 2016
2
0

तनहा कटगया जिंदगी का सफ़र कई साल काचंद अल्फाज कह भी डालिए अजी मेरे हाल पर<!--[if !supportLineBreakNewLine]--><!--[endif]-->मौसम हैबादलों की बरसात हो ही जाएगीहंस पड़ी धूप तभी इस ख्याल पर फिरकहाँ मिलेंगे मरने के बाद हमसोचतेही रहे सब इस सवाल पर<!--[if !supportLineBreakNewLine]--><!--[endif]--> शायद इनर

इंसां मगर दिखता नहीं

3 अगस्त 2016
0
0

शहर में चेहरे तो लाखोंहैं, इंसां मगर दिखता नहीं शीशे का मकां न है, पत्थरहाथ में कोई रखता नहीं  आदमी आदमी का में जबसे भेदहोने लगा है  हाथ मिलता है दिल मगर मिलतानहीं  दोस्त कौन है और कौन हैदुश्मन जानते सब हैं कोई मगर कहतानहीं  जुनूने इश्क के रंग भी अजीबहैं दर्द तो देता है दवा मगरदेता नहीं  खरीदने बिकन

दिल का मलाल क्या कहा जाए

2 अगस्त 2016
0
0

साथ गर आपका जो मिल जाए सफ़र जिन्दगी का आसां से कटजाए मन का बंद दरवाजा खुलने कोहैखुशबुओं की राह से जो गुजराजाए हल हो जाए खुदबखुद एक दिनमसलों को सवालों की तरह रखाजाएअंधेरों में ढूंढ़ते रहतेहैं जाने क्या उजालों का हाल क्या कहा जाएलोग कहते हैं आंसू पानी है ‘राजीव’ दिल का मलाल क्याकहा जाए 

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए