स्वयं को स्वयं के पास ले जाना , स्वयं से संवाद में निमग्न हो जाना , अर्थात स्वयं के करीब आना, स्वयं के पास बैठना ही उपवास है .कहने का तात्पर्य है स्वयं के परिष्कार और परिमार्जन की क्रिया उपवास से संभव है ।.
13 अक्टूबर 2015
स्वयं को स्वयं के पास ले जाना , स्वयं से संवाद में निमग्न हो जाना , अर्थात स्वयं के करीब आना, स्वयं के पास बैठना ही उपवास है .कहने का तात्पर्य है स्वयं के परिष्कार और परिमार्जन की क्रिया उपवास से संभव है ।.
2 फ़ॉलोअर्स
कहानी, कविता, समसामयिक लेखन, चम्बल की बोली और लोक साहित्य पर अन्वेषण कार्य , कन्या भ्रूण संरक्षण पर कार्य D