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दुःख का कारण सुख

16 सितम्बर 2015

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मित्र ने एक दिन पूछा - लगातार बढ़ती बैचेनी और परेशानी का निवारण हमने कहा - ये सारी खुशियां हैं इसका कारण . वो बोला ! बात कुछ समझ न आई हमने कहा - जाके पांव न फटी बीबाई, वो क्या जाने पीर पराई ।
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रचनाएँ
sudhiracharya
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कविता,कहानी,समसामयिक लेखन,त्वरित टिपण्णी ,समीक्षा
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दिल में हिंदी की हूक है , जुबाँ पर इंग्लिश की फूँक ……।..

14 सितम्बर 2015
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दिल में हिंदी की हूक है , जुबाँ पर इंग्लिश की फूँक ……।मुँह पर ही गिरेगा भैया , मत मुँह उठा कर थूक ।.

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दुःख का कारण सुख

16 सितम्बर 2015
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मित्र ने एक दिन पूछा -लगातार बढ़ती बैचेनी और परेशानी का निवारण हमने कहा -ये सारी खुशियां हैं इसका कारण .वो बोला ! बात कुछ समझ न आई हमने कहा -जाके पांव न फटी बीबाई, वो क्या जाने पीर पराई ।

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कमाई

17 सितम्बर 2015
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घर में घुसते ही ,माँ बोली ! बेटा निबट गई है दबाई सुनते ही बेटे ने ,पीठ पीछे छिपाई रस मलाई और बोला ! अभी पैसे नहीं हैं माई ---

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अध्यापक का दर्द

20 सितम्बर 2015
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न बीमा न पेंसन हे ,जीभन भर का टेंसन हे, वेतन कम काम अधिक बेचारा मुशीबत का मारा भटक रहा हे इधर उधर

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चम्बल से अभिप्राय...

24 सितम्बर 2015
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चम्बल की माटी में स्वाभिमान ,शौर्य के कण समाहित हैं . चम्बल का शाब्दिक अर्थ है ,चम् यानि आचमन और बल अर्थात शक्ति . मतलब शक्ति का आचमन करने वाले चम्बल वासी शूरवीर ,निडर और आन-बान-शान पर मर मिटने वाले हैं . चबल के भरखे ,निर्जन बीहड़ डकैतों के लिए सुरक्षित शरण स्थली साबित हुए ,इसलिए चम्बल अंचल बदनाम ह

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उपवास

13 अक्टूबर 2015
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स्वयं को स्वयं के पास ले जाना , स्वयं से संवाद में निमग्न हो जाना , अर्थात स्वयं के करीब आना, स्वयं के पास बैठना ही उपवास है .कहने का तात्पर्य है स्वयं के परिष्कार और परिमार्जन की क्रिया उपवास से संभव है ।.

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त्यौहार मानुंगा...

11 नवम्बर 2015
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जो हमें दिल से बड़ा कर जाए उसे त्यौहार मानूँगा जो हमें  नफरतों से उबार जाए उसे त्यौहार मानूँगाजो भेद-भाव की दीवार गिरा जाए उसे त्यौहार मानूँगा जो झोंपड़ी में भी हों सोलह श्रंगार उसे त्यौहार मानूँगा ।. 

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