जो हमें दिल से बड़ा कर जाए उसे त्यौहार मानूँगा
जो हमें नफरतों से उबार जाए उसे त्यौहार मानूँगा
जो भेद-भाव की दीवार गिरा जाए उसे त्यौहार मानूँगा
जो झोंपड़ी में भी हों सोलह श्रंगार उसे त्यौहार मानूँगा ।.11 नवम्बर 2015
जो हमें दिल से बड़ा कर जाए उसे त्यौहार मानूँगा
जो हमें नफरतों से उबार जाए उसे त्यौहार मानूँगा
जो भेद-भाव की दीवार गिरा जाए उसे त्यौहार मानूँगा
जो झोंपड़ी में भी हों सोलह श्रंगार उसे त्यौहार मानूँगा ।.2 फ़ॉलोअर्स
कहानी, कविता, समसामयिक लेखन, चम्बल की बोली और लोक साहित्य पर अन्वेषण कार्य , कन्या भ्रूण संरक्षण पर कार्य D